- – दिल्ली के शिक्षकों को अपना वेतन लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है – पंजाब में टीचर्स को पक्का करना ठीक वैसे ही है जैसे सिसोदिया ने 15000 शिक्षकों को पक्का करने की बात कह झूठ फैलाया था – दिल्ली के शिक्षक दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं – केजरीवाल सरकार दिल्ली के शिक्षकों को किसी भी छुट्टी का कोई भुगतान नहीं करती : आदेश गुप्ता
नई दिल्ली, 10 सितम्बर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के शिक्षा मॉडल की ढ़ोल पीटने वाले केजरीवाल आज पंजाब में ठीक उसी तरह से शिक्षकों को पक्का करने का काम किया है, जैसे दिल्ली में मनीष सिसोदिया ने 15000 शिक्षकों को पक्का किया था लेकिन हुए कितने ये किसी को नहीं पता। उन्होंने कहा कि केजरीवाल लोगों को सिर्फ गुमराह करते हैं क्योंकि दिल्ली में पिछले आठ सालों से सत्ता पर बैठने के बावजूद अगर यहां के शिक्षकों को अपना वेतन लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़े तो इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है। अभी हाल ही में दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के शिक्षकों की वेतन में कटौती ने शिक्षकों के प्रति केजरीवाल की रणनीति साफ कर दी है।
आदेश गुप्ता ने पंजाब में 8736 शिक्षकों को पक्का करने की बात केजरीवाल का झूठ बताते हुए कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि पूरे देश में दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां शिक्षक दिहाड़ी मजदूर की तरह काम करते हैं। जिनकी सरकारी छुट्टियों, त्योंहारों, रविवार जैसी तमाम छुट्टियों के पैसे काट लिए जाते हैं। ना टीए, डीए, एचआरए और सीएल मिलता है और ना ही कोई मेडिकल सुविधाएं। इतना ही नहीं छह साल में कोई वेतन भी नहीं बढ़ा। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया गेस्ट टीचर एसोसिएशन ने खुद केजरीवाल सरकार के ऊपर 22 हज़ार शिक्षकों को पक्का करने से मुकरने का आरोप लगा चुका है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि आज दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने शिक्षा मॉडल की बड़ी-बड़ी बातें कर दूसरे राज्यों को इसे अपनाने की बात करती है, लेकिन अगर शिक्षकों और छात्रों के बीच का अनुपात देखा जाए तो देश के सबसे खराब राज्यों में दूसरे स्थान पर है। यूडीआईएसडी के आंकड़ों के अनुसार, प्राइमरी में 33 छात्रों पर एक शिक्षक और अपर प्राइमरी में 30 छात्रों के बीच एक शिक्षक ही उपलब्ध हैं। क्या इस शिक्षा मॉडल को अपनाकर देश तरक्की करेगा। उन्होंने कहा कि केजरीवाल दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की ढोल पीटते रह गए और पिछले सात सालों में केजरीवाल सरकारी स्कूलों से 1.09 लाख छात्र कम हो गए जबकि इसी दौरान दिल्ली के निजी स्कूलों में 3.25 लाख छात्रों की संख्या में वृद्धि हो गई।