Saturday, July 27, 2024
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अंकगणित और रसायन विधि से नहीं मापा जाएगा किसी देश का विकास : जोशी

– दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर हुआ कार्यक्रम का आयोजन
– राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका : प्रो. योगेश सिंह
– केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी किया संबोधित

नई दिल्ली, 5 सितंबर 2023  

आरएसएस के पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि अंकगणित और आज की रसायन विधि के मापन से किसी देश का विकास नहीं मापा जाएगा। भैयाजी जोशी दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर ’राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मार्गदर्शक संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने विकास के मापदंड अपने आधार पर तय किए हैं। उन्हीं के आधार पर उनके विकास का आकलन होता है। भारतीय चिंतन की तुलना में वह बहुत ही निम्न स्तर के हैं। भौतिक संपन्नता से युक्त व्यक्ति ही श्रेष्ठ माना जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय की मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति और भारत विकास परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल उपस्थित रहे जबकि भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन तथा सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की गैर राजनीतिक घटनाओं का जिक्र करते हुए अनेकों किस्से साझा किए। उन्होंने शिक्षक के पद को महत्वपूर्ण बताते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भी याद किया जिन्होंने राष्ट्रपति पद से निवृति के पश्चात शिक्षण कार्य को महत्व दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि पढ़ने की आदत ही वास्तव में व्यक्ति को शिक्षक बनाती है। कुलपति ने उपस्थित शिक्षकों से आह्वान किया कि वे साल में कम से कम 12 पुस्तकें जरूर पढ़ें।

–  भारत विश्व गुरु तो बनेगा लेकिन यह हमारा भाग्य है
सुरेश भैयाजी जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि अगर हम विकास के दो पक्ष मानें तो उसमें एक पक्ष है वैभव संपन्नता जिसकी भारत ने कभी उपेक्षा नहीं की है और न ही भारत कभी करेगा। भारत वैभव संपन्न स्वर्ण भूमि रहा है और स्वर्ण भूमि रहेगा, लेकिन उसका दूसरा पक्ष है कि मानस के धरातल पर व्यक्ति कैसा बनेगा। इस पक्ष को भी सशक्त होने की आवश्यकता रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत विश्व गुरु तो बनेगा लेकिन यह हमारा भाग्य है कि उसका कारण हम बन सकें। भैय्याजी जोशी ने कहा कि आज हमें वास्तव में इस बात पर सोचने की आवश्यकता है कि भारत के विकास में हम सब की क्या भूमिका है। देश नेताओं के कारण बड़ा नहीं होता देश का बड़प्पन उसके सामान्य व्यक्ति के जीवन पर होता है। उन्होंने कहा कि जिनका अनुकरण किया जाए, ऐसे व्यक्तित्व का अभी अभाव है। किस प्रकार के व्यक्तियों का निर्माण होने की संभावना है? इस पर विचार करने की जरूरत है। आज जिस प्रकार का युग है उसे युग में अगर भारत भी उससे प्रभावित होगा तो दुनिया का मार्ग बताने वाला कोई नहीं बचेगा। अगर विश्व को शांति अहिंसा सत्य परिश्रम प्रमाणिकता निष्ठा और परस्पर सहयोग जैसे मूल्यों पर विश्व को ले जाना है तो इन मूल्यों का भारतीय औपचारिक शिक्षा में प्रावधान होना चाहिए। उसका प्रयत्न विश्वविद्यालयों के द्वारा हो। उन्होंने कहा कि मानसिक आधार पर कुरीतियों के रहते हुए ज्ञान का सदुपयोग नहीं, दुरुपयोग होता है।

– शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु, दुर्गा भाभी को भी याद किया
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन की गैर राजनीतिक घटनाओं का जिक्र करते हुए अनेकों किस्से साझा किए। उन्होंने शिक्षक के पद को महत्वपूर्ण बताते हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भी याद किया जिन्होंने राष्ट्रपति पद से निवृति के पश्चात शिक्षण कार्य को महत्व दिया। मेघवाल ने शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु के स्मरण करने के साथ-साथ दुर्गा भाभी को भी याद किया और कहा कि आजादी की लड़ाई की वह भी एक गुमनाम नायिका थीं। मेघवाल ने अपने जीवन के संस्मरण सुनाते हुए बताया कि कैसे उनकी पत्नी ने उनकी दो रुपए फीस दे कर उनकी शिक्षा को जारी रखा था।  

– कुलपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका है
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि पढ़ने की आदत ही वास्तव में व्यक्ति को शिक्षक बनाती है। कुलपति ने उपस्थित शिक्षकों से आह्वान किया कि वे साल में कम से कम 12 पुस्तकें जरूर पढ़ें। उन्होंने कहा कि शिक्षक के लिए स्वाध्याय जरूरी है। इसके साथ ही उन्होने विद्यार्थियों से भी अधिक से अधिक पुस्तकें पढ़ने का आह्वान किया। कुलपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका है। शिक्षकों का जीवन और वाणी प्रेरणा देने वाले होने चाहियें। प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि शिक्षा बहुत प्रभावशाली हथियार है। यदि यह संस्कारी व्यक्ति के पास है तो मानवता के काम आएगा और यदि असंस्कारी व्यक्ति के पास है तो मानवता के लिए खतरनाक होगा। उन्होंने कहा कि डिग्री और संस्कार में सामंजस्य स्थापित करने का काम शिक्षक का ही है। कुलपति ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के काम में शिक्षक बहुत अहम उपकरण हैं। उसके लिए विद्यार्थियों को तैयार करने का बड़ा काम शिक्षकों के हाथ में ही है। और देश शिक्षकों से ऐसी अपेक्षा भी रखता है। कुलपति ने सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ भी दी।

– शिक्षक ही इस देश को दुबारा से सोने की चिड़िया बना सकते हैं
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन ने अतिथियों का परिचय करवाया। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही इस देश को दुबारा से सोने की चिड़िया बना सकते हैं। व्यक्ति निर्माण का कार्य गुरु का ही होता है। अगर देश को दुनिया का सिरमौर बनाना है तो सत्ता नहीं बल्कि शिक्षक ही बना सकते हैं। कार्यक्रम के दौरान जस्टिस एसएन अग्रवाल द्वारा लिखित “भारत ऐज़ विश्व गुरु” पुस्तक का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल ने पुस्तक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 

कार्यक्रम के संयोजक, दिल्ली विश्वविद्यालय की मूल्य संवर्धन पाठ्यक्रम समिति के अध्यक्ष एवं डीन प्लानिंग प्रो. निरंजन कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय में बहुत से अच्छे कार्य हुए हैं जिनकी पृष्ठ भूमि में एकमात्र नाम कुलपति प्रो. योगेश सिंह का है। इनके नेतृत्व में एनईपी 2020 को डीयू ने देश में सबसे पहले लागू किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों समेत अकादमिक जगत, पुलिस-प्रशासन, विधि और उद्योग जगत के राष्ट्रीय स्तर के गणमान्य व्यक्तित्व और अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्स और शोधार्थी मौज़ूद रहें।

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