मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली में सरप्लस बजट का झूठा भ्रम फैला रहे है जबकि केग रिपोर्ट में उजागर हुआ है दिल्ली सरकार 38155 करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी हुई। – केजरीवाल सरकार के पास दिल्ली में विकास कार्यों के लिए बिना किसी विजन के काम कर रही है जिसके कारण बजट का 49,731.5 करोड़ रुपये खर्च ही नही कर पाई। – अरविन्द केजरीवाल ने बनाया दिल्ली सरकार को कर्जदार – चौ0 अनिल कुमार
नई दिल्ली, 7 जुलाई, 2022 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने आज दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र में टेबल की गई सी.ए.जी. (केग) की रिपोर्ट की सच्चाई को उजगार करते हुए कहा कि केजरीवाल यह झूठा भ्रम फैला रहे है कि दिल्ली सरकार ने पिछले 7 वर्षों में 1 रुपये का भी लोन नही लिया जबकि वास्तविकता यह है कि वर्ष 2022 तक दिल्ली के उपर 38,155 करोड़ रुपये कर्ज बढ़ गया है। सीएजी रिपोर्ट बताती है कि केजरीवाल ने 7 वर्षों 27,684 करोड़ रुपये लोन लेकर दिल्ली कर्ज में डूबती जा रही है जबकि पिछली परम्परा अनुसार दिल्ली का बजट तो प्रत्येक वर्ष बढ़ता रहता है और केजरीवाल अपनी नाकामियों, विफलताओं को छिपाने के लिए गुजरात में जाकर झूठ बोल रहे है कि दिल्ली के पास सरप्लस बजट है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि विपक्ष में भाजपा का विधानसभा सत्र में मौन रहना साफ दर्शाता है कि भाजपा और आम आदमी पार्टी अंदरुनी तौर पर मिले हुए है, इन्हें दिल्ली की जनता की परेशानियों से कोई सरोकार नही है।
प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए चौ0 अनिल कुमार ने यह बयान दिया। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक जय किशन, पूर्व विधायक राजेश जैन और कम्युनिकेशन विभाग के उपाध्यक्ष अनुज आत्रेय मौजूद थे। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने अपनी नाकामियों को छिपाने सत्र में रिपोर्ट पर कोई चर्चा नही की गई जबकि 31.3.2020 तक की रिपोर्ट का सारांश बताता है कि रिपोर्ट में बताने की जगह छिपाने का काम ज्यादा किया गया है।
स्टेट फाईनेंस ऑडिट पहल रिपोर्ट में यह उजागर करती है कि बड़े-बड़े दावे करने वाले अरविन्द केजरीवाल वर्ष 2019-20 में 64,180.68 करोड़ के बजट का 19.74 प्रतिशत 12,670.65 करोड़ खर्च ही नही कर पाई जिसकी 74.03 प्रतिशत राशि 9,380.69 करोड़ रुपये खर्च नही करने के कारण सरेंडर कर दिया और 3289.96 करोड़ का बजट समर्पण न करने के कारण लैप्स हो गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली का दुर्भाग्य है कि विकास में काम आने वाली बजट की 49,731.50 करोड़ राशि केजरीवाल दिल्लीवासियों के हितों और कल्याण के लिए खर्च ही नही कर पाई।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में केजरीवाल की दिल्ली सरकार में भ्रष्टाचार का प्रमाण पारदर्शिता के साथ उजागर होता कि दिल्ली सरकार पिछले 7 वर्षो में जीडीपी की तुलना में राजस्व का घाटा बढ़ा है जो -0.33 प्रतिशत के साथ 3039 करोड़ तक पहुॅच गया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और अपनी विफलताओं के उजागर होने के डर के कारण मुख्यमंत्री ने टेबल की गई रिपोर्ट पर चर्चा नही की जबकि यह सभी जानते है इनके 80 प्रतिशत मंत्री जेल जा चुके है, 32-38 विधायकों पर आरोप साबित हो चुके जबकि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जेल में है और वित्त मंत्री के खिलाफ आरोप साबित हो चुके है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अपने चुनावी उदेश्यों को पूरा करने और लोगों का ध्यान भ्रमित करने के लिए प्रतिदिन नई-नई घोषणाएं कर रहे है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि रिवेन्यू, इकॉनोमिक्स, सोशल, जनरल सेक्टर और पीएसयू से संबधित सीएजी की दूसरी रिपोर्ट में व्यापार, कर विभाग, राजस्व विभाग तथा परिवहन विभाग की 60 ईकाईयों का वर्ष 2018-19 तक 394 मामलों में 521.61 करोड़ रुपये की अनियमितताएं पाई गई है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी राशि कहां गई, भ्रष्टाचार करके किसने खाई, इसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल झूठे बयान दे रहे है कि डीटीसी प्रोफिट में है जबकि 2014-15 से 2018-19 के दौरान सीएजी रिपोर्ट में केजरीवाल के झूठ को उजागर करते हुए बताया है कि डीटीसी का घाटा 4329.41 करोड़ तक पहुच गया था, जो वर्तमान में एक अनुमान के अनुसार 7000-8000 करोड़ तक पहुच गया है, जिसको मुख्यमंत्री लगातार छिपाने का काम कर रहे है।
चौ0 अनिल कुमार ने रिवेन्यू, इकॉनोमिक्स, सोशल, जनरल सेक्टर और नान-पीएसयू से संबधित सीएजी की 31.3.2018 तक की तीसरी रिपोर्ट पर कहा कि इसकी सच्चाई को दिल्लीवालों के सामने लाने की जरुरत है। केजरीवाल अनाधिकृत कॉलोनियों में पेयजल आपूर्ति और सीवरेज उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े वायदे शुरु से ही करते आए है जबकि न तो दिल्ली में पेयजल की उचित सुविधा है न ही इन कॉलोनियां में सीवरेज सुविधा है। इसके बावजूद भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण अनाधिकृत कालोनियों में इन कार्यों के लिए तय फंड से 264.29 करोड़ अधिक खर्च किए। उन्होंने कहा कि यह राशि कहां खर्च हुई जब इन कॉलोनियों में काम ही नही हुआ। उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक है कि दिल्ली सरकार पीने का पानी और सीवरेज सुविधाऐं देने की मदों को कर्मचारियों, मरम्मत और रख-रखाव के लिए स्थानांतरित कर रही है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि सीएजी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दिल्ली सरकार के पास 2015 से अभी तक पेयजल उपलब्ध कराने और सीवरेज सुविधा देने के लिए कार्य योजना को कोई मास्टर प्लान नही है, मतलब साफ है केजरीवाल बिना विजन के काम कर रहे है और प्रतिदिन नई-नई घोषणाऐं और दावे करके दिल्लीवालों को गुमराह करने का काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि 1797 अनाधिकृत कॉलोनियों में दिसम्बर 2018 तक जो पानी की पाईप लाईन बिछी, उसका काम और योजना कांग्रेस सरकार की थी, जिसे सीएजी ने रिपोर्ट में बताया। केजरीवाल सरकार ने आंतरिक जल लाईन बिछाने से पहले पानी उपलब्ध कराने, डब्लूटीपी, यूजीआर से पेरिफेरल लाईनों में जाने का बुनियादी ढांचा सुनिश्चित ही नही किया, जो दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। उन्होंने कहा कि 1573 अनाधिकृत कालोनियों का सीवेज बारिश के पानी के साथ नालों से होकर सीधा यमुना को प्रदूषित करता है जिसके लिए केजरीवाल सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई जबकि करोड़ों रुपये की यमुना सफाई परियोजनाओं की घोषणाऐं केजरीवाल पिछले 8 वर्षों में कर चुके है।
चौ0 अनिल कुमार ने बताया कि सीएजी रिपोर्ट में दिल्ली जल बोर्ड की कार्यशैली पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए है। दिल्ली जल बोर्ड के 41 सिविल प्रोजेक्ट ऐसे है जिनका किसी भी वरिष्ठ अधिकारी ने कोई निरीक्षण ही नही किया और टैंकर माफिया पर कांग्रेस सरकार को कोसने वाले केजरीवाल की सरकार में 657 टैंकरों में 250 टैंकरों में जीपीएस निगरानी सिस्टम नही है, मतलब टैंकर माफिया पर भ्रष्टाचार करने की पूरी छूट केजरीवाल सरकार ने दी हुई।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि गरीबों के लिए कांग्रेस की सरकार द्वारा बनाऐ गए 46000 फ्लैट केजरीवाल सरकार आवंटित ही नही कर पाई जिसको दिल्ली कांग्रेस शुरु से उजागर करती आ रही है। सीएजी रिपोर्ट में कहा है कि लाभार्थियों की पहचाने करने में देरी के कारण 90 प्रतिशत फ्लैट आवंटित नही किए गए। 2018 तक की रिपोर्ट में यह कहा है कि खाली पड़े फ्लैट जर्जर पड़े है, जिनकी पूरी तरह से खराब होने की संभावना हो सकती है। उन्होंने कहा गरीबों के लिए बने फ्लैटों को सरकार रख-रखाव नही कर पाई जिसमें पूरी तरह लापरवाही बरती गई जिसके लिए केजरीवाल सरकार जिम्मेदार है।