– राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कार्यरत निजी कंपनियों पर कसी जाएगी नकेल
– दिल्ली सरकार के स्कूलों में कंपनियों की कर्मचारी विरोधी नीति के चलते मचा हुआ है हाहाकार
– दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग की तरफ से दिल्ली सरकार, उपराज्यपाल एवं गृह मंत्रालय को भेजा पत्र
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2023 : स्कूलों को शिक्षा का मंदिर माना जाता है परन्तु इन्हीं शिक्षा मंदिरों को स्वच्छ वातावरण प्रदान करने वाले एवं प्रहरी के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले कर्मियों का निजी/प्राइवेट कंपनियों द्वारा जीना मुहाल कर रखा है। दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष संजय गहलोत का कहना है कि आयोग में रोजाना सैंकड़ों कर्मी अपनी गम्भीर शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं और ये दिल्ली सरकार के विभिन्न स्कूलों में ठेकेदारी के अंतर्गत कार्य करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जिसमें ठेकेदार विभिन्न प्रकार से अपना उल्लू सीधा करते हुए कर्मियों का शोषण कर रहे हैं। उनका खून चूस रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरेआम रिश्वतखोरी का दौर जारी है। संजय गहलोत ने बताया कि कम्पनी के ठेकेदारों की इतनी हिम्मत बढ़ चुकी है कि कुछ मामलों में आयोग की भी अवहेलना की जा रही है। जवाब में ठेकेदारों का यहां तक कहना होता है कि हम सरकार में लाखों रुपये खर्च करके आये है हमारा कोई कुछ नही बिगाड़ सकता।
अध्यक्ष संजय गहलोत ने बताया कि भोले भाले निरीह सफाई कर्मचारी, गार्डों को रोजाना नौकरी से निकाला जा रहा है, बदले में वापस ड्यूटी पर रखने हेतु रिश्वत की मांग की जाती है। नए नए कर्मचारियों की अपने मनमाने तरीके से भर्ती करके लाखों की उगाही की जा रही है। हद तो तब हो जाती है जब कुछ प्रिंसिपल भी इस घालमेल में शामिल हो जाते हैं। अगर कोई कर्मचारी/गार्ड किसी विशेष परिस्थिति में केवल एक दिन की भी छुट्टी कर लेता है तो उसे बहुत बुरी तरह नौकरी से हटाकर लज्जित करके स्कूल की बाउंड्री से बाहर करके उसके और परिवार के पेट पर लात मारी जा रही है।
दिल्ली सरकार के मातहत सफाई कर्मियों के उत्थान के लिए बनाये गए संवैधानिक संस्था दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अभी हाल ही विभिन्न स्कूलों में करीब 150 कंपनियों को नोटिस जारी करते हुए आयोग के अध्यक्ष संजय गहलोत ने कहा कि कंपनियों की शिकायत मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल एवं गृह मंत्रालय में इस आशय के साथ की जा रही कि इन कंपनियों पर नकेल कसना अब बहुत जरूरी हो गया है एवं कुछ हद तक वर्तमान नियमों में बदलाव की भी आवश्यकता है।