Wednesday, April 17, 2024
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बिजली के मनमाने बिल बढ़ाने का खामियाजा नगर निगम चुनाव में भुगतना होगा केजरीवाल : भाजपा

  • लॉकडाउन के बाद मनमाने बिजली बिलों एवं अन्य करों के जमा कराने की जिद से त्रस्त हैं व्यापारी एवं नागरिक
  • मुख्यमंत्री के ताजा प्रपंचों को भली भांति समझते हैं और इसका परिणाम आम आदमी पार्टी को 2022 के नगर निगम चुनावों में भुगतना होगा
  • तंग आर्थिक स्थिति के बावजूद नगर निगमों ने व्यापारियों को ट्रेड लाईसेंस से लेकर सम्पत्ति कर तक जमा कराने में एक वर्ष की छूट दे कर दिल्ली वालों को राहत दी है

नई दिल्ली : दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राजनीतिक छलावों एवं प्रपंचों को रचने में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई मुकाबला नहीं है और उसका ताजा उदाहरण है उनका बिजली के फिक्सड चार्ज आदि को लेकर व्यापारियों के नाम संबोधन। गत मई-जून में लॉकडाउन के बाद दिल्ली के व्यापारी एवं उद्योगपति जब बिजली कम्पनियों के मनमाने बिलों से त्रस्त थे और खास कर फिक्सड चार्ज से राहत चाह रहे थे तब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनकी मांग पर मौन रह कर व्यापारियों ही नहीं साधारण उपभोक्ताओं को भी भारी भरकम बिल जमा कराने को बाध्य किया।

अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि इसी तरह जब मई-जून में व्यापारी जी.एस.टी. जमा कराने में छूट चाह रहे थे उस पर भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दोनों ने चुप्पी साधे रखी। अब जब व्यापारियों के बीच उन्हें अपनी राजनीतिक पैठ खोती दिखी तो अचानक मुख्यमंत्री राहत देने का ढोंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक छलावेबाजी के ठीक विपरीत दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने अपनी तंग आर्थिक स्थिति के बावजूद व्यापारियों एवं नागरिकों को ट्रेड लाईसेंस, गोदाम लाईसेंस, सम्पत्ति कर एवं कनवरजन चार्ज जो अप्रैल 2020 में देय थे उन्हे जमा कराने के लिए मार्च 2021 तक का समय दिया है।

श्री गुप्ता ने कहा है कि इस सामाजिक निर्णय से नगर निगमों ने व्यापारियों के साथ ही सामान्य नागरिकों को राहत देने का काम किया है। दिल्ली के नागरिक एवं व्यापारी अब अरविंद केजरीवाल के प्रपंचों से भली भांति परिचित हो चुके हैं क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन में केजरीवाल सरकार ने समाज के सभी वर्गों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। जिसका परिणाम आम आदमी पार्टी को 2022 के नगर निगम चुनावों में भुगतना पड़ेगा।

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