Wednesday, November 20, 2024
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पूरी तरह गैरकानूनी थी नई आबकारी नीति : बिधूड़ी

  • मास्टर प्लान के नियमों को तोड़ने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल भी जिम्मेदार
  • विधानसभा का सत्र बुलाकर सरकार दे सभी घोटालों पर जवाब

नई दिल्ली, 20 अगस्त। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि राजधानी में नई आबकारी नीति पूरी तरह गैरकानूनी थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी पता था कि यह नीति गैरकानूनी है। इसके बाजवूद इस नीति को लागू किया गया। इसलिए इस गैरकानूनी नीति को लागू करने के लिए मुख्यमंत्री समेत पूरी केबिनेट जिम्मेदार है। रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आज प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह प्रमाणित किया कि नई आबकारी नीति गैरकानूनी और असंवैधानिक थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली कैबिनेट ने 5 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति पर मुहर लगाई थी। इस कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की थी। आबकारी नीति में कहा गया था कि दिल्ली में कहीं भी शराब की दुकान खोली जा सकती है। यहां तक कि नॉन कनफर्मिंग एरिया और रिहायशी इलाकों में भी शराब के ठेकों को खोलने की मंजूरी दे दी गई। दिल्ली कैबिनेट इस तरह की मंजूरी देने के लिए सक्षम ही नहीं थी क्योंकि मास्टर प्लान-2021 में दिए गए प्रावधानों में नॉन कनफर्मिंग एरिया में शराब की दुकानें नहीं खोली जा सकतीं। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश के प्रवक्ता हरिहर रघुवंशी व खेमचंद शर्मा भी उपस्थित थे।

बिधूड़ी ने कहा कि मास्टर प्लान में बदलाव के लिए पूरी प्रक्रिया है और उसे डीडीए और केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मंजूरी के बाद ही नोटिफाई किया जाता है, लेकिन दिल्ली केबिनेट ने अपनी मर्जी से मास्टर प्लान द्वारा बनाए गए नियमों का जानबूझकर उल्लंघन किया। इसलिए मुख्यमंत्री केजरीवाल समेत पूरी कैबिनेट नियम तोड़ने के लिए उत्तरदायी है। मुख्यमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए फौरन अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बिधूड़ी ने मांग की कि दिल्ली सरकार तुरंत ही विधानसभा का अधिवेशन बुलाए और उसमें आबकारी नीति में हुए घोटाले पर चर्चा की जाए। सरकार को बताना होगा कि आखिर उसने मास्टर प्लान में दिए गए नियमों की जानबूझ कर अवहेलना क्यों की। श्री बिधूड़ी ने कहा कि सिर्फ आबकारी नीति ही नहीं सरकार को स्कूल कमरों को बनाने में हुए घोटाले, डीटीसी की बसों की खरीद में हुए घोटाले, दिल्ली जल बोर्ड घोटाले और स्वास्थ्य विभाग में कागजी अस्पताल बनाने के घोटालों पर भी जवाब देना होगा। भ्रष्टाचार का विरोध करने के नाम पर सत्ता हासिल करने वाली इस सरकार के मुख से अब नकाब पूरी तरह उतर गया है और उसे जनता के सवालों का जवाब देना होगा।

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