- श्रीश्री 1008 जगद्गुरु परमहंसाचार्य स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज
- लेकिन जो व्यक्ति अपनो के लिए जीता है, वो सर्वश्रेष्ठ कहलाता है
नई दिल्ली।
सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को आगे आकर राष्ट्र कल्याण में अपना योगदान देना होगा, इतना ही नहीं जात-पात से ऊपर उठकर शास्त्र के साथ साथ आत्मरक्षा के लिए शस्त्र भी रखना होगा। ये उद्गार अखिल भारतीय आध्यात्मिक विकास संघ, स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित जगद्गुरू अभिषेक समारोह के अवसर पर श्रीश्री 1008 जगद्गुरु परमहंसाचार्य स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज ने पदवी धारण पश्चात अपने उद्गार व्यक्त किए। शिव शक्ति मंदिर, आर.के.पुरम, सेक्टर -8, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि हमें भारतवर्ष में धर्मांतरण और नशे पर रोक लगाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य करना होगा। प्रभात फेरी, गंगाजल संकल्प और भव्य कथाओ के माध्यम से हमें मानव जीवन को सुखद बनाने की दिशा में काम करना होगा।
महाराज श्री ने कहा कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, लेकिन जो व्यक्ति अपनो के लिए जीता है, वो सर्वश्रेष्ठ कहलाता है। इससे पूर्व काशी विद्वत परिषद के 11 वेदपाठी बाल ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों द्वारा स्वामी दयानंद सरस्वती का अभिषेक कर उन्हें श्रीश्री 1008 जगद्गुरु परमहंसाचार्य स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज की उपाधि से विभूषित कर उन्हें नया नाम दिया गया। इस अवसर पर परिषद के अध्यक्ष वेद ऋषि प्रो. हरिनारायण तिवारी, महामंत्री आध्यात्मिक गुरु राजेश्वराचार्य संस्कृतम, स्वामी प्रशांत पुरी, स्वामी दिव्यानंद गिरि, साध्वी अपूर्व चेतना, स्वदेशी जागरण मंच से कश्मीरी लाल, लक्ष्मण, सत्यनारायण सुरेश सेन, शंकर, अनिल कुमार सहित महिला संकीर्तन मंडल की सुनीता, रेनू, नेहा, निशा, प्रिया, माया के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र से भी हजारों की संख्या में उनके अनुयायी कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित थे। कार्यक्रम उपरांत आरती, प्रसाद व भंडारे का भी वितरण किया गया।