लैंडपूलिंग और DDA कानून में संशोधन का भी विरोध महापंचायत में किया – गांव की शक्ति को जातियों, गोत्रों और राजनैतिक खेमों में बांटकर ही सरकारों ने गांव को लूटा है – गांव वासियों की अर्थव्यवस्था तभी बचेगी और पनप सकती है जब 36 बिरादरी संगठित रहेंगी
नई दिल्ली, 5 सितम्बर 2022 : नानकहेडी गांव में महापंचायत का आयोजन, दिल्ली सरकार से स्ट्रीट चिल्ड्रन हास्टल निरस्त करने ओर गांव़ के स्कूल को बारहवीं तक अपग्रेड करने की मांगदक्षिण पश्चिम दिल्ली के नानक हेड़ी गांव में चल रहे एक सप्ताह से अधिक के धरने ने आज सैंकड़ों गांव की महापंचायत का रूप ले लिया, जो तीन घंटे से अधिक समय तक चली। सभी गांवों से आए प्रतिनिधियों ने हाथ उठा कर गांव के स्कूल को रोहिंगिया के बच्चों का हॉस्टल बनाने का पुरजोर विरोध किया। गांव द्वारा विरोध को पूर्ण समर्थन देते हुए, दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत के अध्यक्ष प्रोफेसर राजबीर सोलंकी ने कहा कि गांव की शक्ति को जातियों, गोत्रों और राजनैतिक खेमों में बांटकर ही सरकारों ने गांव को लूटा है।
गांव की सांस्कृतिक सामाजिक धरोवर के साथ साथ गांव वासियों की अर्थव्यवस्था तभी बचेगी और पनप सकती है जब 36 बिरादरी संगठित रहेंगी। कमजोर और वंचित ग्रामवासी को हम सब अपना मानकर सहारा देगें। दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत के उपाध्यक्ष बरवाला गांव निवासी दयानंद वत्स ने आह्वान किया कि ये तो छोटी लड़ाई है, जीत ली जाएगी। हमे सरकारों को यह चेतावनी देनी होगी कि हम अपनी ग्राम सभा भूमि पर गांव के लाभ के सिवाय किसी भी अनावसायक काम के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे। वत्स ने लैंडपूलिंग और DDA कानून में संशोधन का भी विरोध महापंचायत में किया।
दयानंद वत्स ने दिल्ली मूल ग्रामीण पंचायत द्वारा आंदोलन को पूरा समर्थन देने की घोषणा की। मुंडेला खुर्द से प्रोफ़ेसर अमित खर्ब ने किसान और वंचित समाज में राजनेताओं द्वारा लगातार बांटने की कोशिश के प्रति सचेत रहने की और महापंचायत को आगाह किया। गैर राजनैतिक प्लेटफॉर्म नेताओं को हमारी ताकत बताने के लिए आवशयक है। सभी ने फौजी सुरेंद्र से भूख हड़ताल समाप्त कर आंदोलन जारी रखने की प्रार्थना की। महापंचायत में बापरोला से मास्टर जोगिंदर सिंह, मुनिरका से रामकुमार टोकस, बुडेला से पारस त्यागी, बेरसराय से राजेंद्र पंवार, दिचाऊ से शिव कुमार शौकीन के अलावा हरियाणा और दिल्ली के सैंकड़ों गांव के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।