– चुनाव से पूर्व नहीं चलाया कर्मियों के लिए मेंबरशिप ड्राइव
नई दिल्ली, 8 सितम्बर 2022: दिल्ली विश्वविद्यालय एवं कॉलेजिज एससी /एसटी कर्मचारी वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव केदारनाथ ने आम सभा में बिना कार्यकारिणी की सहमति से लॉ फैकल्टी के शिक्षक को चुनाव अधिकारी बनाए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है और बताया है कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों से बिना पूछे ही लॉ फैकल्टी के शिक्षक के नाम की घोषणा कर दी। उनके नाम का सभी ने अपना विरोध किया बावजूद उन्हें ही चुनाव अधिकारी बनाया गया। उनका कहना है कि इससे पूर्व एसोसिएशन के चुनाव में सदैव अनुसूचित जाति के दो चुनाव अधिकारी बनाए जाते हैं, पिछले चुनाव में भी दो प्रोफेसर को ही चुनाव अधिकारी / ऑब्जर्वर बनाया जाता रहा है। इस बार एक क्यों ?
केदारनाथ ने यह भी बताया है कि कर्मचारी एसोसिएशन के चुनाव वैसे ही अपने समय से विलंब से हो रहे है, कर्मियों के विरोध के बाद चुनाव कराएं जा रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव की तिथि घोषित होने से पूर्व एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों की सहमति होती है कि हमें किस व्यक्ति को चुनाव अधिकारी बनाना है लेकिन अध्यक्ष ने एसोसिएशन के व्यक्तियों से उनके नाम की सहमति नहीं ली और उन्होंने अकेले ही गुपचुप तरीके से उनका नाम प्रस्तावित कर दिया जिस पर आम सभा में आयें लोगों ने घोर विरोध किया किंतु अध्यक्ष ने विभिन्न कॉलेजों से आएं आम सभा में कर्मियों की एक नहीं सुनी।
केदारनाथ ने बताया है कि कर्मचारी एसोसिएशन का चुनाव हर दो साल के बाद होता है लेकिन यह पहला अवसर है कि चार साल बाद हो रहा है, वह भी कर्मियों ने वर्तमान अध्यक्ष द्वारा यूनियन ऑफिस पर अपना कब्जा करना व कर्मियों के हितों में कार्य न करना। इसके अतिरिक्त कर्मियों की लंबे समय से नियुक्ति व पदोन्नति न होना। केदारनाथ ने बताया है कि चुनाव से पहले एससी/एसटी कर्मियों के लिए मेम्बरशिप ड्राइव चलाया जाता है लेकिन उन्होंने चुनाव की तिथि 30 सितम्बर 2022 घोषित कर दी जबकि कॉलेजों में नई नियुक्तियां हुई हैं उन्हें यूनियन का सदस्य बनाना चाहिए था लेकिन अध्यक्ष ने बिना पदाधिकारियों की सहमति से तिथि व चुनाव अधिकारी की घोषणा कर दी। उन्होंने एससी /एसटी कर्मियों को संस्था से जोड़ने के लिए 15 दिनों के लिए मेम्बरशिप ड्राइव चलाए जाने की मांग की है साथ ही चुनाव कराने के लिए दो ऑब्जर्वर नियुक्त किए जाने की मांग दोहराई है।