- कितने कोरोना के मरीजों का सरकारी अस्पतालों में भर्ती करके इलाज किया गया
- दिल्ली सरकार राजनीतिक हताशा में गुमराह करने वाले बयान जारी करने की जगह स्पष्ट आंकड़ा जारी करे
- आज 10 जून, 2020 तक दिल्ली में कोरोना के कितने मरीजों का सरकारी अस्पतालों में भर्ती करके इलाज किया गया है
नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को एक पत्र लिखकर मांग की है कि दिल्ली सरकार राजनीतिक हताशा में गुमराह करने वाले बयान जारी करने की जगह स्पष्ट आंकड़ा जारी करे कि आज 10 जून, 2020 तक दिल्ली में कितने कोरोना के मरीजों का सरकारी अस्पतालों में भर्ती करके इलाज किया गया है और उसमें से कितने मरीज अन्य राज्यों जैसे कि हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं अन्य राज्यों के थे। सरकार बताये कि दिल्ली में कोरोना से मृत मरीजों मंे से कितने अन्य राज्यों के हैं। साथ ही सरकार यह भी बताये कि कितने प्रवासी मजदूरों का दिल्ली में कोरोना का उपचार किया गया है।
आदेश गुप्ता ने पत्र में कहा है कि मार्च, 2020 में जब कोरोना का संक्रमण फैलना प्रारम्भ ही हुआ था उस वक्त दिल्ली सरकार 30 हजार रोगी बिस्तर उपलब्ध कराने की बात कहती थी पर मई के मध्य में जब कोरोना संक्रमण फैलना तेज हुआ तक यह स्पष्ट हो गया कि सरकार के पास 30 हजार तो दूर 4 हजार रोगी बिस्तर भी उपलब्ध नहीं हैं। दिल्ली सरकार लगातार अपनी जिम्मेदारी को निजी अस्पतालों में डालने की कोशिश करती रही है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि गत सप्ताह जब कोरोना बहुत तेजी से फैलने लगा तो दिल्ली सरकार ने जनता को गुमराह करने के लिए घोषणा की कि अब दिल्ली में बाहर वालों का इलाज नहीं होगा और सभी रोगी बिस्तर दिल्लीवालों के लिये आरक्षित रहेंगे। ऐसा कहकर सरकार ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि मानो दिल्ली के अस्पतालों पर अन्य राज्यों के मरीजों का बोझ है जबकि सभी बार्डर सील होने के चलते दिल्ली से बाहर के मरीजों के दिल्ली में आकर इलाज कराने की कोई संभावना ही नहीं बनती है। अतः यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिये भ्रम फैला रही है।
पत्र में कहा गया है कि सरकारी व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है क्योंकि गत तीन माह में जो लगभग 32 हजार लोग संक्रमित हुये हैं उनमें से भी केवल 20 हजार का ही अस्पतालों में इलाज हुआ है तब भी दिल्ली में लगातार रोगी बिस्तरों की कमी बनी हुई है। अतः यह आवश्यक है कि सरकार स्पष्ट करे कि दिल्ली में अन्य राज्यों के कितने लोगों का इलाज हुआ है।