- लॉकडाउन के कारण अन्य देशों में फंसे भारतीय छात्रों को स्वदेश सुरक्षित लाने के लिए पद्मश्री हंस राज हंस ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को पत्र लिखकर अपील की
- भारतीय मूल के छात्रों की सुरक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है
- मोदी जी की जनकल्याणकारी नीतियों के कारण देश ही नहीं विश्व कल्याण की नई भावना का विकास हुआ है
नई दिल्ली : उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के लोकसभा सांसद पद्मश्री हंस राज हंस ने केन्द्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को पत्र लिखकर लॉकडाउन के कारण अन्य देशों में फंसे भारतीय छात्रों व वरिष्ठ नागरिको को स्वदेश सुरक्षित लाने की अपील की । सांसद पद्मश्री हंसराज हंस को छात्रों के अभिभावकों ने ई-मेल के माध्यम से पत्र लिखकर अपनी सारी व्यथा बताई, जिस पर त्वरित कार्यवाई करते हुये पद्मश्री हंस राज हंस छात्रों की सहायता के लिए आगे आये और केन्द्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जंयशंकर को पत्र लिखा। पद्मश्री हंस राज हंस ने उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों की अपील पर कोरोना महामारी के कारण किर्गिस्तान में फंसे हिमांशू कंसल, अश्वनी कुमार, युक्रेन से वर्षा माथुर एवं अपूर्वा रानी उपाध्याय, आबुधाबी से हेमन्त नांरग, इंग्लेण्ड से वंशिका, न्यूयोर्क से भाव्या जैन, पश्चिमी अफ्रिका के लोम से राकेश कुमार और 70 वर्षीय बुजुर्ग संतोष कुमार को डोवला कैमरून से सकुशल दिल्ली लाने के लिए पत्र लिखकर प्रार्थना की।
पद्मश्री हंस राज हंस ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते विदेशों में अध्ययन कर रहे छात्रों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। विदेशों में उनके साथ उचित व्यवहार नहीं हो रहा है क्योंकि कोरोना महामारी के कारण अन्य देश सर्वप्रथम अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए आगे आ रहे है। ऐसे में भारतीय मूल के छात्रों की सुरक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने वंदे भारत मिशन के तहत अलग अलग देशों में फंसे हमारे लोगों को स्वदेश लाने के सम्पूर्ण प्रयास किये है और जिनका परिणाम यह है कि रोजाना अलग अलग देशों से फ्लाईटों के माध्यम से लाखों लोगों को अपने देश में वापिस लाया गया है। कोरोना महामारी का दंश आज पुरी दुनिया झेल रही है, हर ओर हाहाकार मचा हुआ है। दुनिया की महाशक्तियां भी इस महामारी के समक्ष बेबस होकर रह गयी है। ऐसी विकट परिस्थिति में भी मोदी जी की जनकल्याणकारी नीतियों के कारण देश ही नहीं विश्व कल्याण की नई भावना का विकास हुआ है।
पद्मश्री हंस राज हंस ने कहा कि रोजाना लोग ई मेल व पत्र के माध्यम से अपनी समस्याओं को लेकर मुझे बताते है जिनमें सबसे बड़ी समस्या हमारे भारतीय छात्रों की है जो विदेशों के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे है लेकिन कोरोना महामारी की खबरों से विचलित होकर केवल एक बार अपने परिवार से मिलना चाहते है। किसी के परिवार में कोई बुजुर्ग अपने पोते के लिए परेशान है तो कोई मां अपने बेटे को सुरक्षित अपने घर में देखने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। हर कोई चाहता है कि उसके अपने उनके पास रहे और सबकी नजर भारत सरकार की तरफ है। ऐसी स्थिति में सांसद होने के नाते मेरा प्रयास सबकी सहायता करना है और इसके लिए हम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे है।