- गूगल फॉर्म के माध्यम से दिए सुझाव
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, आंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय आदि प्रमुख संस्थान हुए शामिल
- प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के करीब 3 हजार छात्रों ने दी अपनी राय
नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने दिल्ली के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों से ऑनलाइन परीक्षा तथा आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा पर गूगल फॉर्म के माध्यम से विस्तृत सुझाव लिए, जिनमें लगभग 3000 छात्रों ने अपनी राय गूगल फॉर्म के माध्यम से दी। इनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, आंबेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय आदि प्रमुख संस्थान हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं से, विश्वविद्यालय अध्यापकों से, छात्र समुदाय से लिए सुझावों के आधार पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की कोविड-19 महामारी के दौरान उपजी शैक्षिक क्षेत्र की समस्याओं पर बनी एक्सपर्ट कमेटी को 9 बिंदुओं पर सुझाव दिए हैं। अभाविप के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियां सभी के लिए असामान्य और मुश्किल भरी हैं। ऐसे में कोई भी निर्णय ऐसा नहीं लिया जाना चाहिए जिससे छात्रों को अतिरिक्त समस्याओं को उठाना पड़े । हमने जो सुझाव आज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के एक्सपर्ट कमेटी को दिए हैं, वह छात्रों की विस्तृत राय जानने के बाद दिए हैं और छात्रों की राय को ज्ञापन के साथ संलग्न किया है। हम ऑनलाइन परीक्षा के समर्थन में नहीं हैं और आशा करते हैं कि सरकार कोई भी निर्णय यदि लेगी तो उसमें छात्रों को हितधारक के रूप में जरूर शामिल किया जाएगा।
- ये 9 सुझाव इस प्रकार हैं
- परीक्षा के ऑनलाइन मोड को जितना सम्भव हो नहीं अपनाया जाना चाहिए और इस संबंध में सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बिना इस पर कोई तत्काल निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए।
- स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। परंतु यह परीक्षा लॉकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाने के बाद ही ऑफलाइन मोड के माध्यम से परीक्षाएं आयोजित की जाएं।
- स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा के लिए पाठ्यक्रम सामग्री को कम किया जाए तथा लॉकडाउन के पूर्व जितना सिलेबस हुआ था, उतने सिलेबस से ही परीक्षा ली जाए।
- छात्रों के लिए जब परिवहन की व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू हो जाए उसके उपरांत ही परीक्षा करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए।
- अंतिम वर्ष के छात्रों को नौकरी लेनी है, प्रवेश परीक्षाओं के लिए उपस्थित होना है और भविष्य के विकल्पों को चुनना है। इसलिए, अंतिम वर्ष के छात्रों को हर रूप से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
- छात्रों का सुझाव है कि यदि शैक्षणिक संस्थानों की तालाबंदी अगले दो महीनों के लिए यदि बढ़ा दी जाती है, तो उस स्थिति में स्नातक के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों और स्नातकोत्तर के प्रथम वर्ष के छात्रों को अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत कर दिया जाए तथा इस सेमेस्टर के विषयों को समान रूप से आगे के सेमेस्टरों में पास करने का अवसर दिया जाए।
- हम यह भी अनुरोध करते हैं कि आंतरिक मूल्यांकन के लिए एक दिशानिर्देश दिया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को ऑनलाइन मोड के माध्यम से अपना आंतरिक मूल्यांकन प्रस्तुत करने की कोई बाध्यता नहीं है। ऑफलाइन मोड में आंतरिक मूल्यांकन परीक्षा का विकल्प छात्रों को हर समय दिया जाना चाहिए।
- प्रवेश परीक्षा के योग्यता संबंधी नियमों के मानदंडों को शिथिल किया जाना चाहिए तथा सभी नियामकों को इस संदर्भ में विस्तृत चर्चा के उपरांत तय मानकों में छात्रों को ढील दी जानी चाहिए।
- हमारा मानना है कि ऐसे समय में जब पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस कर्मचारी, सफाई कर्मचारी और अन्य लोग कोविड-19 की स्थिति से लड़ रहे हैं, शिक्षकों और छात्रों से भी अपील की जानी चाहिए कि वे अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए एक कदम बढ़ाने को तैयार रहें।