- – निगम वार्डों के परिसीमन ड्राफ्ट का दिल्ली कांग्रेस विरोध करती है और मांग करती है कि परिसीमन को तुरंत खारिज करके तर्कसंगत और न्यायसंगत वार्डों का परिसीमन किया जाऐ। – वार्डों के परिसीमन में हुई अनियमितताओं का विरोध जताने के लिए दिल्ली कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलेगा।- भाजपा के दबाव में चुनाव आयोग ने परिसीमन ड्राफ्ट में अधिकतर दलित बहुल वार्डों का वजूद ही खत्म कर दिया है। : चौ0 अनिल कुमार
नई दिल्ली, 16 सितंबर, 2022 – दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है और भाजपा लगातार निगम चुनावों को टालने की कोशिश कर रही है और दिल्ली में भाजपा की चिंता इससे प्रतीत होती है कि दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने भाजपा के प्रभाव में परिसीमन करके 272 वार्डों को कम करके 250 कर दिया गया है। परिसीमन ड्राफ्ट के सामने आने के बाद यह प्रतीत होता है दिल्ली में निगम वार्डों के परिसीमन करने में भाजपा ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए दिल्ली राज्य चुनाव आयोग का भरपूर प्रयोग किया और परिसीमन चुनाव आयोग ने नही बल्कि भाजपा के कार्यालय में बनाया गया है। प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार के साथ पूर्व विधायक एवं दिल्ली कांग्रेस परिसीमन समिति के अध्यक्ष हरी शंकर गुप्ता, पूर्व विधायक व प्रदेश उपाध्यक्ष जय किशन और कम्युनिकेशन विभाग के वाईस चेयरमैन परवेज आलम भी मौजूद थे।
संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा निगम वार्डों के परिसीमन ड्राफ्ट का दिल्ली कांग्रेस विरोध करती है और मांग करती है कि परिसीमन को तुरंत खारिज करके तर्कसंगत और न्याय संगत वार्डों को परिसीमन किया जाऐ, जिसकी मांग के लिए दिल्ली कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिलेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने नोटिफिकेशन में कहा है कि वार्डों को समान जनसंख्या के आधार पर रखा जाऐगा परंतु जो परिसीमन ड्राफ्ट सामने आया है वह तर्क संगत और न्याय संगत नही है। ड्राफ्ट में 22 वार्डों को कम करने के लिए पूरी 70 विधानसभाआेंं के ढ़ाचा ध्वस्त कर दिया है और 22 वार्डों को कम करने में 11 विधानसभाओं में आधे दलित वार्डों का वजूद ही खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह सभी जानते है कि भाजपा की दलित और अल्पसंख्यक समुदाय पर कम पकड़ है, इसलिए इन्होंने दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में इन समुदायों को चुन-चुन कर विभाजित कर दिया है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि 1989 के बाद परिसीमन के लिए पांच से अधिक समिति बनी है और किसी ने भी वार्डों की संख्या घटाने का प्रस्ताव नही किया था, जबकि भाजपा ने अपने फायदे के लिए चुनाव आयोग पर दवाब डालकर मनमुताबिक ड्राफ्ट तैयार करके 22 वार्ड कम कर दिए है। उन्होंने कहा कि वार्ड की औसत जनसंख्या 10 प्रतिशत घटाकर/बढ़ाकर बदलाव करने की शर्त को 57 विधानसभाओं में लागू ही नही किया है। जबकि नियमानुसार 65000 जनसंख्या के आधार पर वार्ड बनाने थे परंतु परिसीमन सत्तारुढ भाजपा को फायदा पहुॅचाने के लिए कहीं बिलकुल 60,000 से कम जनसंख्या वाले वार्ड बनाऐ हैं तो लगभग 30 से अधिक वार्ड 80,000 जनसंख्या से अधिक के बना दिए है।
चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि न्यूनतम 3 वार्ड की शर्त को रखकर दलित बहुल विधानसभाओं जैसे कांडली, त्रिलोकपुरी, मंगोलपुरी सीमापुरी, मादीपुर में से एक वार्ड की संख्या ही कम कर दी है, जबकि भाजपा समर्थित विधानसभा विश्वास नगर और पटपड़गंज विधानसभा में एक-एक वार्ड बढ़ा दिया गया है और कुछ विधानसभा ऐसी है जिनमें जनसंख्या के आधार पर वार्ड कम कर दिए है तथा संगम विहार -ए वार्ड को 89999, मयूर विहार फेस-1 को 93382 और त्रिलोकपुरी वार्ड को 91991 की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित किया गया है।
दिल्ली कांग्रेस परिसीमन समिति के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक श्री हरी शंकर गुप्ता ने कहा कि दिल्ली राज्य चुनाव आयोग ने निगम वार्डों के परिसीमन में जाति, वर्ग और समुदाय के आधार पर विभाजित कर दिया है, जिसमें एक विशेष दल को फायदा पहुंचाने की प्रक्रिया अपनाई गई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस की परिसीमन समिति की बैठकों में विस्तृत और गंभीर रुप से चर्चा करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि परिसीमन ड्राफ्ट बनाने में तानाशाही रवैया अपनाकर परिसीमन के नियमों को ताक पर रखकर विशेष दल को फायदा पहुंचाने के लिए काम किया गया है। वार्डों के परिसीमन में जनसंख्या निर्धारण, वार्डों की सीमाओं और वर्ग विभाजन से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न चिन्ह लगा है। उन्होंने कहा कि 22 वार्डों को कम करने में 10-12 विधानसभाओं के क्षेत्रफल पर असर पड़ना चाहिए था परंतु चुनाव आयोग ने 272 वार्डो के ढ़ांचे को ही बदल दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस परिसीमन समिति चुनाव आयोग द्वारा लाए गए ड्राफ्ट का विरोध करती है, जिसकी शिकायत चुनाव आयोग के सम्मुख अपना पक्ष रखेगी।