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दिल्ली नगर निगम को प्लास्टिक कचरा दें, बदले में आकर्षक उपहार पाए

–  दिल्ली नगर निगम ने प्लास्टिक संग्रहण के लिए क्यूआर कोड आधारित प्लास्टिक संग्रहण सेवा लांच की

नई दिल्ली, 13 जुलाई 2022: दिल्ली नगर निगम ने स्वयंभू संस्था के सहयोग से प्लास्टिक कचरे के संग्रहण की दिशा में अहम पहल की है। निगम के करोल बाग क्षेत्र ने निवासियों के लिए क्यू आर कोड आधारित ‘प्लास्टिक पिक-अप चैट बॉट’ की सुविधा शुरू की है। इसकी मदद से लोग घर बैठे अपना प्लास्टिक कचरा दिल्ली नगर निगम को सौंप सकते हैं और बदले में आकर्षक उपहार पा सकते हैं। दिल्ली नगर निगम के विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ने निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में इस पहल का शुभारम्भ किया। इस मौके पर करोल बाग क्षेत्र की उपायुक्त शशांका आला और निगम के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।  

‘प्लास्टिक पिक-अप चैट बॉट’ सुविधा का शुभारम्भ करते हुए विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार ने कहा कि निगम की यह पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस सुविधा को निगम के अन्य क्षेत्रों में लागू करने का प्रयास करेंगे। कुमार ने कहा कि इस पहल के माध्यम से प्लास्टिक कचरे की समस्या का बेहतर समाधान करने में मदद मिलेगी और प्लास्टिक को लैंडफिल साइट पर पहुंचने से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरा लैंडफिल के साथ-साथ शहर की सफाई व ड्रेनेज सिस्टम के लिए भी बड़ी चुनौती है। कुमार ने कहा कि घर से प्लास्टिक कचरे के संग्रहण की सुविधा को क्यूआर कोड के अलावा अन्य माध्यमों से भी जोड़ना चाहिए। इससे अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकेंगे और प्लास्टिक कचरे का समुचित व बेहतर निस्तारण हो सकेगा।

योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए उपायुक्त शशांक आला ने बताया कि लोग निगम द्वारा जारी क्यू आर कोड को स्कैन कर चैट बॉट शुरू कर सकते हैं। यह नागरिकों से उनका नाम, मोबाइल नंबर और प्लास्टिक पिकअप करने का स्थान पूछेगा। जिसके बाद 48 घंटे के भीतर निगम द्वारा अधिकृत ‘स्वयंभू’ संस्था का प्रतिनिधि घर से ही प्लास्टिक कूड़ा संग्रहित करेगा। उपायुक्त आला ने बताया कि निगम द्वारा मार्केट एसोसिएशन के कार्यालय, रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन और अन्य प्रमुख स्थानों पर क्यू आर कोड स्टिकर लगाए जाएंगे ताकि लोग आसानी से इस सुविधा का इस्तेमाल कर सके। आला ने लोगों से लोगों से अधिक से अधिक इस सुविधा का लाभ उठाने की अपील की। इन्होंने कहा कि प्लास्टिक के बेहतर निस्तारण से इससे होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।    

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