- अगले 2 महीने के अंदर रेलवे की जमीन पर बसे झुग्गी वालों को खाली पड़े 52,000 मकानों में बसाया जाए क्योंकि यह मकान इन्हीं झुग्गी वासियों के लिए बनाए गए हैं
- दिल्ली सरकार से मेरी यह मांग है कि रेलवे की जमीन पर बसे झुग्गी वालों को तुरंत बिजली-पानी, स्कूल, डिस्पेंसरी, पार्क, सड़क आदि तमाम नागरिक सुविधाओं के साथ खाली पड़े मकानों में उन्हें बसाया जाए
- 2019 में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा था कि उनकी सरकार ने झुग्गीवालों के लिए 65,000 मकान बनाए हैं जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार ने कोई मकान नहीं बनाया
- मुख्यमंत्री केजरीवाल खुद को झुग्गी वासियों का बेटा बताते हैं तो फिर उनको बताना चाहिए कि इन झुग्गी वासियों के लिए पक्के मकान बनाना तो दूर उसके लिए कोई सर्वे या टेंडर तक क्यों नहीं हुआ
- दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास योजना या फिर आयुष्मान भारत योजना लागू क्यों नहीं की गई
- केंद्र सरकार के तहत आने वाले डीडीए ने अपनी जमीन पर बसी झुग्गी कॉलोनियों में से 192 को टेंडर कर उनके सर्वे का काम शुरू कर दिया है
- दिल्ली सरकार ने रस्म अदायगी के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था जहां पर जनता से जुड़े विषयों के साथ न्याय नहीं हुआ
- मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि 2013 से अब तक तीन बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद भी उन्होंने क्या अब तक एक भी झुग्गीवासी के लिए पक्का घर बनाया है
- 2013 में दिल्ली सरकार ने मकान के लिए 5173 जेजे क्लस्टर में रहने वाले झुग्गी वासियों से 68,000 प्रति व्यक्ति जमा कराए थे, जो कुल मिलाकर 39 करोड़ 40 लाख रुपए थे
नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा का सत्र 14 सितम्बर को कुछ घंटों के लिए बुलाया गया था जिसमें जनता के हितों की बात नहीं सुनी गई। जिसे लेकर दिल्ली सरकार के प्रति रोष जताते हुए आज दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित किया। रामवीर सिंह बिधूड़ी ने केजरीवाल सरकार पर गरीब झुग्गी वासियों से वादाखिलाफी करने और उन्हें पक्का मकान आवंटित करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि अगले 2 महीने के अंदर रेलवे की जमीन पर बसे झुग्गी वालों को खाली पड़े 52000 मकानों में बसाया जाए क्योंकि यह मकान इन्हीं झुग्गी वासियों के लिए बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने विपक्ष द्वारा जनहित के मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानसभा के एकदिवसीय मॉनसून सत्र को बढ़ाकर 5 दिन का करने संबंधी की गई मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने झुग्गी वालों के लिए पक्के मकान बनाने के लिए दिल्ली में जगह-जगह जमीन उपलब्ध कराई, केंद्र सरकार ने इन मकानों के निर्माण का आधा खर्च भी दिया लेकिन केजरीवाल सरकार अपने 6 वर्षों के शासनकाल में किसी झुग्गी वाले को पक्का मकान देने में विफल रही। दिल्ली सरकार से मेरी यह मांग है कि रेलवे की जमीन पर बसे झुग्गी वालों को तुरंत बिजली-पानी, स्कूल, डिस्पेंसरी, पार्क, सड़क आदि तमाम नागरिक सुविधाओं के साथ खाली पड़े मकानों में उन्हें बसाया जाए।
बिधूड़ी ने कहा कि 2019 में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा था कि उनकी सरकार ने झुग्गी वालों के लिए 65,000 मकान बनाए जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार ने कोई मकान नहीं बनाया। यह हालत तब है जबकि दिल्ली के कुल 675 झुग्गी झोपड़ी क्लस्टरों में से 138 दिल्ली सरकार की जमीन पर बसे हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल खुद को झुग्गी वासियों का बेटा बताते हैं तो फिर उनको बताना चाहिए कि इन झुग्गी वासियों के लिए पक्के मकान बनाना तो दूर उसके लिए कोई सर्वे या टेंडर तक क्यों नहीं हुआ? दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास योजना या फिर आयुष्मान भारत योजना लागू क्यों नहीं की गई? आखिर इन योजनाओं से इन्हीं झुग्गी वासियों का फायदा होना था। इसी प्रकार झुग्गियों में रहने वाले रेहड़ी पटरी वालों को केजरीवाल सरकार ने एक भी पक्का स्टॉल बनाकर नहीं दिया जबकि केंद्र सरकार इनके लिए वर्ष 2014 में ही कानून बना चुकी थी। इतना ही नहीं केजरीवाल सरकार ने पिछले 6 वर्षों से झुग्गी वासियों व अन्य गरीबों को राशन कार्ड बनाने पर भी रोक लगा रखी है।
बिधूड़ी ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने झुग्गी वासियों के लिए करीब 8000 मकान तैयार कर दिए हैं। इनमें से करीब 3000 मकान कालकाजी में, 2800 मकान कठपुतली कॉलोनी में और 1775 मकान जेलरवाला बाग, अशोक विहार में है। इसके अलावा केंद्र सरकार के तहत आने वाले डीडीए ने अपनी जमीन पर बसी झुग्गी कॉलोनियों में से 192 को टेंडर कर उनके सर्वे का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2022 तक सभी झुग्गी वालों को पक्के मकान बनाकर दिए जाएंगे। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष और विधायक विजेंद्र गुप्ता, प्रदेश उपाध्यक्ष व विधायक अभय वर्मा, विधायक ओम प्रकाश शर्मा, अनिल बाजपाई एवं मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने रस्म अदायगी के लिए विधानसभा का सत्र बुलाया था जहां पर जनता से जुड़े विषयों के साथ न्याय नहीं हुआ। दिल्ली के मुख्यमंत्री झुग्गी-झोपड़ी वासियों के लिए घड़ियाली आंसू बहाते हैं लेकिन अपने तीसरे शासनकाल में भी उन्होंने एक बार भी झुग्गी वासियों की सुध नहीं ली। दिल्ली सरकार ने यह घोषणा की थी कि दिल्ली के लगभग 650 जेजे क्लस्टर तक पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा लेकिन उसमें भी दिल्ली सरकार विफल रही। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट जमा कराया है जिसके अनुसार रेलवे के किनारे बसने वाले झुग्गी वासियों को पक्का घर मिलने के बाद ही उनकी झुग्गियों को हटाया जाएगा। मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि 2013 से अब तक तीन बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद भी उन्होंने क्या अब तक एक भी झुग्गीवासी के लिए पक्का घर बनाया है? खाली पड़े 52,000 मकानों को आज तक झुग्गी वासियों को आवंटित क्यों नहीं किया गया?
गुप्ता बताया कि 2013 में दिल्ली सरकार ने मकान के लिए 5173 जेजे क्लस्टर में रहने वाले झुग्गी वासियों से 68,000 प्रति व्यक्ति जमा कराए थे, जो कुल मिलाकर 39 करोड़ 40 लाख रुपए थे। उन्होंने बताया कि संजय कैंप की जेजे बस्ती, वजीरपुर की के और एल ब्लॉक, खिचड़ीपुर की बीध् डब्ल्यूबी ब्रिज, पार्क साइड बादली इंडस्ट्रियल एरिया, प्रताप कैंप किर्बी प्लेस, एनसी जोशी मेमोरियल हॉस्पिटल, करोल बाग, इंदिरा गांधी कैंप, तैमूर नगर, कीर्ति नगर के रमेश नगर, एफ 7 ब्लॉक सुलतानपुरी, यह तमाम क्लस्टर हैं जिनके झुग्गी वासियों ने मकान के लिए लोन लेकर पैसे जमा किए थे। आज तक झुग्गी वासी उस लोन के ब्याज को भर रहे हैं लेकिन दिल्ली सरकार ने उन्हें एक भी मकान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि डीडीए की जमीन पर बने 32 जेजे क्लस्टर का सर्वे करने के लिए डीडीए ने दिल्ली सरकार को 5 लाख रुपए दिए ताकि सभी को घर मिल सके लेकिन उन्होंने सर्वे नहीं कराया। अंत में डीडीए ने इन क्लस्टर का स्वयं सर्वे कराया। इस सब से यही जाहिर हो रहा है कि दिल्ली सरकार झुग्गी वासियों को प्रताड़ित कर रही है और वह नहीं चाहती है कि उनका विकास हो, उनके जीवन यापन में सुधार हो। हम चुनौती देते हैं कि दिल्ली भाजपा के आरोपों का केजरीवाल सरकार जवाब दें अन्यथा यह माना जाएगा कि वह जानबूझकर इन मामलों को लेकर झुग्गी वासियों को तंग कर रही है।
अभय वर्मा ने कहा कि 2 घंटे का सत्र बुलाकर दिल्ली सरकार जनता के हितों को दरकिनार कर किया है और लोकतंत्र की हत्या की है। उन्होंने बताया कि विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा विधायकों ने जल आपूर्ति को लेकर कई प्रश्न उठाए क्योंकि दिल्ली में कई दिनों से यह देखने को मिल रहा है कि जहां से भाजपा विधायक जीत कर आए हैं वहां पानी की कमी की जा रही है मुश्किल से आधा घंटा पानी आता है वह भी गंदा और बदबूदार। लेकिन दिल्ली सरकार के किसी भी मंत्री ने इस विषय पर न ही कोई उत्तर दिया और न ही कोई आश्वासन। दिल्ली सरकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेश दे रही है कि पानी को भाजपा विधायकों के विधानसभा क्षेत्र से डायवर्ट किया जाए और आम आदमी पार्टी विधायकों के विधानसभा क्षेत्र में भेजा जाए। दिल्ली सरकार की ओर से भाजपा विधायकों के साथ पक्षपात रवैया लगातार किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष के लगातार आग्रह के बाद विधानसभा सत्र को 5 दिनों के लिए नहीं बढ़ाया गया। इससे यह साफ जाहिर है कि केजरीवाल सरकार विरोधी विरोधी पक्ष को दबाना चाहती है और विधानसभा सत्र के माध्यम से इन विषयों को जनता के बीच नहीं जाने देना चाहती है। दिल्ली सरकार से आग्रह है कि भाजपा विधायकों के क्षेत्र में जितना पानी पहले दिया जाता था, वो फिर से मिलना शुरू किया जाए अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें इसके लिए व्यापक आंदोलन करेंगे।
ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा दिल्ली की जनहित से जुड़ी समस्याओं को उठाना चाहता था बहुत ही खेद का विषय है कि सत्र के दौरान उन समस्याओं को शामिल नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले 5 महीने से नगर निगम कर्मचारी वेतन के लिए तरस रहे हैं और मजबूर होकर जब हड़ताल पर जाते हैं तो दिल्ली की दुर्दशा होती है और बीमारी फैलने की आशंका भी बढ़ती है। वित्त आयोग के अनुसार दिल्ली के तीनों नगर निगमों को दिल्ली सरकार की ओर से जो फंड मिलना चाहिए उसे दिल्ली सरकार नहीं जारी करती है। जब कोई हड़ताल होती है तो थोड़ा पैसा जारी करती है लेकिन दिल्ली सरकार के इसी सौतेले व्यवहार के कारण पिछले चार-पांच सालों से तीनों नगर निगमों की आर्थिक हालत खराब हो रही है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में केजरीवाल टुकड़े-टुकड़े गैंग और विकृत मानसिकता के लोगों को एडजस्ट करने का दबाव बना रहे हैं। दिल्ली सरकार द्वारा कॉलेजों के कर्मचारियों को वेतन और दूसरे फंड का प्रावधान भी नहीं किया जा रहा है। इसी प्रकार के जनहित के मुद्दों को विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक उठाना चाहते थे लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री केजरीवाल की औपचारिकता पूरी हुई तो उन्होंने दिल्ली की जनता से जुड़े मुद्दों से अपना पल्ला झाड़ लिया।