– नोटों की गुलाबी गड्डियों के बदले अपने दोस्तों को टेंडर देना केजरीवाल के राजनीति का अहम हिस्सा
नई दिल्ली, 11 सितम्बर 2022: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता और विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने एक संयुक्त प्रेसवार्ता कर दिल्ली सरकार द्वारा 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद में किये भ्रष्टाचार में सीबीआई जांच के आदेश जारी करने के लिए उपराज्यपाल के आदेश का स्वागत किया। प्रेसवार्ता में भाजपा नेताओं ने नियमों को ताख पर रखकर और सीवीसी रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए बसों के दिये टेंडर पर सवाल खड़े किये और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा इस पूरे भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग की। प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता सरदार आर पी सिंह, राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रमुख संजय मयूख और प्रदेश मीडिया रिलेशन के प्रभारी हरीश खुराना भी उपस्थित थे।
गौरव भाटिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार आज देश भर में अपनी पहचान एक भ्रष्ट पार्टी के रूप में बना चुकी है। नोटों की गुलाबी गड्डियों के बदले टेंडर देना केजरीवाल की राजनीति का अहम हिस्सा बन चुका है। दिल्ली के इतिहास में पहली बार हुआ है जब डीटीसी का चेयरमैन ऐसे आदमी को बनाया गया है जो पॉलिटिकल पार्टी से ताल्लुक रखता हो। उन्होंने आरोप लगाया कि लो फ्लोर बसों का टेंडर की बात केजरीवाल ने एल-1 कंपनी से करने की बजाय अपने खास लोगों की जेबीएम कम्पनी को टेंडर दिया ताकि मोटी कमाई होने में कोई समस्या न हो। जिसका भाजपा ने विधानसभा के अंदर और बाहर विरोध किया। लेकिन अपनी आदत से मजबूर केजरीवाल और उनकी पार्टी हर बार अपने ऊपर लगे आरोप पर जवाब देने की बजाय मुद्दे को भटकाने का काम किया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की सरकार स्वराज से शराब और फिर शराब से भ्रष्टाचार में इतनी डूब चुकी है कि अब उसे किसी की चिंता नहीं है। केजरीवाल का कोई भी काम बिना भ्रष्टाचार के नहीं होता। उसी कड़ी में एक और मामला लो फ्लोर बसों की खरीद फरोख्त में किया गया घोटाला भी जुड़ गया है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सीवीसी नहीं मानते बल्कि वे मानते हैं सिर्फ ’डीसीसी’ मतलब डायरेक्ट कैश कलेक्शन। आप का पाप सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहना है। केजरीवाल के लिए स्कीम से स्कैम तक का सफर काफी आसान हो गया है।
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि बस की कीमत 870 करोड़ रुपये लेकिन उसकी मरम्मत के नाम पर 3500 करोड़ रुपये निजी कंपनी को देने की बात तय हुई। मतलब ये बस, कंडक्टर, डिपो, सीएनजी और अन्य सब कुछ दिल्ली सरकार की लेकिन सिर्फ इसकी मरम्मत के लिए निजी कंपनी को 3500 करोड़ रुपये दिए गए जो पूरे टेंडर से चार गुना ज्यादा है।