- स्कूली बच्चों ने प्रसिद्ध लाइफ-स्टाइल कोच गौर गोपाल दास से जाने हैप्पीनेस के असल मायने – हैप्पीनेस क्लास से बच्चों में आया बड़ा बदलाव अब उत्सव के माध्यम से दिल्ली के लाखों नागरिकों तक हैप्पीनेस पहुंचाकर उन्हें खुश रहना सीखाएँगे – अपने पैशन को फॉलो करने, रिश्तों को अहमियत देने से मिलती है असली ख़ुशी, हैप्पीनेस करिकुलम के माध्यम से स्कूली बच्चों को खुश रहने के ये उसूल सिखा रही है दिल्ली सरकार – पिछले 4 सालों में हैप्पीनेस करिकुलम का सफ़र रहा शानदार, बच्चों का पढ़ाई में बढ़ा फोकस उन्हें स्ट्रेस-फ्री रहने में भी मिली मदद – सफलता खुशी न भी लाए, खुशी सफलता जरूर लाती है, रिश्तों से, समाज के लिए योगदान देकर व मन की ताकत से, ये खुशी हम खुद बनाते है- खुश रहने के लिए नकारात्मक सोच से बाहर निकलते हुए जिन्दगी के सकारात्मक पक्षों को खुलकर करें एन्जॉय – एक पखवाड़े तक चलने वाले हैप्पीनेस उत्सव में दिल्ली सरकार के स्कूली छात्र अपने घर व आस-पड़ोस के 5-5 लोगों को सिखाएंगे हैप्पीनेस के गुर
नई दिल्ली : 14 जुलाई 2022 : केजरीवाल सरकार के स्कूलों में गुरूवार से ‘हैप्पीनेस उत्सव 2022’ की शुरुआत हुई| प्रसिद्ध लाइफस्टाइल कोच गौर गोपाल दास और उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरूवार को कौटिल्य सर्वोदय विद्यालय, चिराग एन्क्लेव में एक पखवाड़े तक चलने वाले इस उत्सव का शुभारंभ किया| इस मौके पर गौर गोपाल दास ने बच्चों के साथ हैप्पीनेस क्लास अटेंड करते हुए माइंडफुलनेस का अभ्यास किया और बच्चों से हैप्पीनेस पर ख़ास बातचीत करते हुए उन्हें हैप्पीनेस के असल मायने बताएं| उन्होंने कहा कि हैप्पीनेस की जो बातें आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों को सिखाई जा रही है वो चीजें मैं इंजीनियरिंग करने के बाद आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद सीख पाया कि कैसे माइंडफुल रहते हुए स्वयं अपने मन और जिन्दगी को बेहतर बना सकते है|
गौर गोपाल दास जी ने बच्चों से चर्चा करते हुए कहा कि, खुश रहने के लिए ये बेहद जरुरी है कि हमें ख़ुशी के पहलुओं की समझ हो| हमें लगता है कि बहुत-सी सुविधाएं होने पर हम खुश रह सकते है लेकिन ऐसा नहीं है| उदाहरण के लिए कोई शानदार गाडी हमें ख़ुशी नहीं देती बल्कि सफ़र से ख़ुशी मिलती है| ठीक उसी तरह हमें घर से ख़ुशी नहीं मिलती बल्कि उसमें रहने वाले लोगों से, उनके साथ हमारे रिश्तों से ख़ुशी मिलती है| उन्होंने कहा कि बड़ी सुविधाएं हासिल करना गलत नहीं है वो बेहद जरुरी है क्योंकि उससे हम स्वयं की अपने परिवार की जिन्दगी को बेहतर कर सकते है| लेकिन यह सोचना कि आपके पास मौजूद वस्तुएं आपको ख़ुशी देंगी ये गलत है| उन्होंने कहा कि हमें हमारे रिश्ते ख़ुशी देते है ,अपने पैशन को फॉलो करना हमें ख़ुशी देते है और हमें ख़ुशी के इन उसूलों को सीखना चाहिए| इन्हें सिखाया जा सकता है और दिल्ली सरकार अपने इस करिकुलम के माध्यम से बखूबी स्कूली बच्चों को ख़ुशी के ये उसूल सिखा रही है|
गौर गोपाल दास जी ने आगे कहा कि दुनिया की हर वस्तु के पीछे कोई न कोई कारण होता है| ठीक उसी तरह हमारे खुश रहने के पीछे हमारा स्टेट ऑफ़ माइंड होता है, हम हैप्पीनेस को स्वयं अपने मन में बनाते है| हमारे पास कितने भी संसाधन हो लेकिन यदि हमारा मन परेशान है तो हम खुश नहीं रह सकते है| इसलिए हमारे मन का स्ट्रोंग होना बहुत जरुरी है यदि मन स्ट्रोंग रहा तो हम हर छोटी-छोटी चीजों में ख़ुशी ढूंढ लेंगे| उन्होंने बच्चों को मोटिवेट करते हुए कहा कि हमें जिन्दगी में वो काम करना चाहिए जिससे हमें ख़ुशी मिले, जिसकें माध्यम से हम समाज-देश-विश्व की बेहतरी में अपना योगदान दे सकें| इसलिए यदि आपको डॉक्टर बनना है तो एक ‘हैप्पी डॉक्टर’ बनकर समाज की सेवा करें, इंजिनियर बनना है तो एक ‘हैप्पी इंजिनियर’ के रूप में अपना योगदान दें|
उन्होंने आगे कहा कि कई बार सफलता ख़ुशी नहीं लाती पर ख़ुशी हमेशा सफलता जरुर लाती है| अपने रिश्तों, समाज के प्रति हमारे योगदान और मन की ताकत से हम खुद ख़ुशी का निर्माण करते है| पर एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि सफ़लता कभी हमारे सिर पर नहीं चढ़नी चाहिए और असफलता को कभी दिल में नही रखना चाहिए| क्योंकि सफ़लता हमारे सिर पर चढ़ कर अभिमानी बना देती है और असफालता हमारे मन में जाकर हमें डिप्रेस कर देती है| गौर गोपाल दास जी ने कहा कि इंसान के मन का स्वाभाव होता है कि जिन्दगी में बेशक कितनी भी अच्छी चीजें हो लेकिन एक छोटी सी नकारात्मन बात होने पर भी हमारा पूरा ध्यान उसपर चला जाता है| खुश रहने के लिए ये बेहद जरुरी है कि हम उस नकारात्मक पहलू से बाहर निकलते हुए सकारात्मक पक्षों को खुलकर एन्जॉय करें|
कार्यक्रम में मौजूद एक बच्चे के सवाल का जबाब देते हुए गौर गोपाल दास ने जी ने कहा, “हमारे जीवन में हम विभिन्न चीजों से गुजरते हैं लेकिन कोई एक विशेष घटना हमारे दिमाग पर एक छाप छोड़ती है और यह हमें फोकस करने से रोकती है। कई बार यह बहुत लंबे समय तक हमारे पास रहता है। हमारे फोन में हमारे पास एक बटन होता है जिससे हम किसी इमेज या इमेज को डिलीट कर सकते हैं लेकिन असल जिंदगी में इनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता है। हम उसका भार ढोते रहते हैं और घाव को खुरचते रहते हैं। नतीजतन स्थिति बद से बदतर होती चली जाती है। ऐसे में हमें अपने मन को फोकस करने के लिए अपने आस-पास ऐसे लोगों की तलाश करनी चाहिए जिनसे आप बात कर सकें और वो भरोसेमंद हों। माइंडफुलनेस इसे करने का एक तरीका है, लेकिन अपनी समस्याओं के बारे में किसी से बात करना और भी बेहतर है।
एजुकेशन और हैप्पीनेस के बीच के संबंध को आगे बताते हुए, गौर गोपाल दास जी ने कहा, “एजुकेशन और हैप्पीनेस दोनों स्वतंत्र हैं और व्यक्ति के जीवन को खुशहाल और बेहतर बनाने के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। वास्तविक दुनिया में हमें दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत है। इस मौके पर सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में 4 साल पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्त्व में हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की गई और आदरणीय दलाई लामा जी की उपस्थिति में इसे लांच किया गया| पिछले 4 सालों में हमारे स्कूलों में हैप्पीनेस पढ़ाने का ये सफ़र बहुत शानदार रहा है| उन्होंने बताया कि पिछले 4 सालों में देश-दुनिया के बहुत से लोगों इस करिकुलम से देखने-सीखने आए कि कैसे रोजाना दिल्ली के सरकारी स्कूलों में लाखों बच्चे अपने दिन की शुरुआत हैप्पीनेस की क्लास और माइंडफुलनेस से करते है|
सिसोदिया ने कहा कि हैप्पीनेस करिकुलम बहुत सफल रहा है| अब बच्चे स्वयं यह मानते है कि उनका पढ़ाई में फोकस बढ़ा है और उन्हें स्ट्रेस-फ्री रहने में मदद मिली है| पेरेंट्स मानते हा कि उनके बच्चों में उनके व्यवहार में बदलाव आया है| टीचर्स भी ये मानते है कि उन्होंने इस करिकुलम के माध्यम से खुद में और विद्यार्थियों में बदलाव को नोटिस किया है| उपमुख्यमंत्री ने बताया कि हैप्पीनेस उत्सव के तहत अगले 15 दिनों तक हैप्पीनेस से जुडी विभिन्न एक्टिविटीज करवाई जाएँगी और इस बार हैप्पीनेस केवल दिल्ली सरकार के स्कूलों तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि हमारे बच्चे 5-5 लोगों को हैप्पीनेस क्लास में जो सीखा उसे सिखाएंगे और पूरी दिल्ली को हैप्पीनेस उत्सव का हिस्सा बनायेंगे|
- – क्या है हैप्पीनेस उत्सव
हैप्पीनेस उत्सव, हैप्पीनेस करिकुलम के वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है| जहाँ दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में 15 दिनों तक इसका आयोजन किया जाता है| इस साल के उत्सव का विजन हैप्पीनेस करिकुलम को समुदायों तक, हर घर तक पहुंचाना है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में हैप्पीनेस पढ़ने वाला प्रत्येक बच्चा इस बार पांच अन्य लोगों के साथ हैप्पीनेस क्लास से जुड़े अपने अनुभव साझा करेगा। इसके माध्यम से सरकार का उद्देश्य लाखों दिल्लीवासियों तक हैप्पीनेस उत्सव पहुँचाना और उन्हें खुश रहना सीखाना है|
ज्ञात हो कि गौर गोपाल दास एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, और इन्होने अपनी पढ़ाई कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे से की| इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने अपने करियर को अपग्रेड करते हुए एक ‘लाइफ कोच’ बनने का फैसला किया। इसके बाद से 2 दशकों से अधिक समय से गौर गोपाल दास जी भारत और दुनिया के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और कॉर्पोरेट फर्मों में अपनी बातें रख रहे हैं और यहां तक कि वह संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटिश संसद में भी बोल चुके हैं। उन्होंने शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सामाजिक पहल के लिए धन जुटाने के लिए कई चैरिटी कार्यक्रमों में भी बात की है। गौर गोपाल दास जी को सबसे प्रतिष्ठित दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड, लोकमत मोस्ट स्टाइलिश इंटरनेशनल लाइफ कोच अवार्ड के साथ-साथ KIIT यूनिवर्सिटीज से मानद डॉक्टरेट सहित उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए कई अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है|
उल्लेखनीय है कि कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा के एजुकेशन स्टैंडिंग कमिटी की चेयरपर्सन व कालका जी से विधायक आतिशी, ग्रेटर कैलाश के विधायक सौरभ भारद्वाज, शिक्षा सचिव, अशोक कुमार, शिक्षा निदेशक, हिमांशु गुप्ता, प्रधान शिक्षा सलाहकार शैलेन्द्र शर्मा, अतिरिक्त शिक्षा निदेशक नंदिनी महाराज, निदेशक एससीईआरटी रजनीश कुमार सिंह सहित शिक्षा विभाग के अन्य उच्चाधिकारी मौजूद रहे|