- दिल्ली सरकार द्वारा साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति देने या फिर उनसे जुड़े परिवारों को साप्ताहिक भत्ता देने की मांग करते हुए आज नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं और साप्ताहिक बाजार दुकानदारों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया
- अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीरे दिल्ली सरकार ने सभी व्यापारिक गतिविधियों को वापस खुलने का मौका दिया लेकिन मेहनत करके रोजी-रोटी कमाने वालों के लिए साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति अभी तक नहीं दी है
- साप्ताहिक बाजारों के माध्यम से 3.5 लाख लोग मेहनत करके रोजी-रोटी कमाते हैं लेकिन केजरीवाल सरकार को उनकी कोई परवाह नहीं ह
- एक ओर मोदी सरकार है जो गरीब लोगों के हक में कदम उठा रही है तो दूसरी ओर केजरीवाल सरकार है जो इस संकट के समय में गरीबों को राहत देने के बजाय उनसे राहत छीनने का काम कर रही है
- जिस तरह से होटल, शराब के ठेके, रेस्तरां, जिम खोलने की अनुमति दी गई है उसी प्रकार से केजरीवाल सरकार को साप्ताहिक बाजार खोलने की भी अनुमति देनी चाहिए
- हम यहा मांग करते कि यदि साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति नहीं मिलती है तो दिल्ली सरकार साप्ताहिक बाजार से जुड़े दुकानदारों को 5000 रुपए प्रति सप्ताह देने का प्रावधान करें ताकि सप्ताहिक बाजार से जुड़े 3.5 लाख छोटे छोटे दुकानदार अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कर सक
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार द्वारा 2700 स्थानों के साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति देने या फिर उनसे जुड़े परिवारों को साप्ताहिक भत्ता देने की मांग करते हुए बुधवार को दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का संयोजन साप्ताहिक बाजार यूनियन संरक्षक एवं प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने किया। इस प्रदर्शन में दक्षिणी दिल्ली जिलाध्यक्ष रोहताश बिधूड़ी, सहित साप्ताहिक बाजार के माध्यम से रोजी-रोटी कमाने वाले कामगारों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन के पश्चात नेता प्रतिपक्ष बिधूड़ी व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष बब्बर के नेतृत्व में साप्ताहिक बाजार के दुकानदारों के प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक ज्ञापन भी सौंपा।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि साप्ताहिक बाजार बंद होने से दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर लगने वाले 2700 बाजारों से जुड़े 3.5 लाख परिवारों पर आर्थिक संकट छाया हुआ है। अनलॉक की प्रक्रिया में धीरे-धीरे दिल्ली सरकार ने सभी व्यापारिक गतिविधियों को वापस खुलने का मौका दिया यहां तक की शराब के ठेके खोलने की भी अनुमति दी गई लेकिन मेहनत करके साप्ताहिक बाजार के जरिए रोजी-रोटी कमाने वालों के लिए दिल्ली सरकार ने साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति अभी तक नहीं दी है। साप्ताहिक बाजारों के माध्यम से 3.5 लाख लोग मेहनत करके रोजी-रोटी कमाते हैं, लेकिन केजरीवाल सरकार को उनकी कोई परवाह नहीं है।
बिधूड़ी ने कहा कि जो सरकार रोजगार नहीं दे सकती उसे रोजगार छीनने का भी कोई अधिकार नहीं है, इसलिए केजरीवाल सरकार को जल्द से जल्द साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति देनी चाहिए ताकि 3.5 लाख लोगों का रोजगार फिर से शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि 2014 में ही केंद्र सरकार ने स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत राज्य सरकारों को निर्देशित किया था कि रेहड़ी-पटरी पर काम करने वाले लोगों को स्टॉल बना कर दिए जाए जिससे कि वह इज्जत से रोजी-रोटी कमा सकें लेकिन 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने आज तक एक भी स्टॉल बनवाकर नहीं दिया। कोरोना संकट के समय मोदी सरकार ने दिल्ली सरकार को दिल्ली के लगभग 72 लाख गरीब लोगों के लिए मुफ्त में राशन उपलब्ध करवाया लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक ने उस राशन को ब्लॉक मार्केट में बेचकर लाखों रूपये कमाए और बचे हुए राशन को सड़ने दिया लेकिन गरीबों के लिए मिले राशन को गरीबों तक पहुंचने ही नहीं दिया। एक ओर मोदी सरकार है जो गरीब लोगों के हक में कदम उठा रही है तो दूसरी ओर केजरीवाल सरकार है जो इस संकट के समय में गरीबों को राहत देने के बजाय उनसे राहत छीनने का काम कर रही है।
राजीव बब्बर ने कहा कि 7 माह से बंद पड़े साप्ताहिक बाजारों के कारण उससे जुड़े लोगों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। जिस तरह से होटल, शराब के ठेके, रेस्तरां, जिम खोलने की अनुमति दी गई है उसी प्रकार से केजरीवाल सरकार को साप्ताहिक बाजार खोलने की भी अनुमति देनी चाहिए। साप्ताहिक बाजार से जुड़े दुकानदार दिल्ली सरकार को आश्वस्त करते हैं कि साप्ताहिक बाजार खोलने की अनुमति मिलने पर सभी व्यवहारिक नियमों का पालन कर अपने बाजार को लगाएंगे। अगर दिल्ली सरकार को इसमें कोई संदेह है तो हम यह मांग करते हैं कि दिल्ली सरकार साप्ताहिक बाजार से जुड़े दुकानदारों को 5000 रुपए प्रति सप्ताह देने का प्रावधान करें ताकि सप्ताहिक बाजार से जुड़े 3.5 लाख छोटे-छोटे दुकानदार अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें।