- शिक्षक और प्रधानाचार्य की हुई मौत, दिल्ली सरकार ने साधा मौन
- दिल्ली सरकार के शिक्षकों ने अपनी मांगों के लिए एलजी, सीएम से मांगा समय
- प्रधानाचार्य की मौत, 400 शिक्षक संक्रमित, होम आईसोलेश और फिर भी ड्यूटी
- संक्रमित होने पर शिक्षकों का सभी अस्पतालों में प्राथमिकता पर इलाज हो
नई दिल्ली : दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की मांगे पूरी नहीं होने और शिक्षक व प्रिंसिपल की मौत के बाद शिक्षक संघ की दिल्ली सरकार के प्रति शंका बढ़ रही है। इसको लेकर शिक्षक संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी व शिक्षा निदेशक से पत्र लिख कर मिलने का समय मांगा है। पत्र के माध्यम से शिक्षक संघ ने शिक्षकों की सुरक्षा, मौत पर एक करोड़ की सम्मान राशि, परिजनों को नौकरी, अस्पताल में प्राथमिकता पर ईलाज आदि कुछ मांगे रखी हैं। शिक्षक संघ ने बताया कि बीते चार दिनों में संक्रमण से शिक्षक की मौत के बाद गुरूवार को सुबह राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक बाल विद्यालय, कल्याणपुरी के प्रधानाचार्य ओमपाल सिंह की भी मौत हो गई। इसके कारण शिक्षक वर्ग में शोक व भय का माहौल व्याप्त है।
संघ के माध्यम से शिक्षकों की एक स्वर में मांग है कि अब राहत सेवाएं करीब बंद है इसलिए अलग-अलग कार्यों में लगी उनकी ड्यूटी लगाना समाप्त कर उन्हें वापिस स्कूल भेजा जाए। डी.एम. ऑफिस अपने आधीन कर्मचारियों को सुविधा देने के मकसद से बेवजह शिक्षकों को सरप्लस स्टाफ समझ कर खतरे वाली जगहों पर ड्यूटी लगा रहा है और बिना किसी सुरक्षा के तथा उनके पद से निम्न स्तर के कार्यों को कर रहा है। साथ ही दिशा-निर्देश देने वाले कर्मचारी भी शिक्षकों से निम्न स्तर पर है इसलिए उन्हें अपमान भी झेलना पड़ रहा है। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामले और सप्ताह भर भीतर दिल्ली सरकार के शिक्षक और प्रधानाचार्य की मौत और करीब 400 शिक्षक संक्रमित होने की बात को लेकर राजकीय विद्यालय शिक्षक संघ बहुत परेशान है।
संघ के महासचिव अजय वीर यादव ने बताया कि तनाव में ड्यूटी करने से रोग निरोधक क्षमता भी कम हो जाती है इसलिए अब तक लगभग 400 शिक्षक संक्रमित हो चुके है तथा अब मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। अपनी मांगों का दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान के अनुसार 1 करोड़ रुपयों की धनराशि जो की मुआवजे के रूप में कोरोना ड्यूटी में मरने वाले सरकारी कर्मचारी को दिए जाने है, उसका तुरंत इंतजाम किया जाए तथा जरुरत पड़ने पद अविलम्ब शोक-संपत परिवार को भेज दिए जाएं। मृतक के परिवार में से किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाए। प्रत्येक जिले में एक स्कूल को राहत ड्यूटी कर रहे शिक्षकों के कोरोना टेस्ट हेतु रिजर्व कराया जाए। संक्रमित होने पर शिक्षकों का सभी अस्पतालों में प्राथमिकता पर इलाज हो। शिक्षकों को मात्र स्कूल परिसर में आयोजित राहत कार्यों में ड्यूटी दी जाए तथा बेहतर सुरक्षा उपकरण दिए जाएं। मुख्यमंत्री ने दिनांक 19 अप्रैल, 2020 को कैबिनेट फैसला लेकर एक करोड़ रुपयों के मुआवजे की घोषणा की थी परन्तु आज शिवजी मिश्रा, शिक्षक की मृत्यु को चार दिन बीत गए है और सरकार मौन है इसीलिए अब शिक्षक समाज को शंका हो रही है।