- दिल्ली सरकार ने एनएसयूटी के दो नए परिसर बनाने की घोषणा की
- दोनों कॉलेजों को एनएसयूटी की प्रतिष्ठा और संसाधनों का लाभ मिलेगा
- एनएसयूटी की विशिष्टताओं के कारण दोनों काॅलेजों का विकास होगा।
- हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा देने में जुटी है दिल्ली सरकार
- जाफरपुर कैंपस में सिविल, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और मेकेनिकल इंजीनियरिंग की स्पेशलाइज्ड पढ़ाई होगी
- गीता कॉलोनी कैंपस में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस का होगा स्पेशलाइजेशन
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में दो नए परिसरों के विस्तार का निर्णय लिया है। चौधरी ब्रह्म प्रकाश राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज (जाफरपुर) और अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च (गीता कॉलोनी) को एनएसयूटी से जोड़ा जाएगा। डीटीटीई के तहत पंजीकृत इन दोनों संस्थानों का विकास 12 वर्षों से अधिक समय के बावजूद उत्साहजनक नहीं है। एनएसयूटी से जुड़ने के बाद दोनों संस्थानों में शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में सर्वांगीण विकास होगा। इस विलय से बी.टेक में 360 तथा एम.टेक में 72 अतिरिक्त सीटें बढ़ जाएंगी। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनुसार दोनों कॉलेजों को एनएसयूटी की प्रतिष्ठा और संसाधनों का लाभ मिलेगा। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में एनएसयूटी का गौरवशाली इतिहास है। इसका शैक्षणिक कौशल तथा उद्योग जगत के साथ संबंध भी काफी महत्वपूर्ण है। एनएसयूटी की विशिष्टताओं के कारण दोनों काॅलेजों को समुचित विकास का अवसर मिलेगा। श्री सिसोदिया ने इस नई शुरूआत के लिए एनएसयूटी तथा दोनों काॅलेजों को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा देने के लिए लगातार प्रयासरत है।
इस विस्तार के बाद जाफरपुर स्थित वेस्ट कैंपस में सिविल, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और मेकेनिकल इंजीनियरिंग की स्पेशलाइज्ड पढ़ाई होगी। इसी तरह, गीता कॉलोनी स्थित ईस्ट कैंपस में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस की स्पेशलाइज्ड पढ़ाई होगी। उल्लेखनीय है कि एनएसयूटी में जेईई (मेन्स) परीक्षा के जरिए नामांकन होता है। इसलिए विस्तार के बाद इन परिसरों में भी जेईई परीक्षा के माध्यम से प्रवेश लिया जाएगा। इसके कारण नामांकित छात्रों की गुणवत्ता में सुधार होगा। वर्तमान में इन दोनों काॅलेजों के आईटी छात्रों को प्लेसमेंट पैकेज मात्र 3.5 से 6.5 लाख रूपये तक मिलता है। जबकि एनएसयूटी के स्टूडेंट्स को औसतन 11.5 लाख का पैकेज मिलता है और अधिकतम पैकेज 70 लाख तक जाता है।
इस निर्णय से कई प्रशासनिक जटिलता भी कम होगी। जैसे, शिक्षकों की नियुक्ति, वित्तीय निर्णय लेने की गति, स्वायत्तता की कमी इत्यादि। अभी दोनों संस्थानों में नियमित शिक्षकों की कमी है। नियुक्ति प्रक्रिया धीमी होने तथा अदालत में कुछ मामले लंबित होने के कारण यह जटिलता है। वर्तमान में दोनों कॉलेज संविदा या गेस्ट फेकेल्टी के जरिए अपनी आवश्यकता पूरी कर रहे हैं। स्थायी शिक्षकों के अभाव के कारण तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। अन्य प्रशासनिक कर्मचारियों तथा सपोर्ट स्टाफ के मामले में भी यही स्थिति है। इन दोनों काॅलेजों में रिक्त एवं स्वीकृत पदों के लिए एनएसयूटी के नियमों के अनुसार नियुक्ति होगी। दोनों काॅलेजों के प्रिंसिपल, फेकेल्टी, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एनएसयूटी की सेवा शर्तों को अपनाने या पुराने नियमों और शर्तों पर अपनी सेवा जारी रखने का विकल्प दिया जाएगा।
दोनों काॅलेजों के वर्तमान स्टूडेंट्स को उनके प्रवेश के समय निर्धारित फीस का ही भुगतान करना होगा। उन्हें जीजीएसआइपी विश्वविद्यालय द्वारा ही डिग्री दी जाएगी। नए नामांकित छात्रों को एनएसयूटी के तहत डिग्री प्रदान मिलेगी। नए छात्रों की फीस का निर्धारण एनएसयूटी प्रबंधन बोर्ड करेगा। वर्तमान में, जीजीएसआइपी विश्वविद्यालय, द्वारका इन दोनों कॉलेजों को पर्याप्त संख्या में शोध छात्र संख्या प्रदान करने में सक्षम नहीं है। इसलिए इन संस्थानों में अनुसंधान और विकास गतिविधियाँ बहुत कम हैं। विस्तार के बाद इनमें पर्याप्त संख्या में शोध छात्र उपलब्ध कराए जाने के कारण शोध गतिविधि काफी बढ़ जाएंगी। एमटेक छात्रों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, जिसके कारण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार होगा। इसके अलावा, एनएसयूटी परिसर और संसाधनों के उपयोग का भी अवसर मिलने के कारण दोनों काॅलेजों के छात्रों को काफी लाभ होगा।