दिल्ली के बिजली संकट के जन्मदाता अरविंद केजरीवाल और उनकी ढूलमूल नीतियां हैं
बिजली फ्री देने के झूठे वायदें करने वाले केजरीवाल आज दिल्ली को खोखला करने का प्रयास कर रहे है
केजरीवाल हर मुद्दे पर केंद्र सरकार को ढ़ाल बनाकर अपनी कमियों को छुपाते हैं
बिजली की आपूर्ति बाधित होने से मेट्रो, अस्पताल, फैक्ट्री सहित कई आवश्यक सेवाओं पर पड़ेगा बुरा असर
केजरीवाल दिल्ली के लोगों के लिए कम और अपने राजनीतिक पर्यटन पर ज्यादा ध्यान देते हैं
नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार के कुप्रबंधन के कारण दिल्ली के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली सरकार कोयले की कमी का बहाना बनाकर अपनी कमियों को छुपाने के लिए इसका ठिकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रही है। दिल्ली सरकार की ओर से लिखे एक पत्र में प्रदेश के विभिन्न पावर प्लांट में कोयले की कमी की बात कही गई है जबकि रेल मंत्रालय द्वारा पहले ही कोयले की ढुलाई के लिए 415 ट्रेनें उपलब्ध कराई जा रही है जिनमें प्रत्येक में लगभग 3,500 टन कोयला ले जाया जा सकता है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पिछली बार भी कोयला खत्म होने की झूठी अफवाह फैलाकर दिल्लीवासियों के अंदर भ्रम पैदा किया था और इस बार फिर से उसी को दोहराया जा रहा है। मुफ्त की राजनीति का दिखावा करके बिजली फ्री देने के झूठे वादे करने वाले केजरीवाल आज दिल्ली को खोखला करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे वह कोरोना का संकट हो, प्रदूषण हो, यमुना की सफाई हो या फिर जल आपूर्ति, हर मुद्दे पर केंद्र सरकार को ढ़ाल बनाकर अपनी कमियों को छुपाते हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा कहा गया है कि दादरी-।। और ऊंचाहार पावर स्टेशन पर केवल एक-दो दिन के कोयले का स्टॉक बचा है। दिल्ली सरकार पावर प्लांटों का जायजा क्यों नहीं लिया। केजरीवाल सरकार को दिल्लीवालों की कोई प्रवाह नहीं है। आज दिल्ली अंधेरे की नगरी बनने के कागार पर है और केजरीवाल पार्टी विस्तार के लिए देश भ्रमण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली को दादरी-।।, ऊंचाहार, कहलगांव, फरक्का, झज्जर पावर प्लांट मिलकर कुल 1751 मेगावॉट बिजली आपूर्ति करते हैं। इनमें से सबसे अधिक बिजली दिल्ली को दादरी -सस पावर प्लांट से मिलती है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि अगर दिल्ली में अंधकार होता है और बिजली की आपूर्ति नहीं होती है तो मेट्रो, अस्पताल, फैक्ट्री सहित कई आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ सकता है। करोड़ो रुपये रोज का नुकसान हो सकता है। जो व्यापार कोरोना के बाद मुश्किल से शुरु हुए हैं, वह फिर से चौपट हो सकता है। जिसका असर दिल्ली की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि तमाम संकटों के जन्मदाता अरविंद केजरीवाल और उनकी ढूलमूल नीतियां हैं क्योंकि वे दिल्ली के लोगों के लिए कम और अपने राजनीतिक पर्यटन पर ज्यादा ध्यान देते हैं।