- केजरीवाल सरकार के सिर्फ दो ही मॉडल, पहला भाग्य भरोसे मॉडल और दूसरा क्रेडिट चोरी मॉडल
- जब दिल्ली सरकार विफलताओं से घिर जाती है तो केंद्र सरकार व नगर निगम को जिम्मेदार ठहरा देती है
- दिल्ली सरकार कामयाबी मिलने पर क्रेडिट चोरी कर लेती है
- 14 जून से पहले दिल्ली सरकार की सभी घोषणाएं और मॉडल फेल साबित होते जा रहे थे
- दिल्ली सरकार का 5 टी मॉडल भी पूर्ण रूप से फेल साबित हुआ
- केजरीवाल सरकार ने अगर सही कदम उठाए होते हो मई व जून में स्थिति इतनी भयावह नहीं होती
नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले प्रत्येक कम होती जा रही है और रिकवरी रेट भी बढ़ रही है जिसे लेकर आज दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया। गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली सरकार कोरोना से लड़ने में शुरुआत से ही नाकाम साबित हुई है और बढ़ते क्रम में संक्रमण के दौरान दिल्ली सरकार ने दिल्ली के लोगों को भाग्य भरोसेे छोड़ दिया था। प्रेसवार्ता में एक लघुफिल्म दिखाई गई जिसमें लाॅकडाउन के दौरान केजरीवाल व मनीष सिसोदिया के बयानों और दिल्ली के लोगों की बेबसी को दिखाया गया है। गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली की बागडोर संभालने के बाद तेजी से बदलती स्थिति का भी चित्रण दर्शाया गया है। इस अवसर पर मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के लोगों के सामने केजरीवाल सरकार के बड़े-बड़े दावों की पोल खोलने के लिए आज का ही दिन हमने इसलिए चुना क्योंकि 9 जून को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक गैर जिम्मेदाराना बयान दिया था और कहा था कि 31 जुलाई तक दिल्ली में 5.5 लाख कोरोना मामले होंगे। जिसके बाद दिल्ली में डर और भय का माहौल उत्पन्न हो गया था। उससे पहले उन्होंने भूमिका बनाई और केंद्र से 5000 करोड रुपए की मांग की। उन्होंने कहा कि जब लोग परेशान थे इलाज के लिए दर-दर भटक रहे थे उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने इसी कमरे में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे ट्विटर पर बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे। आज मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं कि उनका दिल्ली मॉडल सफल हो गया और दिल्ली में कोरोना संक्रमण अब खत्म होने की कगार पर है।
गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में दिल्ली बदहाल थी लोगों को समय पर बेड नहीं मिल रहे थे, टेस्ट नहीं हो रहे थे, ट्रेसिंग नहीं हो रही थी और मुख्यमंत्री केजरीवाल घोषणा कर रहे थे कि वह 30,000 बेड की व्यवस्था करेंगे। इसी तरह 5 टी प्लान का जोर शोर से दावा किया गया, लेकिन केजरीवाल सरकार टेस्टिंग, ट्रैसिंग, ट्रीटमेंट, टीमवर्क और ट्रैकिंग लेकिन वास्तविकता में यह प्लान कहीं पर नहीं दिखा अगर कुछ दिखा तो वह था टोटल फेल्योर। असल में केजरीवाल सरकार के दो ही मॉडल, भाग्य भरोसे मॉडल और क्रेडिट चोरी मॉडल। किसी और के कार्य का श्रेय खुद ले लो और विफल होने पर दोष किसी और पर मढ़ दो। विफल होने पर केंद्र सरकार से सहयोग न मिलने का बहाना बनाना, नगर निगम को जिम्मेदार ठहराना केजरीवाल सरकार की सबसे बड़ी विशेषता रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि वह संकट के समय अपनी राज्य के लोगों को सहारा दे लेकिन इसके विपरीत दिल्ली सरकार केंद्र सरकार को ही ब्लैकमेल कर रही थी।
गुप्ता ने कहा कि 14 जून को जब माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने का मोर्चा संभाला, एलएनजेपी अस्पताल का दौरा किया तब जाकर दिल्ली में डर और भय का माहौल खत्म हुआ। केजरीवाल बताएं कि वह आज किस मॉडल की बात कर रहे हैं, वह जो 14 जून से पहले दिल्ली के अस्पतालों में दिख रहा था या वो मॉडल जब सोशल मीडिया पर लोग इलाज के लिए दिल्ली सरकार से मदद की गुहार लगा रहे थे लेकिन उन्हें सुनने वाला कोई नहीं था या वह मॉडल जो उप-मुख्यमंत्री ने अपने बयान के जरिए दिखाया? दिल्ली सरकार के गैर जिम्मेदाराना और लापरवाहपूर्ण रवैये से लगभग 4000 लोगों की जान चली गई लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री केजरीवाल लॉक डाउन की अवधि में एक बार भी घर से बाहर निकल कर दिल्ली के लोगों की समस्याओं और तकलीफों को जानने की कोशिश की।
इटली के नीरो का उदाहरण देते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि जब रोम जल रहा था तब नीरो बंसी बजा रहा था उसी तरह मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली में कोरोना संकट के समय विज्ञापन की बंसी बजा रहे थे। उन्होंने 300 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च कर दी लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पुख्ता नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार अपने गुणगान गा रही है जबकि दिल्ली सरकार कोरोना काल भी संवेदनहीनता का परिचय देते हो प्रवासी मजदूरों को राशन से वंचित रख कर दिल्ली से पलायन करने पर मजबूर कर दिया।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली का मॉडल केजरीवाल का मॉडल नहीं बल्कि यह माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्री श्री अमित शाह जी का मॉडल है जिससे दिल्ली में असली बदलाव आए हैं। और यही मॉडल पूरा देश अपना रहा है। उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल से 14 जून तक दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 2800 टेस्ट होते थे लेकिन 14 जून को माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के हस्तक्षेप के बाद प्रतिदिन 16,000 से अधिक टेस्ट होने लगे। प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी को रोकने के लिए प्राइस कैपिंग की गई, कंटेनमेंट जोन में कांटेक्ट ट्रेसिंग करवाई गई, टेस्टिंग रेट को 4500 रुपए से घटा कर 2400 रुपए की गई। 14 जून तक बेड की संख्या मात्र 9937 थी, आज 30000 की व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि माननीय गृह मंत्री जी के निर्देश के बाद डोर टू डोर मैपिंग और सीरो सर्वे शुरू की गई, दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, ऑक्सीमीटर साहित अस्पतालों को आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए गए। होम आइसोल्यूशन की सही रणनीति बनाई गई, सभी जिलों को स्पेसिफिक कोरोना अस्पतालों से जोड़ा गया, कोरोना वार्डों की सीसीटीवी मॉनिटरिंग की गई, कोरोना से संक्रमित मृतकों का सम्मान पूर्वक दाह संस्कार करने की पूरी व्यवस्था की गई।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के लोगों को भाग्य भरोसे छोड़ने और 5.5 लाख कोरोना मामलों का दावा दिल्ली के लोगों को डराने का जो अनैतिक काम दिल्ली सरकार ने किया है वह अक्षम्य है। अगर वास्तव केजरीवाल सरकार दिल्ली के लोगों की हितैषी होती और उनके लिए काम करना चाहती तो विज्ञापनों में करोड़ों खर्च करने के बजाय अस्पतालों के जरूरी संसाधनों पर खर्च करती और जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुधारने का काम करती। आज दिल्ली में 5.5 लाख केस नहीं बल्कि कुल 1,34,403 कोरोना मामले थे जिसमें से मात्र 10,743 एक्टिव मामले हैं। मुझे आज यह कहते हुए गर्व हो रहा है की एक और मोदी सरकार के हस्तक्षेप से दिल्ली में कोरोना संक्रमण के कम हुए तो वहीं दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पूरी मुस्तैदी से कोरोना संकट में दिल्ली के लोगों की सेवा करने का काम किया उन्हें हर संभव मदद पहुंचाया। लेकिन केजरीवाल अपनी सरकार को ट्वीटर, विज्ञापन और फेसबुक से चलाते रहे हैं जो दिल्ली के साथ धोखा है।