Saturday, July 27, 2024
Homeअंतराष्ट्रीय2015 से पहले तक दिल्ली की 95% अनिधिकृत कॉलोनियों में नहीं हुआ...

2015 से पहले तक दिल्ली की 95% अनिधिकृत कॉलोनियों में नहीं हुआ था विकास कार्य : सिसोदिया

  • – DUSIB तथा IGSSS के सौजन्य से दिल्ली की बस्तियों के समुदायिक नेतृत्व प्रबंधन पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक का हुआ आयोजन- दिल्ली की बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्वयं की बस्ती के विकास के लिए निर्णय लेने व पॉलिसी चयन करने का अधिकार देना उनकी तरक्की के लिए महत्वपूर्ण -2015 से पहले तक दिल्ली की 95% अनिधिकृत कॉलोनियों में नहीं हुआ था विकास कार्य, सरकार में आने के बाद पिछले 7 सालों में ज़्यादातर कॉलोनियों में विकसित की बुनियादी सुविधाएं – डूसिब की समुदायिक नेतृत्व प्रबंधन पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक से बस्तियों के विकास के लिए निकले कुछ बेहद महत्वपूर्ण व अनूठे आइडियाज

नई दिल्ली,10 सितम्बर 2022 : दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) “दिल्ली में बस्ती के सामुदायिक नेतृत्व प्रबंधन पर राष्ट्रीय परामर्श बैठक”, इंडो ग्लोबल सोशल सर्विस सोसाइटी (IGSSS) के सहयोग से 10 सितंबर 2022 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर- Annexe, दिल्ली में आयोजन किया गया। कार्यक्रम में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। साथ ही कार्यक्रम में ओडिशा से सांसद अमर पटनायक व आंध्र प्रदेश के सांसद अयोध्या रामी रेड्डी सांसद सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे|

यह परामर्श दिल्ली में स्लम बस्तियों के उत्थान पर झुग्गी बस्ती स्तर पर समिति गठन के लिए एक चर्चा शुरू करने के लिए पहले कदम के रूप में आयोजित किया गया। इस अनूठे चर्चा में भागीदार बनकर झुग्गी निवासियों ने भी अपनी बात रखी, और अपने बस्तियों के विकास सहित अन्य सामाजिक समस्याओं से पैनल को अवगत करवाया। बैठक में दिल्ली के 50 से अधिक CSOs तथा 100 से अधिक प्रतिभागियों के साथ चर्चा हुई, जिन्हें झुग्गी बस्तियों में सामुदायिक प्रबंधन विकसित करने के लिए जोड़ा गया था। परामर्श में प्रतिभागियों की एक विस्तृत श्रृंखला थी जो कि अपने-अपने राज्यों के प्रतिनिधित्व शामिल थे। सभा में छह राज्यों से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे जिन्होंने बस्ती स्लम विकास में सामुदायिक भागीदारी का अनुभव बताया। मध्य प्रदेश के झुग्गी वासियों के मोहल्ला सभा जैसे अनुभव, जिन्हें ओडिशा में भागीदार के रूप में मान्यता प्राप्त है, नागपुर की भागीदारी और अहमदाबाद की स्लम नेटवर्किंग प्रोग्राम – कुछ ऐसे ही अनुभव सामने आए, जिन्हें साझा किया गया और जिनपर चर्चा की गई।

बैठक में बतौर मुख्य अतिथि शामिल मनीष सिसोदिया ने कहा कि, ये बेहद हर्ष की बात है कि डूसिब जनता की समस्याओं को फाइल से बाहर निकाल कर, उन्ही के आइडियाज पर चर्चा कर इन समस्याओं को ठीक करने के लिए अनूठे प्रयास कर रही है| उन्होंने कहा कि दिल्ली की बस्तियों में रहने वाले लोगों को स्वयं की बस्ती के विकास के लिए निर्णय लेने व पॉलिसी चयन करने का अधिकार देना उनकी तरक्की के लिए महत्वपूर्ण है| क्योंकि वह लोग जमीनी स्तर पर अपनी समस्याओं व उसे ठीक करने के उपायों के विषय में ज्यादा बेहतर समझते है| ऐसे में इस प्रकार के आयोजन उन्हें मंच प्रदान करेंगे जहाँ लोग अपने बस्तियों के तरक्की के लिए अपने विचार साझा कर सकेंगे|

सिसोदिया ने कहा कि, 2015 में सरकार में आने के बाद हमने देखा कि दिल्ली की 95% बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनियों में पानी, सीवर और सड़कें जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थी। हमनें इसपर उन कॉलोनियों के लोगों से उनके सुझाव मांगे और इन कॉलोनियों, बस्तियों में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने की दिशा में काम किया| इसका नतीजा है कि आज दिल्ली की ज़्यादातर कॉलोनियों में, बस्तियों में यह सभी सुविधाएं उपलब्ध है और जहाँ नहीं है वहां काम चल रहा है|

सांसद अमर पटनायक कुछ आवश्यक बिंदुओं पर प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि “बस्तियों में सामाजिक, आर्थिक, जेंडर और कल्चरल मानदंडों का ध्यान रखते हुए सोचना होगा, कि सम्पर्क और सम्वाद दोनों तरफ़ से हो, सरकार से बस्ती और बस्ती से सरकार। सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, मालिकाना हक़ की तरफ़ चलना होगा। ये सोचना होगा कि किस तरह का सम्वाद हो जिससे भागीदारी बढ़े।”

आंध्र प्रदेश से सांसद श्री अयोध्या रामी रेड्डी ने कहा कि “शहरों की मास्टर प्लानिंग में चूक हुई। सरकार को प्लान करना होगा कि बस्ती में रहने वाले इतने लोगों के लिए, इतना इंफ़्रास्ट्रक्चर, इतने खर्चे में बनाना है। परामर्श प्रक्रिया में सभी हितधारकों को लेकर आना है, और सभी को प्रदेय बताने होंगे, जिससे कि कार्य समय पर, सही से सम्पन्न हो।”

दिन के दूसरे सत्र में डूसिब CEO श्री के महेश ने परामर्श में सभी विशेषज्ञों और हितधारकों के सामने सवाल रखा, कि बस्ती विकास समिति का गठन चुनाव, नामांकन, या कोई वरिष्ठ कमेटी के सुझाव के द्वारा हो? कार्यकाल कितना हो? ताक़तें क्या क्या हो।

DUSIB CEO ने आश्वासन दिया है कि बस्ती विकास समिति के लिए विशेषज्ञों और समुदाय के सदस्यों द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं को दर्ज किया गया है। दिल्ली पहले राज्यों में से है, जो इस तरह की पॉलिसी पर काम कर रही है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments