- टूटते-बिखरते विश्व को करुणा की डोर से जोड़ने की कैलाश सत्यार्थी की एक नई पहल
- नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन का हुआ आगाज
- सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं
- जमीनी स्तर पर बाल-मित्र समुदायों का किया सफलतापूर्वक निर्माण
नई दिल्ली, 11 मार्च 2024
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने नई दिल्ली में आयोजित लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में एक नई वैश्विक पहल ’सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन’ (एसएमजीसी) की शुरूआत के अवसर पर यह संबोधन दिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि टूटते-बिखरते विश्व से त्रस्त हमारी दुनिया को करुणा ही एकजुट कर सकती है। यहां एसएमजीसी के संस्थापक सत्यार्थी ने कहा कि पिछले कई दशकों से, मैं करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत पर बात करता रहा हूं। एसएमजीसी के साथ हमने उस दिशा में आगे एक और कदम बढ़ा दिया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि आप अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस आंदोलन में शामिल हों। इस मौके पर उन्होंने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं, व्यवसायों, शिक्षाविदों, युवाओं और नागरिक समाज को साथ लेकर छेड़े गए करुणा के इस नए आंदोलन का उद्देश्य, टूटन और बिखराव जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को एकजुट करके एक न्यायपूर्ण, समावेशी और पक्षपात रहित विश्व का निर्माण करना है। एसएमजीसी की शुरुआत ऐसे वक्त में हुई है जब दुनिया कई बड़ी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है।
प्रेसवार्ता में पूछे गए एक प्रश्न कि उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि विश्व को आज करुणा के एक आंदोलन की आवश्यकता है, के उत्तर में सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया आज जितनी समृद्ध और एक दूसरे से जितनी जुड़ी हुई है, उतनी पहले कभी नहीं रही। लेकिन इसके साथ ही बिखराव, युद्ध, गैर-बराबरी, नफरत, जलवायु संकट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के संभावित खतरों जैसी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पटरी से उतर गए हैं। अभूतपूर्व धन, संसाधन और ज्ञान के बावजूद, ये समस्याएं क्यों बनी हुई हैं? संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं, विश्व की सरकारें और दुनिया के सबसे अमीर लोग, इसे एकजुट रखने में बुरी तरह असफल रहे हैं। इस अवसर पर अनेक जानी मानी हस्तियां मौजूद रही। सत्यार्थी ने कहा कि एसएमजीसी, करुणामय संवाद और करुणापूर्ण कार्यों के माध्यम से वैश्विक शासन विधि में सुधार चाहता है। यह एक ऐसे लोकतांत्रिक, समावेशी और गतिशील संस्थानों के निर्माण में मदद करेगा जिसके शीर्ष नेतृत्व का दृष्टिकोण करुणामय हो। हमने एशिया और अफ्रीका में जमीनी स्तर पर बाल-मित्र समुदायों का सफलतापूर्वक निर्माण किया है। उस अनुभव का लाभ उठाते हुए एसएमजीसी ऐसे समुदायों का निर्माण करेगी जो समावेशिता, बराबरी और सामाजिक सुरक्षा हासिल करने में मददगार होंगे और इसमें युवाशक्ति केंद्रीय भूमिका में होगी।
कैलाश सत्यार्थी ने एसएमजीसी का शुभारंभ लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं और दुनिया की अनेक जानी-मानी हस्तियों की उपस्थिति में किया। इनमें नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोडी विलियम्स, मोनाको के पूर्व प्रधानमंत्री सर्ज टेल, पद्म विभूषण डॉ. आर ए मशेलकर, भारतीय सेना के पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग, रॉबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स की प्रेसिडेंट केरी कैनेडी, ब्राज़ील की सुपीरियर लेबर कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लेलियो बेंटेस कोर्रा, और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी सहित कई क्षेत्रों के गणमान्य लोग शामिल थे। बच्चों की आजादी और शिक्षा के लिए दुनियाभर में किए गए उनके प्रयासों के लिए, 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कैलाश सत्यार्थी ने सिविल सोसाइटी द्वारा छेड़े गए दुनिया के कुछ सबसे बड़े और सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया है जिनमें बाल श्रम के खिलाफ 103 देशों में 80 हजार किमी लंबा अभूतपूर्व ‘ग्लोबल मार्च’ और ‘ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन’ प्रमुख हैं। ग्लोबल मार्च के परिणामस्वरूप आईएलओ ने सबसे खतरनाक रूप के बालश्रम पर प्रतिबंध लगाने वाला कन्वेंशन पारित किया जो दुनियाभर में सबसे तेजी से लागू हुआ प्रस्ताव है। उसी प्रकार शिक्षा को एक मानव अधिकार का दर्जा दिलाने में ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बाल श्रम मुक्त कालीनों के लिए पहली टिकाऊ वैश्विक पहल ’रगमार्क’ की स्थापना भी सत्यार्थी की अन्य अभूतपूर्व पहलों में शामिल है। बच्चों की आजादी और शिक्षा के लिए दुनियाभर में किए गए उनके प्रयासों के लिए, 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।