- इनके लिए भी सीबीएसई को 9वीं और 11वीं की तरह प्रक्रिया को अपनानी चाहिए
- इस साल के सीबीएसई व एनसीईआरटी सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में 30 प्रतिशत की कटौती करे
- कम किया गया पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की प्रवेश परीक्षा में भी मान्य किया जाए
- ऑनलाइन कक्षाओं को एमएचआरडी दूरदर्शन और एआईआर एफएम एक निश्चित समय प्रसारित करने का सुझाव दे
- कोरोना वायरस का प्रभाव शिक्षा और अर्थ व्यवस्था पर लंबे समय तक होगा
- हमें इस नुकसान को कम करने के लिए तैयार रहना होगा
नई दिल्ली: ऑनलाइन शिक्षा, ऐकडेमिक कैलेंडर इत्यादि जैसे शिक्षा के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने देश के सभी शिक्षा मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक बुलायी, जिसमें शामिल हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ अहम मुद्दों पर बल दिया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार पिछले 3-4 हफ्तों से तकनीक का इस्तेमाल कर लाखों बच्चों तक शिक्षा पहुंचा रही है। स्वास्थ्य की दृष्टि से आज नहीं तो कल हम कोरोना से बाहर निकल ही जाएँगे, लेकिन इसका शिक्षा और अर्थ व्यवस्था पर जो प्रभाव पड़ेगा वह दूरगामी होगा। इसलिए हम सब शिक्षा मंत्रियों की जिम्मेदारी बनती है कि इससे कम से कम नुकसान हो, इसके लिए हम अभी से तैयार रहें।
- उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिए कई सुझाव
- सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह 9वीं और 11वीं कक्षा के लिए इंटर्नल असेस्मेंट और अब तक हुई परीक्षा के आधार पर बच्चों को मार्क्स देने का निर्णय लिया है, वही निर्णय 10वीं और 12वीं के बच्चों के लिए भी लिया जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि निकट भविष्य में भी सोशल डिस्टन्सिंग की वजह से बची हुई परीक्षाएं कराना संभव नहीं होगी। इसलिए इस मुद्द्दे पर अनिश्चितता खत्म करते हुए तुरंत निर्णय लेने चाहिए। दिल्ली देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जिसका अपना बोर्ड नहीं है लिहाजा सीबीएसई ही उसका बोर्ड है। अतः सीबीएसई को दिल्ली के सुझाव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आईआईटी, नीट यूनिवर्सिटी प्रवेश जैसे सभी परीक्षाएं कराना आगे भी मुश्किल होगा। बच्चों का वर्ष खराब ना हो, उन्हें तनाव न हो, उसके लिए 12वीं के छात्रों को उनके मार्क्स पर इस साल मेरिट के हिसाब से एडमिशन दिए जाए। इस साल के सीबीएसई व एनसीइआरटी सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती की जाए और अगले साल के सीबीएसई बोर्ड इग्जाम, आईआईटी जेईई, नीट यूनिवर्सिटी भी उसी हिसाब से हों।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना के दौर में दिल्ली में टेक्नॉलजी के माध्यम से बच्चों तक शिक्षा पहुँचाने के प्रयासों के बारे में बताते हुए उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बहुत से बच्चों के घर में स्मार्टफोन नहीं होते। दिल्ली में भी 68 प्रतिशत बच्चों के पास अभी स्मार्टफोन इसलिए हैं क्यूँकि उनके माता पिता घर पर हैं। शिक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर दिल्ली सरकार को समय मिल पाए, जिससे कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर एलेमेंटरी, सेकंडेरी और हायर सेकंडेरी शिक्षा की इंटरैक्टिव कक्षाएं लें और बच्चे उसी पाठ के आधार पर पढ़ाई कर सकें जो उनके स्कूल में फॉलो किया जाता है।