Wednesday, November 20, 2024
Homeअंतराष्ट्रीय“शिक्षक की परिभाषा”

शिक्षक की परिभाषा

शिक्षक ज्ञान का है अद्वितीय प्रवाह।

जिसकी गहराई की नहीं है कोई थाह॥

अच्छाई की खातिर कभी-कभी बनता है बुरा।

ज्ञान प्राप्ति के मार्ग को करता है पूरा॥

ज्ञान के बीज के अंकुरण में होता है सहयोगी।

कृष्ण की तरह तुम्हें बनाना चाहता है कर्मयोगी॥

अच्छाई-बुराई के बीच रखता है समभाव।

शिष्य का हित करना है जिसका सरल स्वभाव॥

ज्ञान का प्रसार करना ही है उसका धर्म।

शिष्य की उन्नति हो अनवरत यही है उसका कर्म॥

शिक्षक समाज में ज्ञान को फैलाने वाला है इत्र।

जिसकी गरिमा तो देवता भी मानते है सर्वत्र॥

तुम्हारी भलाई के कारण अनेकों मुखोटे करता है धारण।

तुम्हारे प्रत्येक संशय का करता है निवारण॥

तुम्हारी उन्नति के लिए हर अभिनय है निभाता।

तुम्हारा अहित तो स्वप्न में भी उसे नहीं भाता॥

राष्ट्र के उत्थान में वह करता उन्नति के संकलित चित्र॥

डॉ. रीना कहती, शिक्षक का कर्म तो है इस दुनिया में सबसे पवित्र।

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments