- मरीज अब अन्य बीमारियों के इलाज के लिए हस्पतालों में जाने से डर रहे हैं
- दस लाख पर 1329 कोविद के केस दिल्ली में हो गए हैं जो की देश में सबसे ज्यादा का रेश्यो है
- दिल्ली में तक़रीबन 27,000 कोविद केस हैं तथा 761 लोगो कि कोरोना के कारण मौत हो चुकी है जोकि बहुत ही चौका देने वाले आकड़े हैं
- केजरीवाल सरकार को जिला स्तर पर कोविद और नॉन कोविद हस्पतालो को अलग अलग करना चाहिए ताकि हस्पतालो में संक्रमण ना फैले
- कोरोना महामारी को लेकर कोई भी पालिसी बनाने से पहला केजरीवाल को सभी पक्षों से सलाह लेनी चाइये
नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कोविद और नॉन कोविद हस्पतालो को अलग अलग न करके लोगो तथा मेडिकल स्टाफ के बीच अफरा तफरी पैदा कर रहे हैं। उन्होंने मांग कि की जिला स्तर पर कोविद और नॉन कोविद हस्पतालो को अलग अलग करना चाहिए ताकि सभी हस्पतालों कोविद की मरीजों का हब न बन जाये। उन्होंने कहा की गैर कोविद के मरीज अब अन्य बीमारियों के इलाज के लिए हस्पतालों में जाने से डर रहे हैं। केजरीवाल अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए आरोप प्रत्यारोप करके लोगो का ध्यान भटकाने कि कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर दिन केजरीवाल बिना सोचे समझे कुछ ना कुछ नई गाइड लाइन लोगो में अफरा तफरी पैदा करने कि लिए ले आते हैं।
डिजिटल प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आज चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि दस लाख पर 1329 कोविद के केस दिल्ली में हो गए हैं जो की देश में सबसे ज्यादा का रेश्यो है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में टेस्टिंग सुविधाओं को बढ़ाने कि जगह केजरीवाल सरकार टेस्टिंग लैब्स को ज्यादा कोविद टेस्ट करने कि लिये दंडित कर रही है जबकि दिल्ली में कोविद के मामले 11.39. कि दुगनी दर से प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है कि दिल्ली में टेस्टिंग लैब्स कि संख्या 42 से घटाकर 36 कर दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में तक़रीबन 27,000 कोविद केस हैं तथा 761 लोगो कि कोरोना के कारण मौत हो चुकी है जोकि बहुत ही चौका देने वाले आकड़े हैं। चौधरी अनिल कुमार कि दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के साथ इंटरनेट पर मीटिंग में उन्हे बताया कि केंद्र सरकार कि उन्ही गाइड लाइन्स को केजरीवाल मानते हैं जो उनको सूट करती हैं।
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि 2 मार्च, 2020 को जिस समय पहला केस दिल्ली में कोविद-19 का सामने आया था उस समय केजरीवाल ने कोई तत्परता नहीं दिखाई। दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त कि गयी 5 सदस्य समिति ने कहा है कि दिल्ली में तक़रीबन 17000 कोविद बेड्स कि जरुरत इस महीने के अंत में पड़ेगी जबकि इस समय दिल्ली में केवल 8000 कोविद बेड्स हैं जबकि केरजीवाल ने अप्रैल में डींग हॉकी थी कि उनके पास कोविद के लिए तक़रीबन 30,000 बैड उपलब्ध हैं। चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल ने बिना करोना वारियर्स जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिस, सफाई कर्मचारी आदि से सलाह लिए अपने फैसले जनता पर थोप दिये जबकि यह लोग जमीनी स्तर कि रिपोर्ट दे सकते थे। उन्होने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ मंत्रालय कि गाइड लाइन के बावजूद केजरीवाल ने कोविद और नॉन कोविद के मरीज़ो को एक ही हस्पताल में रखा।