Tuesday, July 23, 2024
Homeअंतराष्ट्रीययदि इस प्रदूषण को नहीं रोका गया तो दिल्ली व उत्तर-प्रदेश को...

यदि इस प्रदूषण को नहीं रोका गया तो दिल्ली व उत्तर-प्रदेश को लगातार उठाना पड़ेगा इसका नुकसान: सिसोदिया

  • इंटर-स्टेट काउंसिल द्वारा आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् की 30वीं बैठक में सिसोदिया ने जोर-शोर से उठाया मुददा – बोले: प्रदुषण, पानी की कमी और यमुना में हरियाणा की ओर से आ रहा है इंडस्ट्रियल व केमिकल एफ्यूलेंट – रेणुका डैम के मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह ने जताई सहमती कहा, अधिकारियों कि एक समिति बनें और यह अभी से तय करें कि बांध बनने के बाद दिल्ली को प्राथमिकता के आधार पर कितना पानी मिलेगा – दिल्ली की पानी की मांग को पूरा करने के लिए रेणुका डैम के साथ-साथ उत्तराखंड में बन रहे लखावर और किसाऊ बांध को बनाने में भी सहयोग कर रही दिल्ली सरकार, बांध बनने के बाद यहां से दिल्ली को मिलेगा उसके हिस्से का पानी

नई दिल्ली, 9 जुलाई 22: दिल्ली की ओर से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जयपुर में आयोजित हो रहे इंटर-स्टेट काउंसिल द्वारा आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् की 30वीं बैठक में प्रदुषण, पानी की कमी और यमुना में हरियाणा की ओर से आ रहे इंडस्ट्रियल व केमिकल एफ्यूलेंट का मुद्दा जोर शोर से उठाया और उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष इस मुद्दे को प्रतिबद्धता के साथ रखा कि इसपर अन्तर्राजीय परिषद् की बैठक में बात आगे बढनी चाहिए। दिल्ली की ओर से दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उपराज्यपाल विनय सक्सेना इस बैठक में अधिकारियों के साथ शामिल हुए। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अपने ओपनिंग स्पीच में हरियाणा से आने वाले प्रदूषित पानी का मुद्दा उठाया और बताया कि हरियाणा के तीन नाले नज़फगढ़ नाले में आकर गिरते है जो नजफगढ़ नाले को और प्रदूषित कर रहे है और यही प्रदूषित पानी यमुना में गिर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया और गृहमंत्री अमित शाह ने उपमुख्यमंत्री के अनुरोध पर गृहसचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का निर्णय लिया और इस मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का निर्देश दिया।

  • लगभग 10,000 क्यूसेक गंदा पानी नजफगढ़ नाले में जा रहा है – उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए इससे संबंधित पूरे डेटा को अन्तर्राजीय परिषद् के समक्ष रखा और बताया कि वर्तमान में इंडस्ट्रियल व केमिकल एफ्यूलेंट वाला 5,000 क्यूसेक पानी हरियाणा से आता है और नजफगढ़ नाले में मिलता है। साथ ही लगभग इतना ही पानी दिल्ली के अलग-अलग नालों से नजफगढ़ नाले में मिलता है और कुल मिलाकर लगभग 10,000 क्यूसेक गंदा पानी नजफगढ़ नाले में जा रहा है। इसमें हरियाणा से आने वाले इंडस्ट्रियल व केमिकल एफ्यूलेंट की मात्रा बहुत ज्यादा है जिसे यदि नहीं रोका गया तो दिल्ली व उत्तर-प्रदेश को लगातार इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। अभी हाल ही में देखा गया कि दिल्ली में कैसे नजफगढ़ नाले में मछलियों की मौत हुई क्योंकि हरियाणा से इंडस्ट्रीज से निकला केमिकल युक्त गंदा पानी लगातार नजफगढ़ नाले में पहुँच रहा है।

  • दिल्ली सरकार द्वारा नजफगढ़ नाले की सफाई का काम जोर-शोर से शुरू कर दिया गया है
    उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बात पर भी जोर दिया कि दिल्ली सरकार अब नजफगढ़ नाले में दिल्ली से जा रहे गंदे पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के जरीय ट्रीट करके नजफगढ़ नाले में डालने वाली है और दिल्ली सरकार द्वारा नजफगढ़ नाले की सफाई का काम जोर-शोर से शुरू कर दिया गया है। लेकिन जबतक हरियाणा से आने वाला केमिकल और इंडस्ट्रियल वेस्ट युक्त पानी बिना ट्रीट किए नजफगढ़ नाले में भेजा जाएगा तबतक इस नाले की सफाई संभव नहीं हो पाएगा और इसका खामियाजा दिल्ली और उत्तर प्रदेश को उठाते रहना पड़ेगा।

  • सिसोदिया ने उपराज्यपाल द्वारा दिए गए एक अन्य प्रस्ताव का भी समर्थन किया
    मनीष सिसोदिया ने इस बाबत उत्तरी काउंसिल के सामने प्रस्ताव रखा कि या तो हरियाणा औद्योगिक अपशिष्ट युक्त इस 5,000 क्यूसेक पानी को ट्रीट करके अपने स्तर पर ही इस्तेमाल करे अथवा ट्रीट कर नजफगढ़ नाले में छोड़े। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल द्वारा दिए गए एक अन्य प्रस्ताव का भी समर्थन किया। जिसमें नजफगढ़ नाले के समानांतर एक दुसरे नाले को बनाने की बात कही गईं। जहाँ इस अन्य नाले के पानी को दिल्ली में लाकर वहां एक ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर साफ़ कर लिया जाए और उसके बाद यमुना में छोड़ा जाए।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा काउंसिल में प्रदुषण के मुद्दे को भी उठाया गया। उन्होंने काउंसिल के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि दिल्ली में दिल्ली सरकार ने अपने प्रयासों की बदौलत सार्वजानिक परिवहन को सीएनजी और ई-ट्रांसपोर्ट में बदलने का काम मिशन मोड में किया है। इस समय दिल्ली में सार्वजानिक परिवहन में ईधन के तौर पर या तो सीएनजी का प्रयोग होता है या उसे पूरी तरह से ई-ट्रांसपोर्ट में बदला जा रहा है। इसी तरह से प्राइवेट वाहनों में भी ई-वाहनों की खरीद को बढ़ावा दिया जा रहा है और यह लक्ष्य रखा गया है कि 2025 तक नए खरीदे जाने वाले वाहनों का 25 प्रतिशत ई-व्हीकल हो। और ये बेहद ख़ुशी की बात है कि 3 साल पहले ही दिल्ली में कुल बिक्री होने वाले वाहनों का लगभग 12 प्रतिशत ई-व्हीकल है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदुषण को कम करने के लिए दिल्ली द्वारा जो कदम उठाये जा रहे है वही कदम पूरे एनसीआर में भी उठाये जाने जरुरत है। खासकर उत्तर प्रदेश के नोएडा, गाजियाबाद, लोनी आदि शहरों तथा हरियाणा के गुडगाँव, फरीदाबाद, बहादुरगढ़, सोनीपत आदि शहरों में इसी तरह के कदम उठाने की जरुरत है क्योंकि दिल्ली में धूल से होने वाला प्रदुषण कम हो गया लेकिन इन शहरों में डीजल वाहन ऐसे ही चलते रहे तो दिल्ली को प्रदुषण मुक्त नहीं किया जा पाएगा।

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि दिल्ली में अब सार्वजानिक परिवहन पूरी तरह से सीएनजी या ई-ट्रांसपोर्ट पर आधारित हो गया हैद्य इसलिए अब यह कदम उठाने की जरुरत है कि पडोसी राज्यों से आने वाली अन्तर्राजीय बसें जो अभी डीजल पर चलती है उन्हें भी ई-व्हीकल या सीएनजी में बदला जाए या कम से कम वो बसें बीएस-6 मानक की होद्य उन्होंने कहा कि इंटर-स्टेट काउंसिल इस मुद्दे को भी अपने एजेंडा में शामिल करें व आगे होने वाली बैठकों में इस मुद्दे पर भी चर्चा हो। इसके साथ-साथ उपमुख्यमंत्री ने ‘रेणुका डैम’ के निर्माण कार्य में तेजी लाने की मांग उठाई और अनुरोध किया कि रेणुका डैम में इकठ्ठा होने वाले पानी में से दिल्ली को मिलने वाले पानी की मात्रा अभी से तय कर कर ली जाए ताकि दिल्ली की आगे की पानी से संबंधित योजनाओं में इसे शामिल किया जा सकें। इसपर गृहमंत्री अमित शाह ने इसपर टिप्प्णी की कि, “हम समझते है कि दिल्ली को पानी की जरुरत है लेकिन केवल दिल्ली के चाहने पानी नहीं मिल सकता है”। इसपर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने काउंसिल के समक्ष 6 राज्यों के बीच पानी को लेकर हुए समझौते की पंक्तियाँ पढ़कर सुनाई जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि, क्योंकि दिल्ली सरकार इस प्रोजेक्ट में पैसा लगा रही है इसलिए बिजली का बंटवारा तो आने वाले समय की शर्तों के अनुसार होगा। लेकिन इसमें इकठ्ठा होने वाले पानी में जितना पानी बचेगा उसमें से दिल्ली को प्राथमिकता के आधार पर पानी दिया जाएगा।

बता दे कि इस समझौते पर 6 राज्यों के मुख्यमंत्री व केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हस्ताक्षर हैं। सिसोदिया ने काउंसिल से अनुरोध किया कि बांध बनने में अभी समय है लेकिन बांध बनने के बाद पहले दिन से ही दिल्ली को प्राथमिकता के आधार पर उसके हिस्से का पानी मिलने लगे। इसपर सहमति जताते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर भी अधिकारियों कि एक समिति बनें और समिति यह अभी से तय कर लें कि बांध बनने के बाद दिल्ली को प्राथमिकता के आधार पर कितना पानी मिलेगा। यह दिल्ली के लिए एक बड़ी उपलब्धि हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में रेणुका डैम बनाने में साझेदारी के तहत 214 करोड़ रूपये दिए है। 2019 में हुए इस समझौते के तहत ये पैसे इसलिए दिए गए है क्योंकि इसके बनने के बाद दिल्ली को इससे प्राथमिकता के आधार पर पानी मिलेगा। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में बन रहे लखावर बाँध और किसाऊ बांध को बनाने में दिल्ली सरकार सहयोग दे रही है। इसमें भी इकठ्ठा होने वाले पानी में दिल्ली को हिस्सा मिलेगा। आने वाले समय में दिल्ली की पानी की मांग को पूरा किया जा सकें इस दिशा में दिल्ली सरकार अन्य राज्यों के साथ सहयोग व समझौते कर रही है।उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इंटर-स्टेट काउंसिल द्वारा आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् की बैठक में इस बात पर भी जोर दिया कि इन तीनों परियोजनाओं के निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से चल रहे है या अभी उनकी शुरुआत भी नहीं हुई है तो इनपर निरंतर निगरानी रखे जाने की जरुरत है और संभव है तो इसे ई-प्रगति योजना में शामिल कर इसपर निरंतर निगरानी रखी जाए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments