- उपराष्ट्रपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय में किया तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का उद्घाटन
- देश में 200 करोड़ वेक्सीन लगाना कोई आसान काम नहीं था, जिसे सरकार ने साकार किया है
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक क्रांतिकारी कदम
नई दिल्ली, 10 नवम्बर 2022: देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनफॉर्मेशन और इनोवेशन (ट्रिपल ई) के बिना आज के दौर में काम चलना मुश्किल है। इन्फ्रास्ट्रक्चर आसान है, लेकिन इनोवेशन कठिन है। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनफॉर्मेशन एंड इनोवेशन फॉर बिल्डिंग न्यू भारत के उद्घाटन अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति तथा दिल्ली पुस्तकालय संघ और एसआरएफएलआइएस द्वारा संयुक्त रूप किया गया। समारोह के दौरान गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष, विजय गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि गांधी स्वच्छता, स्वदेशी, सत्याग्रह आदि की बात करते थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले स्वच्छता का बीड़ा उठाया। गांधी के सबसे बड़े अनुयायी नरेंद्र मोदी ही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में उपराष्ट्रपति एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। कुलपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष की भी बधाई दी।
- आज भारत पहले से अधिक गति से उभर रहा है
जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस कान्फ्रेंस में जब इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनफॉर्मेशन एंड इनोवेशन पर फोक्स किया जाएगा तो ज्वलंत मुद्दे कवर होंगे, इन तीनों के बिना आज के दिन काम चलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि आज भारत पहले से अधिक गति से उभर रहा है। आज भारत को वो स्थान प्राप्त हो रहा है जो शदियों पहले था। दुनिया में भारतीयता और भारतवासियों का सम्मान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से विकास कर रहा है। जो चीजें कभी सोची भी नहीं थी, वो आज हकीकत बन रही हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोविड महामारी के दौर में जब लंदन और यूरोप सहित अनेकों देशों में हेल्थ स्ट्रक्चर फेल हो गए थे तब भी भारत ने मजबूती दिखाई। देश में 200 करोड़ वेक्सीन लगाना कोई आसान काम नहीं था, जिसे सरकार ने साकार किया है।
- अब हाई बैंचमार्क सैट करने की जरूरत है
धनखड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सौ वर्ष पूरे होने पर बधाई देते हुए कहा कि अब हाई बैंचमार्क सैट करने की जरूरत है। उन्होने उपस्थित विद्यार्थियों से भी आह्वान किया कि वे अपने से बड़ों, अपने शिक्षकों और अभिभावकों के प्रति अत्यधिक आदर-सम्मान का भाव रखें। अपनी राष्ट्रीयता को सर्वोपरि रखें। संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उपयोग करने के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों पर भी ध्यान दें। आपको लगेगा कि इनका पालन करना बहुत आसान है, और आपको इनके पालन करने में खुशी का अनुभव होगा। भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है, इसलिए हमारे देश की पहचान छात्र समुदाय से होनी चाहिए। - डिजिटल इंडिया पहल ने सभी ऐसी सेवाओं को सुगम बना दिया है
उपराष्ट्रपति ने मोदी के नेतृत्व में तकनीकी विकास की चर्चा करते हुए कहा कि पहले लोग बिल भरने से लेकर अनेकों सेवाओं के लिए घंटों तक लंबी लाइनों में लग कर समय बर्बाद करते थे, लेकिन सरकार की दूरगामी सोच के साथ डिजिटल इंडिया पहल ने सभी ऐसी सेवाओं को डिजिटल कर के सुगम बना दिया है। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर हर चीज का मूल है, लेकिन कई बार ये दिखाई नहीं देता। देश में तकनीकी रूप से इसे मजबूत किया गया है। आज वंदे भारत ट्रेनों ने सफर के समय को बहुत ही कम कर दिया है। - भारत शाइनिंग स्टार बन कर उभर रहा है
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज जब दुनिया आर्थिक संकट झेल रही है, इस दौर में भी भारत शाइनिंग स्टार बन कर उभर रहा है। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकारी नीतियों में साकारात्मक बदलाव और देश के लोगों की कड़ी मेहनत ही है। आज गांधी के सपनों का भारत सामने नज़र आने लगा है। मोदी के नेतृत्व में लोगों ने बदलाव की शुरुआत की है। सपूर्ण स्वच्छता के साथ शुरू हुआ बदलाव आज भारत के विकास की यात्रा में जबर्दस्त आयाम दिखाता है। नए भारत में हर व्यक्ति का भविष्य उज्ज्वल नज़र आता है। - अनेकों बड़ी कंपनियों में भारतीय व्यक्ति उच्च पदों पर आसीन हैं
धनखड़ ने कहा कि आज दुनिया की अनेकों बड़ी कंपनियों में भारतीय व्यक्ति उच्च पदों पर आसीन हैं। ये सब भारत के प्रतिभाशाली लड़के और लड़कियां ही कर रहे हैं। अब समय आ गया है जब युवाओं को इथेंटिक ओपिनियन मेकर बनना है। आपके पास आइडिया है तो पैसे की कोई कमी नहीं है। सरकार ने अनेकों योजनाओं से इसे सुलभ बना दिया है। आजादी के अमृत महोत्सव में आत्मनिर्भर भारत एक नया कंसेप्ट बन कर उभरा है। उपराष्ट्रपति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का जिक्र करते हुए कहा कि 34 साल बाद यह क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। शिक्षा नीति के निर्माण में सभी हितधारकों से इनपुट लिए गए हैं। इस नीति में पहली बार भारतीयता को समझा गया है। मातृभाषा की ओर संकेत के द्वारा इस नीति के तहत देश की प्रतिभाओं को चमकने का मौका दिया गया है। - शिक्षकों और अभिभावकों के प्रति अत्यधिक आदर-सम्मान का भाव रखें
उपराष्ट्रपति ने उपस्थित विद्यार्थियों से भी आह्वान किया कि वे अपने से बड़ों, अपने शिक्षकों और अभिभावकों के प्रति अत्यधिक आदर-सम्मान का भाव रखें। अपनी राष्ट्रीयता को सर्वाेपरि रखें। संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उपभोग करने के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों पर भी ध्यान दें। आपको लगेगा कि इनका पालन करना बहुत आसान है, और आपको इनके पालन करने में खुशी का अनुभव होगा। भारत का भविष्य युवाओं के हाथ में है, इसलिए हमारे देश की पहचान छात्र समुदाय से होनी चाहिए। - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले स्वच्छता का बीड़ा उठाया
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष, विजय गोयल ने अपने संबोधन में कहा कि गांधी स्वच्छता, स्वदेशी, सत्याग्रह आदि की बात करते थे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले स्वच्छता का बीड़ा उठाया। गांधी के सबसे बड़े अनुयायी नरेंद्र मोदी ही हैं। उन्होने लोकल फॉर वोकल और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के द्वारा गांधी के सपनों का भारत बनाने की पहल की है। यह कान्फ्रेंस उसी दिशा में सार्थक कदम है। उन्होंने 50 वर्ष पहले के दिल्ली विश्वविद्यालय में अपने छात्र जीवन के अनेकों अनुभवों को भी साझा किया। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह को बधाई देते हुए कहा कि प्रो. योगेश ने एक वर्ष में ही पूरे विश्वविद्यालय को बदल कर रख दिया है।
- इस वर्ष 802 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है: कुलपति प्रो. योगेश सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में उपराष्ट्रपति एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया। कुलपति ने दिल्ली विश्वविद्यालय के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष की भी बधाई दी। उन्होने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1948 में यहां से पहली पीएचडी प्रदान की गई थी, और इस वर्ष 802 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है। इस सत्र में सीयूईटी के तहत दाखिले किए गए हैं। उन्होंने कॉन्फ्रेंस के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इससे जो जानकारियां निकल कर आएगी, वह निरूसंदेह सरकार के नीति निर्माण में सहायक होंगी। - निदेशक प्रो. केपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी एवं गांधी भवन, दिल्ली विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. केपी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कान्फ्रेंस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस कान्फ्रेंस में देश-विदेश से सैंकड़ों प्रतिभागी, प्रतिनिधी, शिक्षाविद, वैज्ञानिक, कुलपति, आचार्य पुस्तकालयध्यक्ष आदि भाग लेंगे और इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनफॉर्मेशन एंड इनोवेशन फॉर बिल्डिंग न्यू भारत जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार विमर्श और परिचर्चा करेंगे। उद्घाटन समारोह के अंत में दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञपित किया। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजज प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. प्रकाश सिंह, शताब्दी समारोह समिति की कनवीनर प्रो. नीरा अग्निमित्र व पीआरओ अनूप लाठर सहित सभी डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और सैंकड़ों विद्यार्थी उपस्थित रहे।