– आय और बजट राशि दोनों बढ़ रही है तो राजस्व कैसे घट रहा है – पिछले 9 वर्षों के दौरान 78,000 करोड़ रुपये का गबन जलबोर्ड में हुआ है
– दिल्ली सरकार का बजट 2024 एक राजनीतिक बजट है – बजट में लोगों के लिए कुछ भी नया नहीं है
नई दिल्ली, 04 मार्च 2024
दिल्ली सरकार का बजट 2024 एक राजनीतिक बजट है जो दिल्ली की सभी महिलाओं को 1000 प्रति माह देने की घोषणा करता है लेकिन दिल्ली सरकार यह बताने में विफल है कि पिछले 4 वर्षों से वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को पेंशन क्यों नहीं दे रही है। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने सोमवार को वित्त मंत्री आतिशी द्वारा विधानसभा में पेश किए गए बजट 2024 को लेकर उक्त बातें कहीं। सचदेवा ने कहा है कि 2015 के बजट के बाद से दिल्ली सरकार देश में सबसे अच्छे बजट में से एक देने का दावा कर रही है, जिसमें बाजार विकास पर बड़े दावों के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए सबसे बड़ी हिस्सेदारी दर्शाती है। अनधिकृत कॉलोनियों में विकास के दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार के बजट ने दिल्लीवासियों को विकास के मामले में बार-बार निराश किया है और इस साल का बजट भी दिल्ली को निराश कर देगा। सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली सरकार को दिल्लीवासियों को गुमराह करना बंद कर देना चाहिए और दिल्ली के विकास पर ध्यान देना चाहिए।
सचदेवा ने कहा है कि हम सभी जानते हैं कि बजट 2024 केजरीवाल सरकार का आखिरी चुनावी बजट है और उन्होंने बजट को रामराज्य बजट कहकर गैलरी में खेलने की कोशिश की है, हालांकि इसमें लोगों के लिए कुछ भी नया नहीं है और वास्तव में यह विकास परियोजनाओं पर चुप है। एक तरफ दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी का दावा किया है, लेकिन दूसरी तरफ उनके द्वारा दिखाए गए बजट आंकड़ों में अनुमानित राजस्व संग्रह में भारी कमी देखी गई है। पिछले साल दिल्ली का कुल बजट 73,760 करोड़ रुपये का था एवं राजस्व 63,374 करोड़ था लेकिन इस साल बजट कुल 76,000 करोड़ रुपये का है लेकिन अनुमानित राजस्व घटकर 58,700 करोड़ रुपये रह गया है।
सचदेवा ने दिल्ली की जनता वित्त मंत्री आतिशी से जानना चाहती है कि जब दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय और बजट राशि दोनों बढ़ रही है तो राजस्व कैसे घट रहा है। सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली सरकार इस वर्ष आउटकम बजट देने में विफल रही, जो बजट निधि उपयोगिता आंकड़े प्रदान करने में सरकार की विफलता को दर्शाता है। बजट दर बजट सरकार 98 प्रतिशत अनधिकृत कॉलोनियों में पानी और सीवरेज पाइप लाइन बिछाने के नवीनतम दावों के साथ दिल्ली जल बोर्ड में धन डालती रहती है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि 75 प्रतिशत से अधिक अनधिकृत कॉलोनियां अभी भी शौचालय अपशिष्ट निपटान के लिए सेप्टिक टैंकों पर पेयजल के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं। यह चौंकाने वाला है कि केजरीवाल सरकार करोड़ों रुपये के घोटालों का केंद्र बन चुके दिल्ली जल बोर्ड को 7200 करोड़ रुपये नहीं दे रही है जबकि पिछले 9 वर्षों के दौरान 78,000 करोड़ रुपये का गबन जलबोर्ड में हुआ है।
सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत इसके बाजार और व्यापारी हैं और दो साल पहले केजरीवाल सरकार ने 5 बाजारों के विकास के लिए रूपये 200 करोड़ निवेश करने की बजट घोषणा की थी लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि केजरीवाल सरकार ने व्यापारियों को बाजार के रख-रखाव और विकास में निराश कर दिया है। पिछले साल दिल्ली सरकार के बजट में मोहल्ला बसें लाने की बात कही गई थी लेकिन एक साल बाद एक भी मोहल्ला बस नहीं आई है। वित्त मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया दिल्ली की 1200 किलोमीटर से अधिक सड़कों के सौंदर्यकरण, विकास के लिए बजट प्रस्ताव लाए, लेकिन तीन साल बाद भी सिर्फ 20 किलोमीटर सड़कों का भी विकास या भूदृश्यीकरण नहीं किया गया है। केजरीवाल सरकार ने इस साल स्वास्थ्य और शिक्षा पर बजट आवंटन कम कर दिया है, बजट में नए स्कूल या अस्पताल लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
वित्त मंत्री आतिशी ने अपने बजट में दिल्लीवासियों को यह कहकर गुमराह किया कि केजरीवाल सरकार 22 लाख उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी दे रही है, फिर भी पावर डिस्कॉम लाभ में हैं। सचदेवा ने कहा है कि आतिशी को पता होना चाहिए कि पावर डिस्कॉम उपभोक्ताओं को कोई सब्सिडी नहीं दे रही है, दिल्ली सरकार सब्सिडी के लिए करदाताओं की गाढ़ी कमाई से डिस्कॉम को भुगतान करती है। सचदेवा ने कहा है कि बजट 2024 एक राजनीतिक बजट है जो दिल्ली की सभी महिलाओं को 1000 प्रतिमाह देने की घोषणा लाया है, लेकिन सरकार यह बताने में विफल रही है कि पिछले 4 वर्षों से वरिष्ठ नागरिकों और विकलांगों को पेंशन क्यों नहीं दे रही है।