- – उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संरक्षण कार्यों के प्रगति की समीक्षा की – अजीमगंज सराय लम्बे समय तक उपेक्षित रहा पर केजरीवाल सरकार सुनिश्चित कर रही है कि बेहद सावधानी के साथ इस ऐतिहासिक स्मारक के संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का काम हो ताकि 16वीं सदी के अजीमगंज सराय को वापस मिल सके उसकी समृद्ध पहचान – ऐतिहासिक स्मारकें हमारी धरोहर इन्हें संरक्षित करना बेहद जरुरी, संरक्षण कर इन इमारतों को अपनी असल पहचान देने का काम कर रही है केजरीवाल सरकार- संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का कार्य पूरा हो जाने के बाद दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाएगा अजीमगंज सराय, सैलानियों को आकर्षित करने के साथ उन्हें दिल्ली के सदियों पुराने समृद्ध इतिहास से भी करवाएगा वाकिफ- उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
13 सितम्बर, नई दिल्ली : दिल्ली की ऐतिहासिक पहचान को बरक़रार रखने के क्रम में केजरीवाल सरकार दिल्ली में अपने अंतर्गत आने वाली ऐतिहासिक स्मारकों, इमारतों के संरक्षण व उनके पुर्नोद्धार का काम कर रही है| इसी क्रम में मंगलवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ सुंदर नगर,निज़ामुद्दीन स्थित अजीमगंज सराय के पुर्नोद्धार के लिए किए जा रहे संरक्षण कार्यों के प्रगति की समीक्षा की|
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐतिहासिक इमारतें हमारी धरोहर है और इन्हें संरक्षित करना बेहद जरुरी है| उन्होंने कहा कि अजीमगंज सराय जैसी ऐतिहासिक महत्त्व की इमारत लम्बे समय तक उपेक्षित रही जिस कारण इसे काफी नुकसान हुआ है| इसे लेकर केजरीवाल सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि बेहद सावधानी के साथ इस इस ऐतिहासिक स्मारक के संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का काम किया जाए ताकि 16वीं सदी में बने अजीमगंज सराय को उसकी समृद्ध पहचान वापस मिल सकें| सिसोदिया ने कहा कि सरकार चरणबद्ध तरीके से मशहुर अजीम गंज सराय के संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का कार्य करवा रही है| संरक्षण व सौन्दर्यीकरण का कार्य पूरा हो जाने के बाद यह दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाएगा और न केवल सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करेगा बल्कि उन्हें दिल्ली के सदियों पुराने समृद्ध इतिहास से भी वाकिफ करवाएगा|
- – क्या है अज़ीमगंज सराय?
अजीमगंज सराय 16वीं सदी का मुगल सराय था, जो मूल रूप से पुराना किला और हुमायूं के मकबरे के महत्वपूर्ण मुगल स्मारकों को जोड़ने वाले ग्रांड ट्रंक रोड पर खड़ा था। सरायों को ‘कारवां सराय’ के रूप में भी जाना जाता है, जो यात्रियों, व्यापारियों और शिल्पकारों के लिए सुविधाएं प्रदान करने के लिए व्यापार मार्गों के साथ बनाए गए थे। इसके विशाल आँगन के चारो ओर 108 मेहराबदार कमरे बने हुए है जो बेहद ख़राब हालत में है और दिल्ली सरकार द्वारा इसके संरक्षण का कार्य किया जा रहा है|
कनेक्टिविटी के नुकसान और रखरखाव के अभाव के कारण अजीमगंज सराय में पिछले पचास सालों में स्थापत्य जैसे कक्षों, मेहराबों और चिनाई वाली दीवारों में बहुत नुकसान हुआ है। यह ऐतिहासिक महत्त्व की इमारत है ऐसे में केजरीवाल सरकार इसके संरक्षण कार्य में पारंपरिक सामग्रियों और शिल्प तकनीकों का उपयोग करवा रही है जिससे इसकी पुरानी स्थापत्य बरक़रार रहे| अजीमगंज सराय के संरक्षण का पूरा प्रोजेक्ट कामगारों के लिए प्रशिक्षण तथा बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर तैयार करेगा|