- दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के 15 वर्षों के शासन काल में एक बार भी निगम कर्मचारियों को हड़ताल पर नही जाना पड़ा
- मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सिर्फ विज्ञापनां और प्रचार के माध्यम से अपनी छवि सुधारने के लिए बयान देते हैं
- दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार द्वारा तीनों दिल्ली नगर निगमों को फंड आवंटन करने, जारी करने और निगमों द्वारा मिली राशि के उपयोग की जानकारी के लिए जनहित याचिका दाखिल की
- दोनो दल आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करके जनता ध्यान मुख्य मुद्दो से भटकाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है
- निगमों के कोरोना यौद्धा वेतन न मिलने के कारण धरने पर बैठे है, क्योंकि दिल्ली सरकार ने पांचवे वित्त आयोग के अनुसार निगमों को राशि जारी नही है
नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस के नेता अभिषेक दत्त ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दिल्ली सरकार द्वारा तीनों दिल्ली नगर निगमों को फंड आवंटन करने, जारी करने और निगमों द्वारा मिली राशि के उपयोग की जानकारी के लिए एक पीआईएल दाखिल की। उन्होंने यह मांग भी कि इस मामले ऑडिटर जनरल सीधा हस्तक्षेप करें और इसकी फारेंसिक जांच के साथ-साथ इसका ऑडिट भी किया जाए। अभिषेक दत्त ने कहा कि कांग्रेस द्वारा उच्च न्यायालय में यह पीआईएल वेतन न मिलने के कारण धरने पर बैठे सफाई कर्मचारियों, नर्सो, डाक्टरों, अध्यापकों के हितों के लिए दाखिल की है। अभिषेक दत्त ने यह बयान प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दिया, जिनके साथ पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कांग्रेस की नेता रिंकू भी मौजूद थीं।
अभिषेक दत्त ने कहा कि पीआईएल में यह रखा गया कि भारतीय संविधान की धारा 243-आई और 243-वाई के अतंर्गत उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली वित्त आयोग का गठन दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के बीच अर्जित टैक्सों, टोल, ड्यूटी के वितरण के लिए किया गया था, जबकि अंतिम पांचवे वित्त आयोग 2016-2021 के लिए अक्टूबर 2017 में रिपोर्ट जारी हुई थी, परंतु आज तक दिल्ली सरकार ने निगमों को पांचवे वित्त आयोग के मुताबित राशि जारी नही की। आश्चर्य की बात यह है कि चौथे वित्त आयोग के अनुसार दी जाने वाली राशि भी बकाया है।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस की नेता कु0 रिंकू ने कहा कि घनी आबादी वाले पूर्वी दिल्ली नगर निगम की स्थिति बदतर है और कांग्रेस पार्टी लगातार गरीबों के हितों की मांग करती रही है। उन्होंने कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम कोरोना यौद्धा अपने वेतन की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं जिनके लिए कांग्रेस पार्टी ने जनहित में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि फंड की कमी के समाधान किए जाने चाहिए और दिल्ली सरकार द्वारा निगम को दिए गए अनुदान का पैसा कहां गया, इसकी जांच की जानी चाहिए।
अभिषेक दत्त ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के 15 वर्षों के शासन काल में एक बार भी निगम कर्मचारियों को हड़ताल पर नही जाना पड़ा। क्योंकि तीसरे वित्त आयोग 2006 -2012 को शीला सरकार ने 2007 में मंजूरी देकर 10.5 प्रतिशत 3618 करोड़ की राशि देना तय किया जिसमें 3190 करोड़ रुपया तुरंत दिया गया। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद चौथे वित्त आयोग में 12.5 प्रतिशत की सिफारिश होने के बावजूद भी 10.5 प्रतिशत की राशि देना तय हुआ परंतु अरविन्द सरकार ने कभी भी निगमों को यह राशि नही दी। उन्होंने कहा कि पांचवे वित्त आयोग की सिफारिशों मे सरकार का वित्त राजस्व में वृद्धि होने के कारण 12.5 प्रतिशत निगमों को देने की मंजूरी दी गई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सिर्फ विज्ञापनां और प्रचार के माध्यम से अपनी छवि सुधारने के लिए बयान देते हैं परंतु असलियत में दिल्ली सरकार ने निगमों को तय राशि कभी भी पूर्ण रुप से दी ही नही।
अभिषेक दत्त ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पीआईएल के जरिए जनहित में यह जानना चाहती है कि दिल्ली की अरविन्द सरकार ने निगमों को कितना पैसा जारी किया। यदि तीनों निगमों को यह राशि मिली तो उन्होंने किन-किन मदों में उसका व्यय किया और कोविड-19 महामारी के दौरान काम करने के बावजूद कर्मचारियों को कई महीनों का वेतन अभी तक क्यों नही दिया गया? उन्होंने कहा कि जीरो पारर्शिता के तहत तीनों निगमों को दी जाने वाली के उपयोग किन मदों में हुआ इसकी जांच कम्पट्रोलर ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (सीएजी) द्वारा की जानी चाहिए। अभिषेक दत्त ने कहा कि दिल्लीवासियों को गुमराह करने के लिए निगमों को 13000 करोड़ रुपये जारी करने के लिए भाजपा नेता केजरीवाल के खिलाफ धरने दे रहे है, और आम आदमी पार्टी भाजपा शासित निगमों पर 2500 करोड़ के भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है। दोनो दल आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करके जनता ध्यान मुख्य मुद्दो से भटकाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है, जबकि आज कोविड,प्रदूषण,मंहगाई और किसानों के अधिकारों की लड़ाई जैसे ज्वलंत मुद्दे है, जिन्हें मौजूदा सरकारों को राजनीति से उपर उठकर हल करना चाहिए।
अभिषेक दत्त ने कहा कि कई महीनों से वेतन न मिलने के कारण निगम कर्मचारी किसी पार्टी विशेष के विरोध में धरने पर नही बैठे है, वह अपने वेतन की मांग के लिए बैठे है। दत्त ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी कर्मचारियों के पक्ष में यह कहा कि वेतन मिलना कर्मचारियों का हक है और निगमों को वेतन दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारों को कर्मचारियां के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाना पड़ेगा, ताकि उनके अधिकारों को हनन नही हो पाए। कर्मचारियों को वेतन नही दिए जाने पर कोर्ट ने चिंता व्यक्त की और निर्देश किए कि सम्बन्धित संस्थाऐं कर्मचारियों को वेतन दिए जाने वाली मदों को जारी करें।