शिक्षा मंत्री ने स्कूल की मोर्निंग असेंबली में शामिल होकर बच्चों के साथ उनके करियर को लेकर संवाद किया – मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी का सपना दिल्ली के हर बच्चे को पढ़ने के लिए शानदार स्कूल मिले, उन्हें वर्ल्ड क्लास सुविधाओं के साथ मिले फ्री विश्वस्तरीय शिक्ष, इस विज़न को पूरा करने का काम कर रही टीम एजुकेशन – देश के हरेक बच्चे को फ्री क्वालिटी एजुकेशन देकर ही भारत बनेगा दुनिया का नंबर.1 देश – जबतक देश के हर बच्चे को शानदार शिक्षा नहीं मिलेगी तबतक पीढ़ी-दर-पीढ़ी हम बच्चों को यही पढ़ाते रहेंगे कि भारत एक विकासशील देश है – सिर्फ भाषणों से नहीं बल्कि बच्चों का माइंडसेट जॉब सीकर के बजाय जॉब प्रोवाइडर के रूप में बदलने से ही भारत विकसित देश बनेगा- जिस दिन हमारे स्टूडेंट्स द्वारा बनाई कंपनियों में अमेरिका, जापान के बच्चे नौकरी करने का सपना देखने लगेंगे उस दिन हम आधिकारिक रूप से टेक्स्टबुक में बच्चों को यह पढ़ा सकेंगे कि भारत एक विकसित देश है : सिसोदिया
नई दिल्ली, 1 अक्टूबर, 2022 : रोजाना सुबह स्कूल विजिट कर बच्चों व शिक्षकों से मिलकर अपने दिन की शुरुआत करने की श्रृंखला को जारी रखे हुए शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने शनिवार सुबह 7:30 बजे ने गवर्मेंट को-एड सीनियर सेकंड्री स्कूल द्वारका सेक्टर-2 में मोर्निंग असेंबली में शामिल होकर बच्चों के साथ संवाद किया| साथ ही पिछले कुछ सालों में दिल्ली के स्कूलों में आए बदलावों से बच्चों के लीर्निग में आए बदलावों के अनुभवों को जाना| बच्चों ने कहा कि स्कूल की पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग में आने पर और अब सीखने के लिए मिलने वाली नई सुविधाओं के साथ पढ़ने में ज्यादा मजा आने लगा है और आत्मविश्वास बढ़ा है| बच्चों ने बताया कि पहले स्कूल के साथ उन्हें बहुत ज्यादा लगाव नहीं होता था लेकीन अब स्कूल की शानदार बिल्डिंग, अच्छे चमचमाते डेस्क, लैब-लाइब्रेरी, पढ़ने-पढ़ाने के तरीकों में आए बदलाव के कारण ऐसा नहीं है|
बच्चों के इस जबाव पर शिक्षामंत्री ने कहा कि, “मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल जी का और मेरा एक सपना है कि दिल्ली के हर बच्चे को पढ़ने के लिए शानदार स्कूल मिले, वहां उन्हें वर्ल्ड क्लास सुविधाओं के साथ फ्री में विश्वस्तरीय शिक्षा दी जाए| और हम इस विज़न को पूरा करने का काम कर रहे है| क्योंकि यदि भारत को दुनिया का नंबर.1 देश बनाना है तो इसके लिए देश के हरेक बच्चे को मुफ्त शिक्षा देने की व्यवस्था करनी ही पड़ेगी|
सिसोदिया ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि वो विचार जो आपको सोते-जागते हर समय आपके मन को आंदोलित करते है वही असल में आपके सपने होते है| उन्होंने कहा कि आपका कोई सा विचार तबतक सपना नहीं है जबतक आप 24 घंटे उसके बारे में न सोचे| जब आप ऐसा करना शुरू कर देंगे उसके लिए मेहनत करना शुरू कर देंगे तो आपका लक्ष्य कितना भी बड़ा क्यों न हो आप उसे जरुर प्राप्त करेंगे|
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इतने सालों बाद भी भारत एक विकासशील देश ही है| जब हम स्कूल में पढ़ते थे तब भी यही पढ़ाया जाता था कि भारत एक विकासशील देश है और अब भी स्कूलों में बच्चों को यही पढ़ाया जाता है कि भारत एक विकासशील देश है| और जबतक देश के हर बच्चे को शानदार शिक्षा नहीं मिलेगी तबतक पीढ़ी-दर-पीढ़ी हम बच्चों को यही पढ़ाते रहेंगे कि भारत एक विकासशील देश है| इसलिए दिल्ली में हम यह सुनिश्चित करने का काम कर रहे है कि हर बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन मिले|
शिक्षामंत्री ने कहा कि यदि हमें भारत को विकसित देश बनाना है तो एक और बात का खास ध्यान रखना होगा| उन्होंने कहा कि आज जब स्कूल-कॉलेज से बच्चे पढ़ाई करके निकलते है तो एक जॉब सीकर के रूप में निकलते है| वे अमेरिका जाकर गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखते है| लेकिन विकसित देशों में बच्चे इन कंपनियों में नौकरियां करने के सपने नहीं देखते बल्कि ऐसी कंपनियां शुरू करने के सपने देखते है|
उन्होंने कहा कि मैं देशभर में जहाँ कहीं जाता हूँ वहां 99.9% बच्चों का एक ही सपना होता है कि हम पढ़-लिख कर कोई सी अच्छी नौकरी करेंगे लेकिन हम जबतक इस सपने को नौकरी पाने वाले की जगह नौकरी देने वाले के रूप में नहीं बदलेंगे तबतक हम यह नहीं बोल पाएंगे कि भारत एक विकसित देश है| हमें इस सोच को बदलना होगा और बच्चों के अंदर यह सोच विकसित करना होगा कि हम नौकरी कर भी सकते है और नौकरी दे भी सकते है| उन्होंने कहा कि सिर्फ भाषणों से भारत विकसित नहीं बनेगा, जिस दिन हमारे बच्चे देश में ही बड़ी कंपनियां बनाना शुरू कर देंगे और अमेरिका,जापान के बच्चे हमारे बच्चों की इन कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखने लगेंगे उस दिन हम आधिकारिक रूप से टेक्स्टबुक में बच्चों को यह पढ़ा सकेंगे कि भारत एक विकसित देश है|
- -आइए जाने कैसे पिछले कुछ सालों में बदला दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का अनुभव और कैसे दिल्ली सरकार के माइंडसेट करीकुलमों से बदले है भविष्य के उनके सपने
चर्चा के दौरान दसवीं कक्षा के एक स्टूडेंट ने बताया कि वो कंप्यूटर साइंस इंजिनियर बनना चाहते है| पहले तो केवल यह सपना उसके खुद की तरक्की के लिए था लेकिन अब यह सपना देश की तरक्की में योगदान देने के साथ जुड़ चुका है| एक अन्य छात्र हर्ष ने कहा कि वे एंत्रप्रेन्योर बनकर देश से बेरोजगारी की समस्या को खत्म करना चाहते है| 11वीं की छात्रा अंकिता ने कहा कि ईएमसी से न केवल उसका माइंडसेट बदला है बल्कि उसके पेरेंट्स भी अब यह मानने लगे है कि करियर के लिए नौकरी करना ही एकमात्र विकल्प नहीं है, जॉब प्रोवाइडर बनना अपना स्टार्ट-अप शुरू कर हम करियर को और शानदार बना सकते है|
एक और छात्र ने ईएमसी ने से हमारी सोच बदली है कि इतना पढ़ कर हम नौकरी करते है और किसी और के लिए काम करते है| मैंने क्रिटिकल थिंकिंग एप्रोच के साथ यह सोचा कि इतनी मेहनत के साथ मैं खुडी की कंपनी बना सकता हूँ और कई लोगों को नौकरियां दे सकता हूँ| 12वीं की एक छात्रा ने बताया कि वो साइकोलोजिस्ट बनना चाहती है और इसकी प्रेरणा उसे हैप्पीनेस करिकुलम से मिली है| साइकोलोजिस्ट बनकर वो लोगों के तनाव को दूर कर उन्हें खुश रहते हुए एक स्वस्थशैली जीना सीखाना चाहती है|