- केजरीवाल अपने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राजनीतिक फायदें के लिए इस्तेमाल करना बंद करें – 500 स्कूल खोलने की जगह पहले से चल रहे 16 स्कूलों को भी केजरीवाल ने बंद कर दिया – केजरीवाल का कागज़ों में बना शिक्षा मॉडल विद्यार्थियों के साथ सिर्फ एक छलावा है
नई दिल्ली, 14 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में हैप्पीनेस उत्सव मना रही है, लेकिन दिल्ली हैप्पी तो तब होगी जब दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अपने राजनीतिक फायदें के लिए इस्तेमाल ना किया जाए। बच्चों को 9वीं और 11वीं कक्षा में फेल कर अपने शिक्षा मॉडल की दुहाई देने की आदत केजरीवाल की पुरानी हो चुकी है जिसे उन्हें दिल्ली के विद्यार्थियों के हितों के लिए छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आखिर बच्चों को अपने फायदें के लिए फेल करना और फिर उन बच्चों के साथ हैप्पीनेस उत्सव मनाने का ड्रामा करना एक भद्दा मजाक है।
आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के ही एक आरटीआई का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए फेल करने की साजिश केजरीवाल करते रहे हैं। यही कारण है कि 10वीं और 12वीं क्लास के विद्यार्थियों के फेल होने की तुलना में 9वीं और 11वीं में फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या तीन गुने से अधिक है। 2015-16 में 132741 बच्चे 9वीं में जबकि 28033 बच्चों को 11वीं में फेल किए। साल 2016-17 में 116732 बच्चों को 9वीं जबकि 11वीं 24985 बच्चों को फेल कर दिया। इसी तरह 2017-18 में 73561 बच्चों को 9वीं में जबकि 28806 बच्चों को 11वीं कक्षा में फेल करने का काम किया।
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल के पीछे की हकीकत तो यह है कि 500 स्कूल खोलने का वादा करने वाले केजरीवाल अपने सात सालों में एक भी स्कूल नहीं खोल पाए जबकि जो पहले से चल रहे 16 स्कूल बंद कर दिये गए। उन्होंने कहा कि 1030 में से 755 स्कूलों में प्रिंसपल तक नही हैं जबकि 416 में उप प्रधानाध्यापक नदारद हैं। 700 स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई तक नहीं होती। उन्होंने केजरीवाल से सवाल करते हुए पूछा कि क्या इसी बदतर शिक्षा मॉडल को अपनाकर दिल्लीवाले खुश रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज विद्यार्थी तीन-तीन शिफ्टों में पढ़ने को मजबूर हैं। क्या यहीं है केजरीवाल का हैप्पीनेस उत्सव। स्कूलों की जर्जर होते बिल्डिंग, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होना सबूत है कि दिल्ली का शिक्षा मॉडल सिर्फ कागजों में चमकिली नज़र आती है जो हकीकत से कोसो दूर है।