- उपमुख्यमंत्री अखबारों को इंटरव्यू देकर सरकारी स्कूलों की तुलना प्राइवेट स्कूलों से कर रहे हैं, लेकिन 2019 इकनॉमिक सर्वे पर कोई जवाब नहीं देते
- सिर्फ दो व तीन स्कूलों की तस्वीर दिखाकर दिल्ली में शिक्षा क्रांति लाने का दावा करती रहती है केजरीवाल सरकार
- हकीकत यह है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है, बीते 4 सालों में सरकारी स्कूलों में डेढ़ लाख बच्चे कम हो गए
नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने शुक्रवार को बयान जारी कर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के सरकारी स्कूलों को लेकर किए गए दावों की पोल खोल कर रख दी। उन्होंने कहा कि सिसोदिया अखबारों को इंटरव्यू देकर कह रहे हैं कि सरकारी स्कूल इतने सक्षम हैं कि प्राइवेट स्कूल के बच्चों को लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन हकीकत यह है कि लोगों का दिल्ली के सरकारी स्कूलों से भरोसा उठ रह रहा है। इतना ही नहीं पिछले चार सालों में डेढ़ लाख बच्चे सरकारी स्कूलों से कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह सब केजरीवाल सरकार की गलत नीतियों का नतीजा है। केजरीवाल सरकार सिर्फ दो- तीन स्कूलों की फोटो दिखाकर दिल्ली में शिक्षा क्रांति लाने का दावा करती रहती है, जबकि हकीकत से दिल्ली की जनता बखूबी वाकिफ है।
गुप्ता ने कहा दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है। हालत यह है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों को छोड़कर लोग प्राइवेट स्कूलों का रुख कर रहे हैं। उन्होंने मनीष सिसोदिया के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा कि वह कहते थे कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन कराने के लिए लोग रिश्वत देने को तैयार हैं, लेकिन सरकारी आंकड़े की बताते हैं कि जहां पिछले 4 सालों में प्राइवेट स्कूलों में ढाई लाख बच्चे बढ़े हैं वहीं सरकारी स्कूलों में डेढ़ लाख बच्चे कम हुए हैं। 2019 में आए इकॉनोमिक सर्वे के अनुसार दिल्ली में 2013- 14 में 992 सरकारी स्कूल थे, जहां 16 लाख से अधिक बच्चें पढ़ते थे। 2017-2018 में 27 नए सरकारी स्कूल बनने के बावजूद बच्चों की संख्या 14 लाख पर आ गई। जबकि इस दौरान 558 प्राइवेट स्कूल बंद होने के बावजूद प्राइवेट स्कूलों में 2 लाख 68 हजार बच्चे बढ़ गए।
गुप्ता ने बताया कि 2019 इकॉनोमिक सर्वे की रिपोर्ट यह भी बताती है कि बीते 4 सालों में सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ने के बावजूद बच्चियों के नामांकन में जहां 33 हजार की कमी आई है वहीं प्राइवेट स्कूलों में की संख्या घटने के बाद भी बच्चियों के नामांकन में सवा लाख का इजाफा हुआ। गुप्ता ने यह भी बताया कि एक तरफ दिल्ली सरकार इस बार 12वीं के सीबीएसई रिजल्ट के बाद जहां ढेरों विज्ञापन देती है वहीं दसवीं के रिजल्ट आते ही सांप सूंघ जाता है और बिल में छिप जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि केजरीवाल सरकार ने 500 नए स्कूल बनाने का वादा दिया था, लेकिन एक आरटीआई में जवाब दिया गया कि 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2019 तक केजरीवाल सरकार ने सिर्फ 1 ही स्कूल स्वीकृत किया। गुप्ता ने कहा कि बीते 5 सालों में सिर्फ दो-चार स्कूलों में ही स्विमिंग पूल, जिम बनवाकर सरकारी स्कूलों में सुविधाएं देने का दावा किया जा रहा है। मॉडल स्कूल प्रोजेक्ट के तहत भी सिर्फ 5 फीसदी स्कूलों में काम हुआ है। ऐसे में 95 फीसदी बच्चे आज भी जर्जर स्कूलों व पुरानी व्यवस्थाओं के तहत ही पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार सिर्फ झूठ बोलना जानती है।