Tuesday, July 23, 2024
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ग्रीन दिल्ली एप और वार रूम से होगा दिल्ली का प्रदूषण दूर : गोपाल राय

  • दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर किए गए उपायों पर नजर रखने के लिए वाॅर रूम का किया शुभारंभ
  • वाॅर रूम से हाॅटस्पाॅट, रियल टाइम माॅनिटर में पीएम-10, पीएम-2.5 समेत अन्य गैसों की स्थिति और नासा व इसरो सैटेलाइट से दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली या कूड़ा जलाने की निगरानी की जाएगी
  • डीपीसीसी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉ. बी.एल. चावला के नेतृत्व में वाॅर रूम की मदद से विभिन्न मुद्दों की निगरानी करने के लिए 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम बनाई गई है
  • सीएम अरविंद केजरीवाल ने 5 अक्टूबर को ‘युद्ध, प्रदुषण के विरुद्ध’ अभियान शुरू किया था, बिना सभी लोगों के सहयोग से अभियान को सफल बनाना संभव नहीं है, विभिन्न समस्याओं पर नजर रखने के लिए वाॅर रूम स्थापित किया गया है
  • लांच होने वाले ग्रीन दिल्ली एप पर आने वाली शिकायतें भी वाॅर रूम से माॅनिटरिंग होंगी, सभी शिकायतें संबंधित एजेंसी के पास अटोमैटिक चली जाएगी और वाॅर रूम एजेंसी से संपर्क कर उसे निस्तारित कराने का प्रयास करेगा

नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की तरफ से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए जा रहे उपायों पर नजर रखने के लिए आज दिल्ली सचिवालय के 7वें तल पर एक केंद्रीयकृत वाॅर रूम की शुरूआत की गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वाॅर रूम का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि अब हम वाॅर रूम के जरिए प्रदूषण को नियंत्रित करने को लेकर किए गए उपायों पर निगरानी रख सकेंगे। उन्होंने कहा कि वाॅर रूम से हाॅटस्पाॅट, रियल टाइम माॅनिटर में पीएम-10, पीएम-2.5 समेत अन्य गैसों की स्थिति के साथ नासा व इसरो सैटेलाइट से दिल्ली और आसपास के राज्यों में पराली या कूड़ा जलाने की स्थिति पर निगरानी की जा सकेगी। राय ने बताया कि वाॅर रूम के जरएि विभिन्न समस्याओं पर निगरानी रखने के लिए डीपीसीसी के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉ. बी.एल. चावला के नेतृत्व में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम बनाई गई है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 5 अक्टूबर को ‘युद्ध, प्रदुषण के विरुद्ध’ अभियान शुरू किया था। बिना सभी लोगों के सहयोग से अभियान को सफल बनाना संभव नहीं है। इसलिए हमने विभिन्न समस्याओं पर नजर रखने के लिए वाॅर रूम स्थापित किया है। अगले कुछ दिनों में लांच होने वाले ग्रीन दिल्ली एप पर आने वाली शिकायतें भी वाॅर रूम से माॅनिटर होंगी, सभी शिकायतें संबंधित एजेंसी के पास अटोमैटिक चली जाएगी और वाॅर रूम एजेंसी से संपर्क कर उसे निस्तारित कराने का प्रयास करेगा। दिल्ली सचिवालय में वाॅर रूम का उद्घाटन करने के बाद पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि दिल्ली के अंदर बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 5 अक्टूबर से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी ने ‘युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध’ अभियान शुरू किया है। चूंकि पूरा अभियान बिना सभी लोगों के सहयोग से संभव नहीं है।

दिल्ली के अंदर अलग-अलग जो एजेंसियां है, उन सभी लोगों को कोऑर्डिनेट करने के लिए एक केंद्रीकृत वार रूम दिल्ली सचिवालय में शुरू किया है। वाॅर रूम में मुख्य तौर पर तीन स्क्रीम लगाई गई है। पहली स्क्रीन पर दिल्ली सरकार के 40 रियल टाइम मानिटर हैं, उनको विश्लेषण करने का काम करेंगे। उसमें पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति उस समय क्या है, इसकी निगरानी करने का काम किया जाएगा। दूसरी स्क्रीन में दिल्ली के अंदर चिंहित 13 हॉटस्पॉट प्रदर्शित होंगे, जिसे वाॅर रूम से मॉनिटर करने का काम करेंगे। वाॅर रूम से हम देख पाएंगे कि हॉटस्पॉट एरिया में क्या प्रगति चल रही है और क्या-क्या समस्याएं आ रही हैं, जिनका समाधान करने की प्रयास करेंगे। वहीं, तीसरी स्कीम पर नासा और इसरो की विंडो है। दोनों सैटेलाइट पर वार रूम से नजर रखी जाएगी कि इस समय देश के अंदर, खास तौर पर दिल्ली के पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कहां पर कितना पराली या कूड़ा जलाई जा रही है। तीसरी स्क्रीन पर सेटेलाइट के माध्यम से रिपोर्ट आ रही हैं, उनको विश्लेषण करने का काम करेंगे।

गोपाल राय ने कहा कि आगामी दिनों में ग्रीन दिल्ली एप मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी लांच करने वाले हैं, उस एप पर पूरी दिल्ली के अंदर से शिकायत आएंगी, उन शिकायतों को भी हम हाॅट स्पाॅट वाली दूसरी स्क्रीन से निगरानी करेंगे। उन शिकायतों का निस्तारण कर उसे लागू कराने का प्रयास करेंगे। साथ ही साथ मैकेनिकल रोड स्वीपिंग, स्प्रिंकलिंग का काम है, उसमें तीनों एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के माध्यम से काम शुरू हो रहा है, उसको भी हम यहां जीपीएस के माध्यम से निगरानी करने का काम कर पाएंगे, जिसके आधार पर हम अपना एक्शन प्लान बनाएंगे। इस पूरे वाॅर रूम को संचालित संचालित करने के लिए 10 लोगों की टीम बनाई गई है। डीपीसीसी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉक्टर बी.एल चावला के नेतृत्व में यह टीम बनाई गई है। इस टीम में पर्यावरण मंत्री के ओएसडी अनिल गिल्डियाल, डीडीसी की एडवाइजर बीना गुप्ता, रिसर्च फेलो हितेश सैनी व स्वाति शर्मा, एनजीओ ए-पैग के निपुन मात्रेजा व आसिमा अरोरा, ट्रेनी इंजीनियर सूरज राय और अमन गुप्ता शामिल हैं। यह कमेटी वाॅर रूम के सभी चीजों कोआर्डिनेट करने और उसे लागू करने का काम करेगी। यह टीम प्रतिदिन रिपोर्ट बनाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी, मुझे (पर्यावरण मंत्री) और मुख्य सचिव (पर्यावरण) को सौंपेगी, जिसके आधार पर हम लोग आगे का एक्शन प्लान तैयार कर सकेंगे।


गोपाल राय ने कहा कि रियल टाइम मॉनिटर वाली स्क्रीन स्क्रीन की मदद से यह विश्लेषण करेंगे कि वहां पर क्या स्थिति है? विश्लेषण के बाद हम एक्शन प्लान बनाएंगे। नासा और इसरो सैटेलाइट वाली स्क्रीन की मदद से फसल या कूड़ा जलाने जलाने और दिल्ली के अंदर जहां भी कुछ जलाया जा रहा है, उसे संज्ञान लेकर वाॅर रूम से हम संबंधित एजेंसी से संपर्क करेंगे। उन्हें वाॅर रूम से भी फोन किया जाएगा और तत्काल कार्रवाई के लिए कहा जाएगा। साथ ही, जो हम एप लांच करने वाले हैं, उस एप पर आने वाली सभी शिकायतें अपने आप संबंधित एजेंसी के पास चली जाएगी। उस शिकायत का निस्तारण करने के लिए एक समय सीमा दी जाएगी, जिसके अंदर उन्हें उस शिकायत का निस्तारण करना पड़ेगा। इसके बाद भी अगर शिकायत का समाधान नहीं किया जाता है, तो हम वाॅर रूम के जरिए उसमें हस्तक्षेप करके उनके वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे, ताकि जमीन पर उस समस्याओं का समाधान किया जा सके।


इससे पहले, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मोहन जॉर्ज और डॉक्टर बी.एल चावला ने पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को वाॅर रूम की मदद से दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण के कारणों आदि की विस्तार पूर्वक जानकारी दी। दोनों वैज्ञानिकों ने बताया कि दिल्ली में कुल 40 रियल टाइम माॅनिटर लगे हुए हैं, जिसमें से 26 स्टेशन दिल्ली सरकार के हैं। उन्होंने स्क्रीम पर दिल्ली के अंदर वर्तमान में पीएम-10, पीएम-2.5, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन और हवा की गति की स्थिति प्रदर्शित होती रहेगी। स्क्रीम पर अलग-अलग मानिटरिंग स्टेशन को भी देख सकते हैं। उस स्टेशन के क्षेत्र में पीएम-10, पीएम-2.5 आदि की वर्तमान और पिछले 24 घंटे की स्थिति पता चल जाएगा। साथ ही यह भी पता चल सकेगा कि दिल्ली में प्रदूषित हवा किस दिशा से आ रही है और उसकी गति कितनी है? इस आधार पर हम पता कर सकते हैं कि निचले स्तर पर किस तरफ से प्रदूषण आकर उस क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।

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