- फर्जीवाड़ा कर पास किया गया था नक्शा
- पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद एमसीडी अब केंद्र सरकार के अधीन है तो भ्रष्टाचार का पैसा किसकी जेब में जा रहा है?
- सरल में 100 गज तक की इमारत के नक्शे पास होते हैं, यह इमारत 100 गज से बड़ी थी तो नक्शा कैसे पास हो गया?
- दिल्ली में एक लेंटर डालने के 5 से 7 लाख लिए जाते हैं, भ्रष्टाचार की वजह से ही एमसीडी के भ्रष्ट अधिकारियों ने आंख बंद कर लीं
- पिछले 4 सालों में 5 हादसे हो चुके हैं, सिर्फ एमसीडी की लापरवाही की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं: सोमदत्त
हरिभूमि न्यूज नई दिल्ली
एमसीडी के भ्रष्टाचार की वजह से एक और निर्माणाधीन इमारत गिर गई। इस इमारत का नक्शा फर्जीवाड़ा कर पास किया गया था। पार्षदों का कार्यकाल खत्म होने के बाद एमसीडी अब केंद्र सरकार के अधीन है तो भ्रष्टाचार का पैसा किसकी जेब में जा रहा है? आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान यह आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरल योजना के अंतर्गत 100 गज तक की इमारत के नक्शे पास होते हैं। यह इमारत 100 गज से बड़ी थी तो नक्शा कैसे पास हो गया? उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक लैंटर डालने के 5 से 7 लाख लिए जाते हैं। भ्रष्टाचार की वजह से ही एमसीडी के भ्रष्ट अधिकारियों ने आंख बंद कर लीं। विधायक सोमदत्त ने कहा कि पिछले 4
सालों में 5 हादसे हो चुके हैं। सिर्फ एमसीडी की लापरवाही की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इस दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व नेता विपक्ष विकास गोयल मौजूद रहे।
- केंद्र सरकार के आने के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आया है: भारद्वाज
विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मेरे घर के पड़ोस में एक इमारत बन रही थी। वह इमारत अचानक से झुक गई। लोगों में हाहाकार मच गया कि इमारत जो झुकी, उसका कोई नक्शा पास नहीं था। उसे जो बिल्डर बना रहा था, उसने नीचे लोहे के जैक लगा दिए। वह जैक भी मुड़ गए। मैंने एक्सईएन को फोन करके उस इमारत को गिराया कि लोग मर जाएंगे। उस इमारत को लेकर अभी तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई कि इस तरह की खतरनाक इमारत को कौन बना रहा था। यह एमसीडी का पूरा रवैया है। एमसीडी के पार्षदों के जाने के बाद और केंद्र सरकार के आने के बाद इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है।
- बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों के चल रहा था काम, जांच की जरूरत है : सोमदत्त
स्थानीय विधायक सोमदत्त ने कहा कि यह आज सुबह की बहुत बड़ी खतरनाक घटना है। आजाद मार्केट के शीश महल इलाके में निर्माणाधीन 4 मंजिला इमारत गिर गई। यह तीनों तरफ से ओपन थी। सुबह का समय था और इमारत निर्माणाधीन थी तो मजदूर सुबह-सुबह आए थे। अभी वहां पर मलबा निकाला जा रहा है। करीब 5 लोगों को हिंदूराव अस्पताल ले जाया गया है। बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों के वहां पर काम चल रहा था। इसकी जांच करने की जरूरत है। पूर्व मेयर जयप्रकाश के वार्ड 80 सदर बाजार में यह घटना हुई है। पिछले 4 सालों में 5 हादसे हो चुके हैं। सिर्फ एमसीडी की लापरवाही की वजह से कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। - केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम की देखरेख कर रही है: भारद्वाज
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के अंदर मार्च 2022 में नगर निगम के चुनाव होने थे। केंद्र सरकार ने भांपा कि दिल्ली के लोग भाजपा को वोट देने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं। भाजपा की हार निश्चित है। दिल्ली में पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो गया। अब दिल्ली नगर निगम सीधे केंद्र सरकार की अधीन है। केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम की देखरेख कर रही है। दिल्ली के सदर बाजार स्थित शीशमहल क्षेत्र में आज एक इमारत अपने ही वजन से गिर गई। निर्माणाधीन इमारत का नक्शा सरल योजना में फ्रॉड करके पास कराया गया। क्योंकि सरल में 100 गज तक की इमारत के नक्शे पास होते हैं। यह इमारत 100 गज से बडी थी तो सरल में नक्शा कैसे पास हो गया? भवन विभाग के एक्सईएन ने क्यों ध्यान नहीं दिया? चार मंजिला इमारत बनाने के बाद बेसमेंट खोदा जा रहा था। क्या कभी ऐसा हुआ है कि चार मंजिल बनाने के बाद बेसमेंट खोदा आ जाए? एमसीडी के एक्सईएन, एई और जेई के संज्ञान में यह बात ना आई हो, ऐसा संभव ही नहीं है। उनका निर्माणाधीन इमारत पर जाना कर्तव्य है। - पैसे का लेनदेन हुआ है और मोटी रिश्वत ली गई: भारद्वाज
भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि एमसीडी के लोग पैसे लेने के लिए निर्माणाधीन इमारत पर ना जाएं, यह संभव नहीं हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि पैसे का लेनदेन हुआ है और मोटी रिश्वत ली गई। जिसके कारण एमसीडी के भ्रष्ट अधिकारियों ने आंख बंद कर ली। मलबे के नीचे 3 लोग दब कर मर गए हैं। मगर अभी तक पुलिस की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई लोग इसके अंदर दबे थे जिन लोगों को अस्पताल ले जाया गया है। सवाल यह है कि दिल्ली के अंदर अब पार्षद भी नहीं हैं और भवन विभाग करोड़ों रुपए इकट्ठा कर रहा है। एक लेंटर के हिसाब से 5 से 7 लाख रुपए दिया जा रहा है। आखिर यह पैसा अब किसकी जेब में रहा है? अगर पैसा नहीं लिया जा रहा तो पूरी दिल्ली में गैरकानूनी इमारतें कैसे बनाई जा रही हैं? जाहिर सी बात है कि पैसा लिया जा रहा है। - दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई: पूर्व महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पूर्व महापौर जय प्रकाश का कहना है कि दिल्ली नगर निगम सब कुछ पारदर्शिता के साथ कर रही है। ऐसे में यदि कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उस पर निगम प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए और दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। - संपत्ति को सरल योजना के अंतर्गत दी गई थी अनुमति: एमसीडी
दिल्ली नगर निगम ने घटना के बाद अपना पक्ष रखा। निगम प्रशासन ने बताया कि भवन विभाग ने संपत्ति संख्या 749, शीश महल आजाद मार्केट में स्थित संपत्ति की भवन योजना को अनुमति प्रदान की थी। संपत्ति का कुल क्षेत्रफल 81.64 वर्ग मीटर है। संपत्ति की भवन योजना को अनुमति आईडी नं 10098049, सरल योजना के अंतर्गत अनुमति प्रदान की गई थी। भवन योजना के अनुसार भूतल, प्रथम तल, द्वितीय तल एवं तृतीय तल पर निर्माण की अनुमति दी गई थी। संपत्ति के निरीक्षण के दौरान निर्माण स्थल पर योजना से इतर कोई भी निर्माण नहीं पाया गया। प्रथम दृष्टया प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पाया गया कि भवन निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग किया जा रहा था एवं निर्माणाधीन भवन में क्षमता से अधिक निर्माण सामग्री जमा करके उस पर बोझ डाला गया जिस कारण वह भवन गिर गया। बाकी भवन के गिरने का सही कारण मलबे को हटाने के पश्चात ही ज्ञात किया जा सकेगा। दिल्ली नगर निगम ने अपने कार्यबल एवं मशीन गिरे हुए भवन के स्थान पर मलबा हटाने के लिए लगा दी हैं। निगम ने 10 टाटा एस ट्रक मलबे की ढुलाई के लिए लगाए हैं। मेंटेनेंस विभाग/डेंजरस भवन विभाग के मजदूरों को मलबा हटाने के कार्य में लगाया गया है। अभी तक घटना स्थल से किसी की भी मृत्यु की सूचना नहीं मिली है।