- शिक्षक शिवजी मिश्रा की मौत का कारण प्रशासनिक अधिकारियों की हीला हवाली रही है।
- शिक्षक संघ ने ऐलान किया है कि जल्द शिक्षकों को वापिस स्कूलों में ना भेजा गया तो ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे।
- अधिकारीयों से मिलना प्रतिबंधित, शिक्षक मर रहे हैं कोरोना से
- लॉकडाउन खुलने के बाद भी शिक्षकों को बाहरी ड्यूटी से रिलीव नहीं किया गया है
- दिल्ली सरकार के सामने रखी पांच मांगे
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग में कोरोना महामारी में सबकी जान की अलग-अलग कीमत है। दफ्तरों में यदि किसी भी आवश्यक कार्य से अधिकारीयों से मिलना हो तो संक्रमण के खतरे के कारण उनसे मिलना प्रतिबंधित है लेकिन शिक्षक राशन बाँट-बांटकर तेजी से संक्रमित हो उसकी खबर लेने वाला कोई नहीं। राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने बताया कि कल शिवजी मिश्रा, टी.जी.टी. इंग्लिश जो कल्याणवास विद्यालय में कार्यरत थे उनकी कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु हो गयी है। उनके परिवार में दो बेटे है जो 12वीं व स्नातक द्वित्तीय वर्ष के छात्र है व पत्नी घरेलु महिला है। शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा किये एलान के अनुसार एक करोड़ रूपये सहायता राशि व बड़े बेटे को सरकारी नौकरी की मांग की है।
राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजवीर छिकारा व महासचिव अजय वीर यादव ने बताया की हमने समय-समय पर मुख्यमंत्री-उप मुक्ख्यमंत्री से लेकर तमाम सम्बंधित अधिकारियों को कोरोना संक्रमण के खतरे की हर आशंका से पत्र लिख कर अवगत कराया परन्तु शिक्षा निदेशक – मुख्य सचिव दिल्ली अथवा आपदा प्रबंधन प्रभारी जिला अधिकारियों को हमारी बात नहीं रख पाये ना ही कोई राहत दिला पाए।
गौरतलब है की लॉकडाउन खुलने के बाद सभी विभागों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है उसके उपरांत भी खाद्य विभाग ने राशन वित्तरण का कार्य शिक्षक कर रहे हैं। डी.एम. दफ्तरों में ड्यूटी अब भी कर रहे है जबकि अन्य दफ्तरों व सचिवालयों से इसी तरह की ड्यूटी कर रहे बाबू व अधिकारी अपने दफ्तर वापस लौट चुके हैं। शिक्षा विभाग में प्रशासनिक अधिकारियों का ही मुख्यालय पर वर्चस्व है इसलिए अपने अधिकारों का दुरूपयोग कर सदैव शिक्षकों से प्रताड़ना का व्यवहार करते हैं। इसी के चलते लॉकडाउन खुलने के बाद भी शिक्षकों को बाहरी ड्यूटी से रिलीव नहीं किया गया है इसी के चलते शिक्षकों में तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है। शिक्षक शिवजी मिश्रा की मौत का कारण प्रशासनिक अधिकारियों की हीला हवाली रही है। शिक्षक की मौत के कारण समस्त शिक्षक समाज भयभीत व आक्रोशित है इसलिए महासचिव अजय वीर यादव ने पत्र लिख कर मांग की है।
- शिाक्षकों की ड्यूटी विद्यालय परिसर से बाहर कतई नहीं लगाई जानी चाहिए
- डी.एम. के तहत ड्यूटी कर रहे शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से स्कूलों से रिलीव कर स्कूलों में वापस भेजा जाए
- हर जिले में एक विद्यालय में शिक्षकों के लिए कोरोना टेस्ट का केंद्र बनाया जाए उसी विद्यालय में आइसोलेशन बैडो की भी सुविधा उपलब्ध कराइ जाए
- संक्रमण से होने वाली मौत पर शिक्षक के अंतिम संस्कार के समय उसके परिजनों को एक करोड़ रूपये की सहायता राशि सुनिश्चित किया जाए व आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए
- शिक्षक संघ ने ऐलान किया है कि जल्द शिक्षकों को वापिस स्कूलों में ना भेजा गया तो हम ड्यूटी का बहिष्कार करेंगे।