- दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता गुरूवार को कांति नगर वार्ड में पहुंचे
- यहां धार्मिक स्थलों के पुजारियों के बीच राशन किट का वितरण किया और उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की
- केजरीवाल सरकार ने मौलवियों को वेतन देने का प्रावधान किया लेकिन अन्य धार्मिक स्थलों के पुजारियों को इस सुविधा से वंचित रखा
- दिल्ली सरकार से मेरा यह निवेदन है कि इस संकट के समय में तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करे
- अन्य धार्मिक स्थल के पंडित-पुजारियों को भी मासिक वेतन के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करें
नई दिल्ली : दिल्ली के कांति नगर वार्ड में दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने धार्मिक स्थलों के पुजारियों के लिए आयोजित राशन वितरण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस अवसर पर गुप्ता ने धार्मिक स्थलों के पुजारियों के बीच राशन किट के वितरण के साथ ही उन्हें वित्तीय सहायता भी प्रदान की। इस दौरान अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि क्या शांति का संदेश देने वाले दिल्ली के मंदिर और उनके पुजारी दिल्ली का हिस्सा नहीं? क्या दिल्ली सरकार ने एक बार भी नहीं सोचा कि अन्य धर्मों के पुजारियों को मासिक वेतन ना देकर उन्हें दिल्ली सरकार दोहरे आर्थिक संकट की ओर धकेल रही है? दिल्ली सरकार से मेरा यह निवेदन है कि इस संकट के समय में तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठकर अन्य धार्मिक स्थल के पंडित-पुजारियों को भी मासिक वेतन के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करें ताकि परेशानी के इस दौर में उन्हें भी मदद मिल सके। राशन वितरण कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष रूप से ध्यान रखा गया। इस अवसर पर शाहदरा जिला अध्यक्ष राम किशोर शर्मा, निगम पार्षद कंचन महेश्वरी सहित जिला व मंडल के पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुए इस संकट के समय में दिल्ली में सभी धर्म के पूजा स्थल बंद होने से पंडित-पुजारियों के आय का स्रोत भी बंद हो गया है और इन उपासना स्थलों पर पूजा-पाठ, प्रार्थना एवं भजन आदि करने वालों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट है। मस्जिद के इमामों को मिल रहे वेतन के तर्ज पर अन्य धार्मिक स्थलों के पुजारियों के लिए भी मासिक वेतन का प्रावधान होना चाहिए। पुजारियों की आय का मुख्य स्रोत श्रद्धालुओं से मिलने वाली दक्षिणा है लेकिन लॉक डाउन के कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार शादी-विवाह के आयोजन भी स्थगित हो जाने से भी इनकी आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। अगर इन्हें भी दिल्ली सरकार ने मासिक वेतन देने का कार्य किया होता तो आज परिस्थितियां कुछ और होती।
प्रदेश अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार हमेशा से धर्म विशेष की राजनीति करती आई है और यही कारण है कि केजरीवाल सरकार ने मौलवियों को वेतन देने का प्रावधान किया लेकिन अन्य धार्मिक स्थलों के पुजारियों को इस सुविधा से वंचित रखा। समय-समय पर अपने वोट बैंक को पुख्ता करने के लिए केजरीवाल सरकार ने मौलवियों के वेतन में वृद्धि भी की। लॉक डाउन की इतनी लंबी अवधि में भी दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पुजारियों-पंडितों की आर्थिक स्थिति को न ही जानने की कोशिश की और न ही दिल्ली सरकार की ओर से उन तक किसी भी प्रकार की मदद पहुंचाई गई।