Thursday, September 5, 2024
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वैश्विक प्रदूषण से निपटने के लिए वसुधैव कुटुम्बकम अवधारणा अपनाएं : डा. फाम शाह चाउ

– इंडोनेशिया के पूर्व विदेश उपमंत्री ने पश्चिम दिल्‍ली स्थित प्रोफेसर्स ग्लोबल स्कूल में 

– ग्रामीण क्षेत्र में स्थित स्‍कूल मे आने पर उनका आभार व्यक्त किया।

–  राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की सफल इंडोनेशिया कूटनीतिक यात्रा को अपनी अनेक सफलताओं में महत्वपूर्ण

नई दिल्ली, 17 जून 2024

वैश्विक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए भारत की वसुधैव कुटुम्बकम अवधारणा को अपनाना चाहिए। भारत और इंडोनेशिया दोनों को आपसी विचार-विमर्श के माध्‍यम से एक-दूसरे को शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ देने की संभावनाएं हैं। इंडोनेशिया के पूर्व विदेश उपमंत्री एवं भारत में राजदूत रहे डॉ. फाम शाह चाउ ने शुक्रवार को पश्चिम दिल्‍ली स्थित प्रोफेसर्स ग्लोबल स्‍कूल में शिक्षकों की कार्यशाला में ये बातें कहीं। प्रोफेसर ग्‍लोबल स्‍कूल के चेयरमैन डॉ. राजबीर सोलंकी ने मुख्‍य अतिथि डा. फान शाह चाउ का स्वागत किया और ग्रामीण क्षेत्र में स्थित स्‍कूल मे आने पर उनका आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि चेन्नई के पास स्थापित इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली एक बहुत बडी कंपनी विन फास्ट सीएसआर के माध्‍यम से ग्रामीण एवं लोअर क्लास के एस्‍पायरिंग बच्चों को प्रतिभा के आधार पर आर्थिक समर्थन दे सकती है। डॉ. चाउ आजकल खुद विन फास्‍ट कंपनी के इंडिया हेड चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव भी हैं। उन्होंने बताया कि इंडोनेशिया में स्कूल तीन शिफ्ट में भी चलते हैं। डा. चाउ भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी राजदूत रहे हैं। वे इंडोनेशिया और भारत के बीच सीधी विमान सेवाएं आरंभ कराना और तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की सफल इंडोनेशिया कूटनीतिक यात्रा को अपनी अनेक सफलताओं में महत्वपूर्ण बताते हैं।

डॉ. चाउ ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के साथ तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और गंभीर जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपट सकती है। विन फास्ट इंडोनेशियन कार कम्पनी न केवल भारत के युवाओं को रोजगार देगी बल्कि देश की जीडीपी बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग कम करने में भी अपनी भूमिका निभाएगी। बीएम मुंजाल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. रितु छिकारा ने कार्यशाला में यूएन के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के बारे में शिक्षकों को बताया। स्कूल की प्रिंसिपल कृष्णा सोलंकी ने डॉ. चाउ को गीता के अंग्रेजी अनुवाद की एक प्रति भेंट की।

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