- सत्येन्द्र जैन को बर्खास्तगी न करने के लिए मजबूर केजरीवाल उनके भ्रष्टाचार में हिस्सेदार हैं
- सत्येन्द्र जैन भारतीय इतिहास के पहले मंत्री होंगे जो जेल में रहने के बावजूद मंत्रिमंडल में बने हुए हैं
- सत्येन्द्र जैन को बर्खास्त न करके केजरीवाल ने कोर्ट का अपमान किया है
- नैतिकता और ईमानदारी की झूठी बयानबाजी करने वाले केजरीवाल की दोहरी मानसिकता उजागर हो चुकी है
नई दिल्ली, 18 जून। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने सीबीआई की एक विशेष अदालत द्वारा सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अदालत ने केजरीवाल को आईना दिखाने का काम किया है। सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका लगातार तीसरी बार खारिज की गई, लेकिन बावजूद उसके सत्येन्द्र जैन भारतीय इतिहास के पहले मंत्री होंगे जो जेल में रहने के बावजूद मंत्रीमंडल में बने हुए हैं और यह सब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मेहरबानी का नतीजा है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि पिछले 30 मई को ही ईडी ने सत्येन्द्र जैन को गिरफ्तार किया था, लेकिन अभी भी केजरीवाल का उन्हें मंत्रिमंडल में बनाए रखना बताता है कि सत्येन्द्र जैन का खुला समर्थन करने का काम केजरीवाल खुद कर रहे हैं। खुद को न्याय पर भरोसा रखने की बात करने वाले केजरीवाल के पास ऐसी कौन सी मजबूरी है कि कोर्ट द्वारा न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद भी सत्येन्द्र जैन का साथ दे रहे हैं। हमारी मांग है कि सत्येन्द्र जैन को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए।
आदेश गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी जो ईमानदारी के गीत गाती रहती है और उसके मुखिया खुद कहते थे कि अगर उनके मंत्री का कोई भी ऑडियो या वीडियो भ्रष्टाचार करते हुए आ जाएगा तो हम उसे बर्खास्त करेंगे लेकिन आज जब न्यायालय ने भी सत्येन्द्र जैन को दोषी करार दे दिया है, उसके बावजूद उन्हें बर्खास्त न करके केजरीवाल अपनी दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने सत्येन्द्र जैन को अभी तक मंत्रीमंडल में रखकर अदालत के फैसले पर भी सवाल खड़े करने का दुस्साहस किया है। ऐसा लगता है कि अब उन्हें माननीय अदालत और देश के कानून और संविधान पर भरोसा नहीं है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की हठधर्मी भारतीय लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। क्योंकि इतिहास में अगर किसी भी नेता या मंत्री पर सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया। इतना ही नहीं कुछ ऐसे नेता भी हुए जिन्होंने नैतिकता के आधार पर भी इस्तीफा दिया है, लेकिन आज केजरीवाल की नैतिकता और इमानदारी सब खत्म हो चुकी है और वह सत्येन्द्र जैन को मंत्रिमंडल में रखने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उनके भ्रष्टाचार में वे खुद हिस्सेदार हैं।