नई दिल्ली, 4 जुलाई 2022: दिल्ली देहात के नरेला स्थित 200 बिस्तरों वाले सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल की चिकित्सा सेवाएं रसातल में चली गई है। कोविड के बाद कई विभाग बंद कर दिए गए हैं सभी ऑपरेशन थिएटर बंद है, सर्जरी बंद है। यहां तक की प्रसव काल में डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं को भी अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। कई बार रैफर किए गंभीर रोगी रास्ते में ही दम तोड़ देते है। स्थानीय नागरिकों ने सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल बचाओ अभियान संघर्ष समिति का गठन कर जगह जगह चौपाल लगाकर वोलेंटियर बना रही है जो आगामी दिनों सरकार के विरोध में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करेंगे।
स्थानीय नागरिक नरेश गुप्ता, सुरेंदर पांचाल, धर्मपाल सिंह, अनिल कुशवाहा, आर के मौर्य ने सोमवार को उक्त बयान जारी कर कहा कि अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टरों का अभाव है जिसके कारण आम लोगों को अपने स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मारे मारे फिरना पड़ता है। अस्पताल वर्ष 2003 में खुलने से यह उम्मीद बंधी थी कि नजदीक में ही आम लोगों को इलाज मिल सकेगा लेकिन यह अस्पताल अभी तक एक बड़ी डिस्पेंसरी का ही रूप ले पाया है। आईसीयू, ट्रॉमा सेंटर, कार्डियोलॉजी विभाग आज तक भी नहीं बन पाया है। अस्पताल को अतिरिक्त 773 बेड बढ़ाकर इसमें ट्रॉमा सेंटर और कैंसर अस्तपाल में अपग्रेड करने का कार्य बंद कर दिया गया है।
आरोप है कि चिकित्सा अधीक्षक संजय जैन जो लंबे समय से अस्पताल में बैठे हैं उनके कार्यकाल में अस्पताल बदहाली का शिकार हो गया है। अस्पताल बचाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, उपराज्यपाल, क्षेत्रीय विधायक और चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर एक माह के अंदर इसकी चिकित्सा सेवाओं में सुधार की मांग की है जिसको लेकर समिति जगह जगह चौपाल लगा नागरिकों को वोलेंटिर बना रही है। यदि शीघ्र स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर नहीं किया गया तो तो समिति की अगुवाई में अस्पताल पर एक बड़ा धरना दिया जाएगा और यदि जरूरत पड़ी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री के दफ्तर पर भी विरोध प्रकट किया जाएगा। सुरेंद्र पांचाल ने बताया कि नरेला में 10 जगह पर चौपाल लगाकर वोलेंटियर बनाए जा रहे हैं। अगला कदम अस्पताल पर धरना दिया जाएगा। 773 बेड बढ़ाकर इसे अपग्रेड करने का कार्य बीच में बंद कर दिए गया है और फंड भी वापस कर दिया गया है।