– दिल्ली सरकार प्रतिमाह 21000 लीटर तक पानी की खपत करने वाले लाखों उपभोक्ताओं को मुफ्त पानी देने का दावा करती है, इसलिए उसे उस योजना के अनुरूप उन सभी आवासीय उपभोक्ताओं को शून्य बिल की देना चाहिए, जिन्हें गलत बिल जारी किए गए हैं
– सीएम केजरीवाल का यह बयान कि अगर दिल्लीवासी उन्हें 7 लोकसभा सीटें देते हैं तो वह पानी के बिलों का सेटलमेंट कर देंगे, एक मजाक है क्योंकि बिलों का सेटलमेंट दिल्ली सरकार को करना है जहां वह पहले से ही सत्ता में हैं लेकिन लोगों की मदद के लिए प्रशासनिक रूप से कुछ नहीं कर रहे हैं
नई दिल्ली 25 फरवरी : दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों को गुमराह करने की कला में माहिर हैं और उन्होंने अपनी सरकार की भ्रष्टाचार गाथाओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए पानी बिल निपटान का मुद्दा उठाया है। चूंकि वह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं और लोग सवाल उठा रहे हैं, इसलिए केजरीवाल ने खुद ही दिल्ली विधानसभा के विस्तारित बजट सत्र का दुरुपयोग करते हुए लोगों को अत्यधिक पानी के बिल मिलने का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है। सीएम केजरीवाल यह जान लें कि जरूरत है कि दिल्ली के लोग अच्छी तरह से समझते हैं कि जल बोर्ड घोटालों में डूबा हुआ है और वायु प्रवाह जल मीटर लगाने से कुछ लाख उपभोक्ताओं को अत्यधिक बिल मिलने की समस्या पैदा हुई है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि बीजेपी को दिल्ली सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को भेजे गए अत्यधिक पानी के बिलों का सेटलमेंट होने में कोई दिक्कत नहीं है।
जल बिल निपटान योजना पर दिल्ली भाजपा का रुख यह है कि चूंकि यह समस्या डीजेबी द्वारा गलत वायु प्रवाह मीटर लगाने के कारण हुई है, इसलिए बेहतर होगा कि दिल्ली जल बोर्ड एकमुश्त निपटान के रूप में सभी विवादित आवासीय उपभोक्ताओं को शून्य बिल जारी करे। सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रति माह 21000 लीटर तक पानी की खपत करने वाले लाखों उपभोक्ताओं को मुफ्त पानी देने का दावा करती है, इसलिए उसे उस योजना के अनुरूप उन सभी आवासीय उपभोक्ताओं को जीरो बिल देना चाहिए, जिन्हें गलत बिल जारी किए गए हैं। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि सीएम केजरीवाल का यह बयान कि अगर दिल्लीवासी उन्हें 7 लोकसभा सीटें देते हैं तो वह पानी के बिलों का सेटलमेंट कर देंगे, एक मजाक है क्योंकि बिलों का सेटलमेंट दिल्ली सरकार को करना है जहां वह पहले से ही सत्ता में हैं लेकिन लोगों की मदद के लिए प्रशासनिक तौर पर कुछ नहीं कर रहे हैं।