- ऑनलाइन शिक्षा की चौथी समीक्षा बैठक के लिए एसकेवी, चिराग दिल्ली पहुंचे उपमुख्यमंत्री, शिक्षकों अभिभावकों से लिया फीडबैक
- कोरोना का वैक्सीन बन जाएगा, लेकिन शिक्षा के नुकसान का कोई वैक्सीन नहीं
- 98% रिजल्ट से दिल्ली ने इतिहास रचा, लेकिन इस पर आत्ममुग्ध होने के बदले अब अगला लक्ष्य निर्धारित करना होगा
- ऑनलाइन ने पेरेंट्स को भी शिक्षा से जोड़ा, स्कूल खुलने के बाद भी ऐसे प्रयोग हों : अभिभावक का सुझाव
नई दिल्ली : उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज एसकेवी, चिराग दिल्ली में शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद किया। दिल्ली सरकार के स्कूलों में सेमी आॅनलाइन शिक्षा पर यह चौथी समीक्षा बैठक हुई। सिसोदिया ने कोरोना संकट में ऑनलाइन शिक्षा की सफलता का श्रेय अभिभावकों और शिक्षकों को देते हुए कहा कि सरकार ने सिर्फ सुविधा बढ़ाई है, सारी मेहनत तो आपने की है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी मानव जाति का सबसे बड़ा संकट है। जब सारी चीजें बंद हैं, तब भी हमें बच्चों को पढ़ाना है।

सिसोदिया ने कहा कि कोरोना का वैक्सीन बन जाएगा, लेकिन शिक्षा में नुकसान की भरपाई किसी वैक्सीन से नहीं हो सकती। इसलिए हम अपने अन्य खर्च कम करके किसी भी तरह बच्चों की पढ़ाई जारी रखें। अगर पढ़ाई में नुकसान हुआ तो यह बच्चे या परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का नुकसान होगा। हमारी समझदारी की पहचान यह है कि कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, हम अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएंगे। सिसोदिया ने पेरेंट्स से मिले सहयोग के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आपने अपने घर को स्कूल बना दिया, यह बड़ी बात है।
सिसोदिया ने कहा कि जिन बच्चों के पास ऑनलाइन साधन नहीं थे, उनके लिए सेमी ऑनलाइन व्यवस्था करते हुए स्कूल में मैटेरीयल दिया गया, फोन पर संपर्क किया गया। सिसोदिया ने कहा कि स्कूल का कोई विकल्प नहीं है। स्कूल जाने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। इसलिए हम चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले। अभी बच्चों को नुकसान ना हो, इसके लिए हमने यह प्रयोग किया। उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा में एक्टिविटीज का महत्व भी बताया। कहा कि फिनलैंड की दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है। वहां भी एक्टिविटीज के जरिए काफी कुछ सिखाया जाता है।
सिसोदिया ने कहा कि ऑनलाइन का प्रयोग हमें बगैर योजना के अचानक करना पड़ा। बगैर योजना इतना अच्छा प्रयोग बड़ी सफलता है। इसमें पेरेंट्स का जुड़ना ब्लेसिंग इन डिसगाइस है। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने इस बार 98% रिजल्ट ला कर इतिहास कायम किया है। पांच साल पहले जब 84% से बढ़कर 88% रिजल्ट आया था, तब हमने 90% का टारगेट रखा था। आज रिजल्ट 98 प्रतिशत पहुंच गया। लेकिन हम इससे आत्ममुग्ध न हों, बल्कि और आगे बढ़ने की सोचें। उन्होंने कहा कि कुछ अच्छा होने पर हम खुश हों, लेकिन हमेशा आगे की तरफ सोचना चाहिए। जब हम कार चलाते हैं, तो आगे की तरफ देखने का शीशा बड़ा होता है, पीछे का छोटा। हमें आगे की ओर देखते जाना है। कोई संस्था या परिवार अपनी तरक्की पर खुश होकर इत्मीनान हो जाए, तब आगे नहीं बढ़ सकती।
- संवाद के दौरान शिक्षकों और अभिभावकों ने विस्तार से अपने अनुभव शेयर किए।
एक पेरेंट ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा ने पेरेंट्स को भी पढ़ाई से जोड़ा और हमें भी शिक्षा का मतलब समझ में आ रहा है। इसलिए स्कूल खुलने के बाद भी ऐसे प्रयोग जारी रखे जाएं। एक पेरेंट ने कहा कि बच्चे इस पढ़ाई को खूब इंजॉय कर रहे हैं। स्कूल के टीचर्स ने बच्चों पर काफी मेहनत की है तथा बच्चों को सीखने का अच्छा अवसर मिल रहा है। टीचर्स ने कहा कि अब तक हम सिर्फ बच्चों से जुड़ते थे, लेकिन अब पेरेंट्स से भी जुड़ने का अवसर मिल रहा है। यह बात पीटीएम में इतनी अच्छी नहीं हो पाती। पेरेंट्स ने ऑनलाइन शिक्षा को काफी उपयोगी बताते हुए कहा कि शिक्षकों ने बच्चों का अच्छा मार्गदर्शन किया। हर जिले के विभिन्न स्कूलों में आॅनलाइन शिक्षा की समीक्षा का सिलसिला जारी रहेगा। संवाद के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरा ध्यान रखा गया।