- दिल्ली की जनता से मिले सुझावों पर विचार के उपरांत प्रस्ताव बना
- लोगों ने सुझाव दिया है कि जब भी कोई घर से बाहर निकले
- वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए
- मार्केट को लेकर लोगों ने कई सारे सुझाव दिए हैं
- हो सकता है कि यह एक, दो या तीन साल तक रहने वाला हो
नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने दिल्ली कैंसर इंस्टीट्यूट के संविदा कर्मियों की तनख्वाह को लेकर कहा कि जानकारी मिली है कि साॅफ्टवेयर में तकनीकी गड़बड़ी की वजह से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली है। इसे ठीक कर दिया गया है और अब सभी को तनख्वाह मिल रही है। लाॅकडाउन-4.0 में दी जाने वाली जरूरी ढील को लेकर दिल्ली की जनता से मिले सुझावों पर विचार के उपरांत प्रस्ताव बना कर दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को भेज दिया है। जनता से बहुत सारे सुझाव आए थे। ज्यादातर लोगों ने दो मुख्य बातों पर जोर दिया है। पहला, मास्क है। लोगों ने सुझाव दिया है कि जब भी कोई घर से बाहर निकले, वह मास्क जरूर पहनें और दूसरा, सोशल डिस्टेंसिंग है। जो भी चीजें खोली जाएं, वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए। लोगों ने सुझाव दिया है कि बसें चलाईं जाएं, लेकिन पूरी क्षमता में नहीं, बल्कि कुछ बसें चलाई जाएं। इसी तरह, मेट्रो चलाने का सुझाव आया है। इसे भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कम क्षमता में चलाने का सुझाव मिला है। मार्केट को लेकर लोगों ने कई सारे सुझाव दिए हैं। लोगों का कहना है कि लाॅकडाउन की वजह से मार्केट बंद है, उसे खोल दिया जाए। कुछ लोगों का कहना है कि अभी 25 या 50 प्रतिशत मार्केट खोली जाए। शाॅप को लेकर लोगों का कहना है कि इसे आॅड-ईवन करके खोला जाए। कुछ लोगों ने सप्ताह में तीन दिन खोलने का सुझाव दिया है।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि कोरोना वायरस कैसे व्यवहार करता है और कैसे संक्रमण बढ़ता है, पिछले दो महीने में इसके बारे में जानकारी धीरे-धीरे बढ़ी है। लाॅकडाउन से काफी फायदा मिला है। अगर लाॅकडाउन नहीं किया गया होता, तो संक्रमण और बढ़ सकता था। यह कह सकते हैं कि अगर हम मास्क लगाते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हैं और बार-बार अपने हाथों को साफ करते हैं, तो 90-95 प्रतिशत तक संक्रमण से बचने की संभावना है।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि पहले लगता था कि गर्मी शुरू होगी, तो कोरोना चला जाएगा। हमें विश्वास था कि एक मई इसका आखरी दिन होगा और हमेशा के लिए चला जाएगा, लेकिन अब यह जाने वाला नहीं लग रहा है। ब्राजील समेत कई देशों में काफी अधिक गर्मी बढ़ गई है, इसके बाद भी कोरोना पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। अब हमें कोरोना के साथ जीना सीखना ही पड़ेगा। जहां तक कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने की बात है, तो हमें इसकी संख्या पर नहीं जाना चाहिए। हमें इसके बढ़ने के प्रतिशत को देखना चाहिए। कल इसके बढ़ने का दर करीब 5 प्रतिशत था। अभी यहां कोरोना मरीजों के बढ़ने का दर 5 से 5.5 प्रतिशत है। कभी इसके बढ़ने की दर 20 प्रतिशत थी। फिर 12 हुई। इसके बाद कम हुआ और अब 5-6 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने कहा कि सरकार का मत है कि हमें जनता से मिले सुझावों में संतुलन बनाने की आवश्यकता है। हमारे लिए वायरस के संक्रमण को रोकना जरूरी है। इसे सिर्फ लाॅकडाउन से नहीं रोकना है। इसके साथ हमें अन्य कार्य भी करने होंगे। आज से दो माह पहले विशेषज्ञों का भी कहना था कि मास्क लगाने से ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। आज सबका कहना है कि यदि दोनों (मरीज और सामने वाला व्यक्ति) ने मास्क लगाया है, तो संक्रमण की संभावना बहुत कम रह जाती है। यदि आप साबुन से बार-बार हाथ धोते हैं और एक-दूसरे से थोड़ी दूरी बना कर रखते हैं, तो संक्रमण से बच सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जब कोरोना के केस बहुत कम थे, तब हमें इसके व्यवहार के बारे में जानकारी नहीं थी। तब हमें लगता था कि एक-दो महीने में खत्म हो जाएगा। अब हो सकता है कि यह एक, दो या तीन साल तक रहने वाला हो। दिल्ली में आ रहे केसों में कुछ कंटेन्मेंट जोन से भी हैं।
स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन ने प्रवासी मजदूरों के संबंध में कहा कि कुछ प्रवासी मजदूर दूसरे राज्यों से दिल्ली होकर अपने मूल प्रदेश के लिए जा रहे हैं। दिल्ली के प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार ने जगह-जगह रैन बसेरा बनाया हुआ है। इन रैन बसेरों में कोई भी रह सकता है। सभी रैन बसेरों में रहने के साथ खाने की भी व्यवस्था की गई है। दिल्ली में प्रतिदिन 10 लाख लोगों को दिन में लंच और रात में डिनर कराया जाता है। यदि 10 लाख की जगह 20 लाख लोग भी होंगे, तो हम इसके लिए तैयार हैं। वहीं, उन्होंने कहा कि शुरूआत में किसी भी फैक्ट्री को खोलना आसान नहीं है। इन्हें खुलने में 4-5 दिन लग सकते हैं।