- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक सरकारी और एक प्राइवेट स्कूल का दौरा करके कोरोना सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की
- मई में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों को तैयारी और काउंसलिंग का ना मिलना अनुचित होगा, कोरोना सुरक्षा संबंधी नियमों के पालन का निर्देश दिया
- उपमुख्यमंत्री ने छात्रों और शिक्षकों को भरोसा दिलाया, उनसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली
- पहला फोकस स्कूलों को अच्छी तरह खोलने और कोरोना से सुरक्षा पर है। इसके बाद हम रिजल्ट पर फोकस करेंगे
- प्रैक्टिकल और प्री-बोर्ड की तैयारी कराये बिना बच्चों को परीक्षा के लिए बुलाना अन्याय होगा : उपमुख्यमंत्री
दिल्ली : उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज एसकेवी, चिराग इन्क्लेव एवं डीपीएस, मथुरा रोड का दौरा करके फिर से स्कूल खोलने संबंधी तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कोरोना से सभी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा पूरे विद्यालय परिसर में सफाई के बेहतर इंतज़ाम का निर्देश दिया। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दस महीने तक स्कूल बंद होने के बाद अब दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं की तैयारियों के लिए खोला जा रहा है। इसलिए स्कूलों को दोबारा खोलने संबंधी पूरी व्यवस्था करना आवश्यक है। उपमुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अपने ज़ोन और जिले के सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में जाकर कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि हर कक्षा में सामाजिक दूरी का पालन किया जाए, सैनिटाइजर की उपलब्धता हो, एवं मास्क लगाना आवश्यक हो।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सीबीएसई ने दसवीं एवं बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं का एलान कर दिया है। प्रैक्टिकल और प्री-बोर्ड की तैयारी कराये बिना बच्चों को परीक्षा के लिए बुलाना अन्याय होगा। मई में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा से पहले छात्रों की बेहतर तैयारी और काउंसलिंग जरूरी है। इसलिए सतर्कता बरतते हुए स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया गया है ताकि बच्चे विद्यालय के माहौल में रम सकें एवं बोर्ड परीक्षाओं के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पिछले एक साल के दौरान पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई तो नहीं हो पाएगी, लेकिन बाकी बचे समय का सदुपयोग करना चाहिए।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला फोकस स्कूलों को अच्छी तरह खोलने और कोरोना से सुरक्षा पर है। इसके बाद हम रिजल्ट पर फोकस करेंगे।
उपमुख्यमंत्री ने बच्चों से जानना चाहा कि किस प्रकार उन्होंने स्कूल आने की अनुमति के लिए अपने अभिभावकों को किस तरह मनाया। बच्चों ने बताया कि अभिभावकों के मन में उन्हें स्कूल भेजने को लेकर अभी पूरा आत्मविश्वास नहीं है। इस दौरान शिक्षकों ने कहा कि बच्चों के बिना स्कूलों में सूनापन लगता था। स्कूल खुलने से अब अधूरापन खत्म हो गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अभिभावकों के मन में बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर हिचक होना स्वाभाविक है। इसलिए आज पहले दिन बच्चों की उपस्थिति कम रही। लेकिन हमने अधिकारियों को सारे इंतज़ाम करने का निर्देश दिया ताकि अभिभावकों में बच्चों को स्कूल भेजने का आत्मविश्वास बढ़ सके।