Wednesday, November 20, 2024
Homeअंतराष्ट्रीयकिसान विरोधी बिल किसानों को और अधिक नुकसान पहुंचाऐगा : चौ. अनिल...

किसान विरोधी बिल किसानों को और अधिक नुकसान पहुंचाऐगा : चौ. अनिल कुमार

  • अरविंद सरकार ने दिल्ली के किसानों से झूठे वादे करके धोखा दिया- चौ. अनिल कुमार
  • उन्होंने कहा कि इस विधेयक से उन बड़े-बड़े पुंजीपतियों जो कि मोदी मित्र है उनके लिए कृषि उत्पादों के विपणन को एकाधिकार में रखने  हेतु उनका मार्ग आसान बना दिया है जो कि किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर कीमत के बदले कम कीमत देंगे

 


नई दिल्ली:
 दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने कहा कि किसी भी किसान संघों से और यहां तक कि भाजपा से जुड़े किसान संगठनों  से परामर्श किए बिना मोदी सरकार द्वारा पारित तीन किसान विरोधी बिल व किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य देने से इनकार करना देश में किसानों को और अधिक नुकसान पहुंचाऐगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से उन बड़े-बड़े पुंजीपतियों जो कि मोदी मित्र है उनके लिए कृषि उत्पादों के विपणन को एकाधिकार में रखने  हेतु उनका मार्ग आसान बना दिया है जो कि किसानों को उनके उत्पादों के लिए बेहतर कीमत के बदले कम कीमत देंगे। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली में अरविंद सरकार ने भी किसानों के लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित नहीं करके दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसानों को धोखा दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान न तो केंद्रीय सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम और न ही राज्य सरकार की एजेंसियों ने दिल्ली में खरीफ फसल धान खरीदा है।

FILE PHOTO


 
दिल्ली कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार के नेतृत्व में आज राजधानी के सभी 14 जिलों में किसान सम्मलेन का आयोजन किया। जिसमें मुख्य रूप से शारीरिक दूरी व कोविद -19 महामारी संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करते हुऐ डीपीसीसी कार्यालय राजीव भवन में एक किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। राजीव भवन में किसान सम्मलेन में मुख्य वक्ता के रूप में AICC  प्रवक्ता पवन खेड़ा थे तथा अन्य भाग लेने वालों में मुख्य रूप से डीपीसीसी उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल, अभिषेक दत्त, अली महेंदी, पूर्व विधायकों में अनिल भाजद्वाज, कुंवर करन सिंह, विजय लोचव तथा अलका लांबा, परवेज आलम खान, संदीप गोस्वामी, जिला अध्यक्ष मौ. उस्मान, दिल्ली कांग्रेस किसान सेल के चेयरमेन राजबीर सिंह सोलंकी तथा दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्षा अमृता धवन आदि मौजूद  थे।
 
चौ. अनिल कुमार ने कहा कि मोदी सरकार की किसान विरोधी मानसिकता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि जब किसानों को 14 अक्टूबर को विधेयकों पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन बैठक में न तो प्रधानमंत्री स्वयं उपस्थित थे और न ही कृषि मंत्री थे बल्कि एक अधिकारी को बैठक को संबोधित करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया। गुस्साए किसानों द्वारा किसान विरोधी विधेयक को फाड़ दिया गया और बैठक का बहिष्कार किया गया। चौ. अनिल कुमार ने कहा कि मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा किया था और फिर यह कहते हुए एक गलत अभियान चलाया कि रिपोर्ट लागू कर दी गई है। लेकिन वास्तव में किसान जो कांग्रेस शासन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त कर रहे थे मोदी राज में इससे भी कम दाम मिलने लगे।
 
AICC  प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने डॉ.मनमोहन सिंह को न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने के लिए लिखा था, लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी जो किसान विरोधी विधेयका संसद में बिना किसी चर्चा के पारित करने के बाद में किसानों, मीडिया व विपक्ष का सामना करने से कतरा रहे हैं । उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट क्षेत्र को सौंपने के बजाय कृषि उपज विपणन समिति में सुधार करने के लिए बदलाव करने की तत्काल आवश्यकता थी।  उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से  जमाखोरों व कालाबाजारी को पनपने में मदद मिलेगी, जो न केवल किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य से वंचित करेगा, बल्कि बाजार में कृषि उत्पादों को मनमाने दरों पर बेचकर जनता को भी धोखा दिया जाएगा।
 
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल ने कहा कि भाजपा किसान विरोधी बिल के बारे में गलत धारणा बनाकर किसानों को गुमराह कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा किसानों के हित की रक्षा करने में उत्सुक थी, तो उन्हें उनके खेत की उपज का बेहतर दाम दिलाने में मदद करनी चाहिए थी। चौ. अनिल कुमार ने पूछा कि बिल पास करने से पहले किसानों को विश्वास में क्यों नहीं लिया? उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस किसान विरोधी बिल का तब तक भरपूर विरोध करेगी जब तक बिल वापस नहीं ले लिया जाता है, अन्यथा कांग्रेस इन विधेयकों का समर्थन नहीं करेगी।

दिल्ली कांग्रेस किसान सेल के चेयरमेन राजबीर सिंह सोलंकी ने कहा कि अरविंद सरकार ने जनवरी 2019 में घोषणा की थी कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू करने वाला दिल्ली पहला राज्य होगा, और किसान मित्र योजना के तहत, दिल्ली सरकार ने बजट में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। लेकिन 2020-21 रबी फसल विपणन सत्र में केवल छह किसानों को दिल्ली सरकार द्वारा गेहूं की खरीद से लाभ हुआ, और खरीदी गई मात्रा 500 मीट्रिक टन से कम थी जोकि दिल्ली में गेहूं उत्पादन का 1 प्रतिशत से भी कम था। उन्होंने कहा कि दिल्ली के किसानों को बजट में दिए गए 100 करोड़ रुपये में से एक रुपया भी नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसानों का पलायन इस तथ्य से स्पष्ट है कि नरेला अनाज बाजार में अनाज 1650-1700 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचा गया जबकि इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये प्रति क्विंटल था।
 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments