Friday, December 20, 2024
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डीयू शिक्षकों के वेतन मामले पर आमने सामने आप-भाजपा और फोरम

डीयू शिक्षकों के वेतन मामले पर आमने सामने आप-भाजपा और फोरम

– दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को नहीं मिली सैलरी : आप
– केजरीवाल सरकार ने ढाई माह पहले दे दिए 100 करोड़ रुपए
– कालेज शिक्षकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही केजरीवाल सरकार : भाजपा
– जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक बयानबाजी करती है केजरीवाल सरकार
– 12 कॉलेजों के फंड कट पर फोरम ने लिखा उपराज्यपाल को पत्र  

नई दिल्ली, 2 सितंबर 2023

दिल्ली सरकार में नौकरशाही की मनमानी का एक और उदाहरण सामने आया है। शिक्षा मंत्री आतिशी ने करीब ढाई माह पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी के लिए 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था, लेकिन वो पैसा यूनिवर्सिटी तक नहीं पहुंचा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजीव झा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया और जानबूझ कर सैलरी देने में देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 19 जून को ही शिक्षा मंत्री ने 100 करोड़ स्वीकृत कर दिया था, लेकिन वित्त सचिव द्वारा यूनिवर्सिटी को पैसा जारी नहीं किया गया। शिक्षा मंत्री ने 25 अगस्त को भी वित्त सचिव को एक चिट्ठी लिखकर तत्काल फंड जारी करने का निर्देश दिया। फिर भी शिक्षकों को सैलरी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी है। इसलिए सैलरी रोक कर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। हम अपील करते हैं कि शिक्षा मंत्री के पत्र का वित्त सचिव संझान लें और यथा शीघ्र शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी जारी करें। इस दौरान एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा के साथ राजपाल, नरेंद्र पांडे, प्रेम चंद और सीमा दास भी मौजूद रहे। वहीं, एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा ने कहा कि डीयू के शिक्षकों की सैलरी रोक कर घटिया राजनीति करने वाले बताएं कि इससे उनको क्या मिल रहा है? जानबूझ कर सैलरी देने में देर की जा रही है, ताकि शिक्षक- कर्मचारी तड़पें, इस पर एडीटीए खामोश नहीं बैठेगा।

विधायक संजीव झा ने कहा कि 25 अगस्त को शिक्षा मंत्री द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बावजूद अभी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सैलरी नहीं मिली है। सैलरी न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। सैलरी देने में इतनी देर करने का कोई कारण भी समझ नहीं आ रहा है। शिक्षा मंत्री ने हाईकोर्ट को बताया है कि सरकार ने फंड स्वीकृत कर दिया है लेकिन वित्त सचिव के स्तर पर वो फंड जारी नहीं हो पा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने वित्त सचिव को नोटिस दिया है। मुझे लगता है कि सैलरी में देरी करके केजरीवाल सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा से सबसे ज्यादा प्राथमिकता दिया है। हमारे ऊपर चाहे जो भी आरोप लगाना हो, लगाएं, लेकिन इससे शिक्षकों का नुकसान नहीं होना चाहिए। यह बहुत गंदी राजनीति है। आजादी के बाद से अब तक के इतिहास में यह कहीं नहीं देखा गया कि मंत्री फंड स्वीकृत कर दे और वित्त सचिव उसे रोक दे। 

– कालेज शिक्षकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही आप सरकार : प्रवीण शंकर
दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि केजरीवाल सरकार सरकारी कालेजों के अध्यापकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही है, बिना प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करे सरकारी कालेजों के फंड की घोषणा करती है और फिर जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक ब्यानबाजी करती है। आम आदमी पार्टी शिक्षा एवं शिक्षक सम्मान पर केवल खोखली बातें करने वाली पार्टी है जिसकी सरकार की शिक्षा मंत्री से लेकर पार्टी प्रवक्ता तक सब केवल शिक्षा व्यवस्था सुधार के दावे करते हैं पर जमीन पर कुछ नही करते। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इसके अनेक प्रमाण है जैसे गेस्ट टीचर्स का नियमितीकरण ना करके उनके जीवन से खिलवाड़, स्कूलों के अस्थाई शिक्षकों का वेतन रोके रखना और सबसे ऊपर गत 8 साल से दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण फंडिड कालेजों को वेतन के लिए परेशान रखना।

प्रवक्ता कपूर ने कहा कि गत 8 वर्ष में अनेक बार ऐसी स्थिति आई है कि जब इन 12 कॉलेज के अध्यापकों को ही पूरे स्टाफ को 6 -7 महीने तक वेतन नहीं मिला है। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हों या वर्तमान शिक्षा मंत्री आतिशी सब की इन कॉलेज अध्यापकों के प्रति चिंता केवल दिखावा मात्र है। असल में इन कालेज अध्यापकों को वेतन एवं कालेजों को फंड देने की एक तय प्रक्रिया है जिसका पालन अरविंद केजरीवाल सरकार राजनीतिक द्वेष से नहीं करती। यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि केजरीवाल सरकार सरकारी कालेजों के अध्यापकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही है, बिना प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करे सरकारी कालेजों के फंड की घोषणा करती है और फिर जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक ब्यानबाजी करती है।

– 12 कॉलेजों के फंड कट पर फोरम ने लिखा उपराज्यपाल को पत्र  
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के फंड कट पर चिंता जताई है और उनसे मांग की है कि कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन और अन्य बकायों के भुगतान के लिए पिछले महीने 100 करोड़ की जो राशि जारी की है वह अपर्याप्त है। फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने आरोप लगाते हुए बताया है कि देखने में आया है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से उनके द्वारा शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिला। उनका यह भी कहना है कि जो राशि दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग से जारी हुई है वह अभी तक कॉलेजों में नहीं पहुंची है। इसलिए सरकार को सभी मदों के भुगतान के लिए कॉलेजों को क्वाटरली राशि जारी करनी चाहिए। उन्होंने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में बताया है कि शिक्षकों की प्रमोशन हुए डेढ़ साल हो चुका है लेकिन एरियर का भुगतान नहीं किया गया। इसलिए शिक्षकों को एरियर का भुगतान ब्याज सहित दिया जाए।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि देखने में आया है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से उनके द्वारा शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिला। पिछले कई वर्षों से दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेज गहन आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन के लिए भी कई-कई महीनों इंतजार करना पड़ता है। सरकार जो इंस्टॉलमेंट भेजती है उससे पहले की सैलरी ही मिल पाती है बाकी फिर कई महीनों इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया है कि जिन शिक्षकों की सालभर पहले पदोन्नति हुई थीं उनके एरियर का भुगतान पर्याप्त पैसा न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा है। डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि मेडिकल बिलों का भुगतान, सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन, एलटीसी और चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस जैसे जरूरी भुगतान भी समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। 

– दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को नहीं मिली सैलरी : आप
– केजरीवाल सरकार ने ढाई माह पहले दे दिए 100 करोड़ रुपए
– कालेज शिक्षकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही केजरीवाल सरकार : भाजपा
– जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक बयानबाजी करती है केजरीवाल सरकार
– 12 कॉलेजों के फंड कट पर फोरम ने लिखा उपराज्यपाल को पत्र  

नई दिल्ली, 2 सितंबर 2023

दिल्ली सरकार में नौकरशाही की मनमानी का एक और उदाहरण सामने आया है। शिक्षा मंत्री आतिशी ने करीब ढाई माह पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी के लिए 100 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था, लेकिन वो पैसा यूनिवर्सिटी तक नहीं पहुंचा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं विधायक संजीव झा ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया और जानबूझ कर सैलरी देने में देरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 19 जून को ही शिक्षा मंत्री ने 100 करोड़ स्वीकृत कर दिया था, लेकिन वित्त सचिव द्वारा यूनिवर्सिटी को पैसा जारी नहीं किया गया। शिक्षा मंत्री ने 25 अगस्त को भी वित्त सचिव को एक चिट्ठी लिखकर तत्काल फंड जारी करने का निर्देश दिया। फिर भी शिक्षकों को सैलरी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा प्राथमिकता दी है। इसलिए सैलरी रोक कर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है। हम अपील करते हैं कि शिक्षा मंत्री के पत्र का वित्त सचिव संझान लें और यथा शीघ्र शिक्षकों व कर्मचारियों की सैलरी जारी करें। इस दौरान एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा के साथ राजपाल, नरेंद्र पांडे, प्रेम चंद और सीमा दास भी मौजूद रहे। वहीं, एडीटीए के राष्ट्रीय प्रभारी आदित्य मिश्रा ने कहा कि डीयू के शिक्षकों की सैलरी रोक कर घटिया राजनीति करने वाले बताएं कि इससे उनको क्या मिल रहा है? जानबूझ कर सैलरी देने में देर की जा रही है, ताकि शिक्षक- कर्मचारी तड़पें, इस पर एडीटीए खामोश नहीं बैठेगा।

विधायक संजीव झा ने कहा कि 25 अगस्त को शिक्षा मंत्री द्वारा लिखी गई चिट्ठी के बावजूद अभी तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सैलरी नहीं मिली है। सैलरी न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। सैलरी देने में इतनी देर करने का कोई कारण भी समझ नहीं आ रहा है। शिक्षा मंत्री ने हाईकोर्ट को बताया है कि सरकार ने फंड स्वीकृत कर दिया है लेकिन वित्त सचिव के स्तर पर वो फंड जारी नहीं हो पा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने वित्त सचिव को नोटिस दिया है। मुझे लगता है कि सैलरी में देरी करके केजरीवाल सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को हमेशा से सबसे ज्यादा प्राथमिकता दिया है। हमारे ऊपर चाहे जो भी आरोप लगाना हो, लगाएं, लेकिन इससे शिक्षकों का नुकसान नहीं होना चाहिए। यह बहुत गंदी राजनीति है। आजादी के बाद से अब तक के इतिहास में यह कहीं नहीं देखा गया कि मंत्री फंड स्वीकृत कर दे और वित्त सचिव उसे रोक दे। 

– कालेज शिक्षकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही आप सरकार : प्रवीण शंकर

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि केजरीवाल सरकार सरकारी कालेजों के अध्यापकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही है, बिना प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करे सरकारी कालेजों के फंड की घोषणा करती है और फिर जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक ब्यानबाजी करती है। आम आदमी पार्टी शिक्षा एवं शिक्षक सम्मान पर केवल खोखली बातें करने वाली पार्टी है जिसकी सरकार की शिक्षा मंत्री से लेकर पार्टी प्रवक्ता तक सब केवल शिक्षा व्यवस्था सुधार के दावे करते हैं पर जमीन पर कुछ नही करते। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इसके अनेक प्रमाण है जैसे गेस्ट टीचर्स का नियमितीकरण ना करके उनके जीवन से खिलवाड़, स्कूलों के अस्थाई शिक्षकों का वेतन रोके रखना और सबसे ऊपर गत 8 साल से दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण फंडिड कालेजों को वेतन के लिए परेशान रखना।

प्रवक्ता कपूर ने कहा कि गत 8 वर्ष में अनेक बार ऐसी स्थिति आई है कि जब इन 12 कॉलेज के अध्यापकों को ही पूरे स्टाफ को 6 -7 महीने तक वेतन नहीं मिला है। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हों या वर्तमान शिक्षा मंत्री आतिशी सब की इन कॉलेज अध्यापकों के प्रति चिंता केवल दिखावा मात्र है। असल में इन कालेज अध्यापकों को वेतन एवं कालेजों को फंड देने की एक तय प्रक्रिया है जिसका पालन अरविंद केजरीवाल सरकार राजनीतिक द्वेष से नहीं करती। यह कहना अतिशयोक्ति ना होगा कि केजरीवाल सरकार सरकारी कालेजों के अध्यापकों की भावनाओं से लगातार खिलवाड़ कर रही है, बिना प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन करे सरकारी कालेजों के फंड की घोषणा करती है और फिर जब वेतन नहीं देती तो राजनीतिक ब्यानबाजी करती है।

– 12 कॉलेजों के फंड कट पर फोरम ने लिखा उपराज्यपाल को पत्र  

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली के उपराज्यपाल को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के फंड कट पर चिंता जताई है और उनसे मांग की है कि कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन और अन्य बकायों के भुगतान के लिए पिछले महीने 100 करोड़ की जो राशि जारी की है वह अपर्याप्त है। फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने आरोप लगाते हुए बताया है कि देखने में आया है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से उनके द्वारा शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिला। उनका यह भी कहना है कि जो राशि दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विभाग से जारी हुई है वह अभी तक कॉलेजों में नहीं पहुंची है। इसलिए सरकार को सभी मदों के भुगतान के लिए कॉलेजों को क्वाटरली राशि जारी करनी चाहिए। उन्होंने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में बताया है कि शिक्षकों की प्रमोशन हुए डेढ़ साल हो चुका है लेकिन एरियर का भुगतान नहीं किया गया। इसलिए शिक्षकों को एरियर का भुगतान ब्याज सहित दिया जाए।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि देखने में आया है कि जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है तब से उनके द्वारा शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन समय पर नहीं मिला। पिछले कई वर्षों से दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेज गहन आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन के लिए भी कई-कई महीनों इंतजार करना पड़ता है। सरकार जो इंस्टॉलमेंट भेजती है उससे पहले की सैलरी ही मिल पाती है बाकी फिर कई महीनों इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने यह भी बताया है कि जिन शिक्षकों की सालभर पहले पदोन्नति हुई थीं उनके एरियर का भुगतान पर्याप्त पैसा न मिलने के कारण नहीं हो पा रहा है। डॉ. सुमन ने यह भी बताया है कि मेडिकल बिलों का भुगतान, सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन, एलटीसी और चिल्ड्रन एजुकेशन अलाउंस जैसे जरूरी भुगतान भी समय पर नहीं मिल पा रहे हैं। 

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