- सर्वाइकल कैंसर के बारे में विस्तार से
नई दिल्ली, 9 जनवरी 2023: क्या आप जानते हैं कि सर्वाइकल कैंसर क्या होता है और महिलाओं में इस तरह के कैंसर होने के क्या कारण है? शरीर के जिस अंग को गर्भ की गर्दन कहा जाता है? ठीक वहीं पर सर्वाइकल कैंसर होता है। यह गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है और इस जगह सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। सही मेडिकल कंसल्टेशन से आसानी से उपलब्ध एचपीवी वैक्सिनेशन की मदद से इसे रोका जा सकता है।
पैप टेस्ट, जिसे पैप स्मीयर भी कहा जाता है, अगर यह टेस्ट किया जाए तो सर्वाइकल कैंसर का पता जल्दी लगाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में सर्विक्स (गर्भाशय का निचला, संकीर्ण अंत जोकि योनि के ऊपर होता है) से कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है। इस बीमारी का पता लगाना आसान है। लेकिन फिर भी विडंबना यह है कि भारत में सर्वाइकल कैंसर की वजह से मौतें ज्यादा होती है। सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों के मामले मे भारत नंबर एक देश है। ये मौतें चिंताजनक हैं। इस बीमारी में जब स्थिति घातक अवस्था मे पहुँचती है, तो मरीज बहुत सारी परेशानियों का सामना करता है। इन परेशानियों में ट्यूमर नसों, लिगामेंट और हड्डियों में परेशानी होती है। लिंफेटिक्स और ब्लड वेसेल्स भी बाधित होता है।
इस कैंसर की वजह से रेक्टोवागिनल और वेसिकोवागिनल फिस्टुलस भी बनता है जो योनि के माध्यम से मूत्र/मल पास करते हैं। इसके होने से योनि डिस्चार्ज से दुर्गंध आती है और कभी कभी मूत्र ज्यादा या असंयमित होता है। महिला सामाजिक रूप से अलग थलग हो जाती है। उनकी शादियां टूटती हैं। उनमें डिप्रेशन होता है। इसके अलावा महिला मे अपराधबोध की भावना आ जाती है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती स्टेज में कोई लक्षण नज़र नहीं आता है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी आगे बढ़ती है, तो कुछ लक्षण दिखते हैं जैसे कि योनि से खून बहना, योनि से दुर्गंधयुक्त सफेद स्राव होना, योनि से पेशाब/मल निकलना, पेशाब में खून आना, मूत्राशय की आंत्र के काम में परिवर्तन, हड्डी में गंभीर दर्द और हाइड्रोनफ्रोसिस /किडनी फेलियर के कारण पीठ या बाजू में दर्द, किसी एक पैर में सूजन, कब्ज और मतली / उल्टी, मूत्राशय पर नियंत्रण न होना आदि शामिल हैं।
सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती स्टेज में इलाज़
हिस्टेरेक्टॉमी (यूटरस, सर्विक्स, योनि का हिस्सा और पास के लिम्फ नोड्स का सर्जिकल रिमूवल) इस तरह की बीमारी का इलाज़ है। हिस्टेरेक्टॉमी कैंसर के शुरुआती स्टेज में ठीक कर सकता है और कैंसर फिर से होने की संभावना को रोक सकता है। इसके अलावा रेडियोथेरेपी, ब्रैकीथेरेपी, कीमोथेरेपी, टारगेटेड ड्रग थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से भी इलाज़ किया जा सकता हैं।
पैलिएटिव केयर से किस तरह से मदद मिलती है?
पैलिएटिव केयर सबका मौलिक अधिकार है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत मान्यता प्राप्त है। पैलिएटिव केयर में प्रमुख रूप से मल्टी डिसिप्लिनरी टीम द्वारा रोकथाम सम्बंधी नियमों को अमल मे लाया जाता है और लक्षणों का निवारण किया जाता है। पैलिएटिव केयर न केवल शारीरिक लक्षणों बल्कि भावनात्मक, मनोसामाजिक और आध्यात्मिक समस्याओं का भी समाधान करता है।
मल्टी डिसिप्लिनरी टीम में दर्द और पैलिएटिव केयर स्पेशलिस्ट्स, रेडियोथेरेपिस्ट, पैलिएटिव केयर नर्स, काउंसलर्स (साइकोलॉजिस्ट), सामाजिक कार्यकर्ता, फिजियोथेरेपिस्ट, डाइट स्पेशलिस्ट और देखभाल करने वाले शामिल हैं। दर्द और पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ समस्याओं की गंभीरता को समझने और एक मल्टी डिसिप्लिनरी टीम के अन्य सदस्यों को इलाज़ में शामिल करने की ज़रूरत को समझने के लिए मरीज़ की जांच करते हैं। मल्टी डिसिप्लिनरी टीम के सदस्यों के साथ चर्चा करने के बाद; और मरीज़ की इच्छाओं, और धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को समझने के बाद उपर्युक्त लक्षणों से ज्यादा राहत प्रदान करने के लिए एक प्रारंभिक उपचार योजना बनाई जाती है।
एक बार जब मरीज़ की हालत में सुधार हो जाता है और वह डिस्चार्ज के लिए तैयार हो जाता है, तो परिवार के सदस्यों/देखभाल करने वालों को मल्टी डिसिप्लिनरी टीम की देखरेख में घर पर मरीज की देखभाल करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इस तरह की देखरेख से कई सारे लाभ मिलते हैं दुर्भाग्य से भारत की 1 प्रतिशत आबादी को ही पैलिएटिव केयर सुविधा मिल पाती है। हालांकि केरल के अधिकांश क्षेत्रों में पैलिएटिव केयर की सुविधा मिलती है।
पैलिएटिव केयर के फ़ायदे
गंभीर परिस्थितियों में पैलिएटिव केयर सबसे प्रभावी इलाज़ है। वहीं जब कैंसर की बात आती है, तो पैलिएटिव केयर रेडियोथेरेपी ट्यूमर के आकार, योनि स्राव, योनि से रक्तस्राव, फिस्टुला के आकार, पोषण संबंधी समस्याओं, बेडसोर और सिकुड़न को कम करता है। इसके अलावा इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। दांपत्य जीवन में मिठास आती है। इस कैंसर से सर्वाइवल रेट बेहतर होता है। पैलिएटिव केयर से इच्छाशक्ति मज़बूत होती है और डॉक्टरी मदद से वे अपनी सामान्य लाइफस्टाइल फिर से जी सकते हैं और बिना किसी लक्षण के जिंदगी जी सकते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के बारे में फैली भ्रांतियां
सर्वाइकल कैंसर के बारे में मरीजों में कई मिथक या भ्रांतियां फैली हुई हैं जैसे कि उन्हें हर साल पैप स्मीयर की
ज़रूरत हो सकती है। इसके अलावा जो कई लोगों से सम्बंध बनाते हैं उनका एचपीवी प्रभावित होता है। साथ ही बहुत से लोग सोचते हैं कि संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है और इसके लिए डॉक्टरी मदद की जरूरत नहीं होती है। इनमें से कोई भी सच बात नहीं है और ऐसे मरीज अगर इन सब भ्रांतियों में विश्वास करते हैं तो उनकी हालत गम्भीर हो सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्वाइकल कैंसर वंशानुगत नहीं है और किसी को इसके अगली पीढ़ी में जाने के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। किसी भी भ्रांति पर विश्वास न करें, हमेशा डॉक्टर की सलाह लें।