- नहीं सुन रही है दिल्ली व केंद्र सरकार
- तीन बार पत्र लिखने के बाद भेजा गया रिमांइडर
- सुरक्षा किट व जरूरी सामान नहीं दे रहा है सरकार
- जान जोखिम में डाल कर रही है कार्य
- कोरोना योद्धाओं के बराबर का कार्य कर रही है
- महीने में एक हजार रुपये दे रही है दिल्ली सरकार
नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना महामारी यानि कोविड-19 की जंग में शामिल आशा वर्कर्स की जमकर अनदेखी की जा रही है। इसी को देखते हुए दिल्ली आशा वर्कर एसोसिएशन यूनियन कल शुक्रवार को दिल्ली और केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी मागों को लेकर सोशल मीडिया पर सरकार को जगाने का कार्य करेंगी। यूनियन पदाधिकारी कविता सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस पूरे विश्व में मौत का तांडव कर रहा है। फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स यानि आशा वर्कर्स को इस खतरनाक काम को करने के लिए जिसमें न सिर्फ उनको बल्कि उनके परिवार को भी संक्रमण हो रहा है, सरकार मात्र 1000 रुपये प्रदान कर रही है जबकि कई आशा वर्कर ऐसी भी हैं जिनका घर उन्हीं की कमाई से चलता है।
दिल्ली आशा वर्कर एसोसिएशन यूनियन ने कहा कि हमारी सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए नाम मात्र के सुरक्षा साधन दे कर हमें दबाव के साथ इस काम में लगा दिया गया है। हमारी एकमात्र दिल्ली आशा वर्कर एसोसिएशन यूनियन ने पहले ही 3 पत्र और एक रिमाइंडर दिल्ली सरकार व मोदी सरकार को दे चुकी हैं जिसमें हमने अपनी समस्याओं को बताते हुए कुछ सुझाव दिए थे जिससे कि न सिर्फ हम आशाओं का बचाव होगा बल्कि हमारे एरिया में फैलने वाले संक्रमण को भी रोका जा सकेगा। लेकिन सरकार ने हमारे महत्वपूर्ण सुझावों को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया है। इन परिस्थितियों में मई दिवस की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। हम आशा वर्कर्स मई दिवस के अवसर पर अपनी मांगों को लेकर एक प्ले कार्ड पर अपनी मांगों के साथ तैयार होकर सोशल मीडिया के माध्यम से सरकारों के साथ ही अपने सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों तक अपनी समस्याओं को पहुंचाएंगे।